Koffee With Karan 7: कॉफी विद करण सीजन 7 अक्षय कुमार (Akshay Kumar) और साउथ एक्ट्रेस समांथा प्रभु (Samantha Prabhu) एक साथ पहुंचे. शो के नए एपिसोड में अक्षय और समांथा ने जमकर मस्ती की. सीजन 7 से कॉफी विद करण में समांथा ने अपना डेब्यू किया. इस दौरान करण जौहर ने अक्षय और समांथा से पर्सनल लाइफ से लेकर करियर और नेपोटिज्म को लेकर सवाल पूछे.
कॉफ़ी विद करण सीजन 7 में, फिल्म निर्माता ने सामंथा (Samantha Prabhu) से साउथ इंडस्ट्री में ‘नेपोटिज्म’ को लेकर सवाल किया. करण ने कहा कि साउथ इंडस्ट्री में कोई ना कोई किसी का बाप, चाचा या मामा है. ऐसे में उसे जेंटलमैन्स क्लब कहा जाता है. क्या इससे एक्ट्रेस को कोई परेशानी होती है?
समांथा (Samantha Prabhu) ने अपने जवाब में कहा कि भले ही इंसान की जिंदगी में शुरुआत किसी भी तरह से ही हो, लेकिन बाद में उनसे जुड़े पापा-चाचा को साइड से ही अपने बच्चे के करियर को देखना होता है. चीजें दर्शकों के हाथ में होती है, जिसके लिए कोई रिश्तेदार कुछ नहीं कर सकता.
जिस पर समांथा प्रभु ने कहा कि इंडस्ट्री में कई कलाकार एक-दूसरे से जुड़े हुए हैं. “मुझे लगता है कि यह एक तरह से मानों जैसे सेब मतलब सेब है. इसमें कुछ अलग नहीं. नेपो किड्स हों या नॉन-नेपो किड्स, हर किसी का कोई ना कोई दुश्मन है. यह उतना ही सरल है, एक बार जब आप खेल में होते हैं, भले ही आपके पिता कोच हों, फिर भी वे किनारे पर खड़े रहते हैं. ऐसा कोई भी नहीं जो वह आपके लिए गेम जीतने के लिए कर सकता है. इसमें गेंद हमेशा दर्शकों के पाले में होती है.”
वहीं जब करण जौहर ने अक्षय कुमार (Akshay Kumar) से नेपोटिज्म को लेकर सवाल किया तो उन्होंने ने अपने करियर के शुरूआती दिनों को याद करते हुए कहा कि उन्हें इसका मतलब भी नहीं पता था. मैंने अपनी पत्नी (ट्विंकल खन्ना) से पूछा तो उसने मुझे समझाया. फिर इसके बाद मुझे पूरा मामला समझ आ गया.
अक्षय कुमार (Akshay Kumar) आगे बताते हैं कि जब मैं इंडस्ट्री में आया, “तो मुझे पता नहीं था, मैं सिर्फ पैसे कमाना चाहता था.” उन्होंने अपने संघर्ष भरे दिन को याद करते हुए कहा कि जब वे मार्शल आर्ट सिखा रहे थे तो उन्हें महीने के सिर्फ 5000 रुपए मिलते थे, लेकिन जब उन्हें एक विज्ञापन मिला, तो उन्हें दो घंटे के काम के लिए 21,000 रुपए दिए गए. उसी दिन से उन्होंने पैसा बनाने और अभिनय करने का फैसला किया.”
अक्षय (Akshay Kumar) कहते हैं कि मैंने कभी नहीं सोचा कि कौन किसका बेटा है. मुझे काम मिलेगा या नहीं. मुझे जो काम मिल रहा था, मैं कर रहा था. मैं मानता हूं कि कोई भी प्रोजेक्ट आपको थोड़ा-सा भी सही लगे तो उसे कर लेना चाहिए. वहीं करण जौहर ने आगे मजाक में कहा कि, ‘भाई-भतीजावाद’ (नेपोटिज्म) उनका जानी दुश्मन बन गया है.
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