जेट एयरवेज के यात्री के नाक-कान से निकला खून, जानें प्लेन में लगे Bleed Switch का रहस्य

जेट एयरवेज के क्रू मेंबर की लापरवाही यात्रियों की जान ले सकती थी, ब्लीड स्वीच से जुड़ी जानकारी जानें

मुंबई से जयपुर जा रही जेट एयरवेज के विमान में एक बड़ी घटना घटी। विमान में अफरा-तफरी जैसा माहोल बन गया, जब एक यात्री के नाक और कान से खून निकलने लगा। इस माजरे को देखने के बाद बाकि यात्रियों के पसीन छूटने लगे और देखते ही देखते ये खबर सुर्खियों में छा गई। इसके बाद विमान वापस मुंबई की ओर लौट आई। लेकिन यात्रियों की हालत बेहद खराब है और रिकवर होने में 20-25 दिन का समय लगेगा।

इस घटना के बाद डिप्टी डायरेक्टर जनरल ऑफ सिविल एविएशन ललित गुप्ता ने जानाकरी दी कि क्रू मेंबर केबिन के प्रेशर को बनाए रखने वाले बटन को दबाना भूल गया था। जिसकी वजह से खून निकलने और सर दर्द की शिकायतें आई। हालांकि इस लापरवाही के कारण जेट एयरवेज के प्रबंधन पर सवाल उठ रहे हैं।

इस पर हम बात करते हैं कि आखिर कैसे ये घटना घटी है। ऐसी घटनाओं के पीछे क्या कारण है। इसके साथ ही हम इस पर भी चर्चा करेंगे कि इन घटनाओं से क्या-क्या हो सकता है। हम इन तमाम बिंदुओं पर बात करेंगे और क्रू मेंबर से लेकर प्रेशर बनाने तक की घटनाओं पर जिक्र करेंगे।

क्यों निकला खून
दरअसल, ये कोई छोटी भूल नहीं थी। इससे काफी बड़ी घटना हो सकती थी। हम आपको बताते चलें कि जब कोई प्लेन ऊंचाई पर होता है तो उस वक्त बाहर का तापमान, ऑक्सीजन और वायुमंडल का दबाव कम होता है।

लेकिन प्लेन में बैठे लोगों को ये सभी सुविधाएं संतुलन में मिले इसके लिए जेट इंजन के कम्बशन इंजन से पाइप के द्वारा एक प्रकार के गर्म हवा प्लेन में दी जाती है। इन हवाओं को ब्लीड हवाएं कहते हैं।

और क्या-क्या हो सकता था

प्लेन में बैठे यात्रियों को पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन और तापमान मानव शरीर के मुताबिक प्रदान करता है। इसके लिए ब्लीड स्वीच को ऑन करना पड़ता है। जब स्वीच ऑन नहीं होगा तो पर्याप्त मात्रा में ऑक्सीजन नहीं मिलेगी और हाल ही में घटी घटना की तरह यात्री शिकार हो जाएगा। जैसे कि यात्री की मौत हो सकती है और लकवा भी मार सकता है।

लेकिन यह सबसे बड़ी बात ये है कि ऑक्सीजन मास्क के जरिए 20 मिनट तक ही ऑक्सीजन दी जा सकती ह, अगर इस समय के भीतर जेट एयरवेज एयरपोर्ट पर नहीं आता तो प्लेन में बैठे यात्री स्वर्ग सिधार सकते थे।

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.