हर कोई चाहता है की उसका अपना खुद का सुंदर और प्यार घर हो। इंसान अपनी पूरी जमापूंजी लगाकर उसे खरीदने की तैयारी करता है। इस बात का जिक्र तो खुद विष्णु पराण में भी किया गया है। विष्णु पराण में कहा गया है कि कलियुग में इंसान अपनी पूरी जमापूंजी घर बनाने में खर्च कर देगा।
लेकिन जिस घर में आप अपना जीवन खुशी से बीतने की सोचते है और अगर उस घर मे आपको वो खुशी न मिल पाए जो आप चाहते है तो उससे ज्यादा दुख की बात तो शायद ही कोई होगी। महान गुरू और बुद्धिमान आचार्य चाणक्य ने अपनी नीति ज्ञान और व्यवहारिक ज्ञान में भी इस बात का वर्णन किया है कि किसी भी इंसान को किस तरह का घर बनाना चाहिए।
पहले जान लिजिए चाणक्य मंत्र का राज
धनिक: श्रोतियो राजा नदी वैद्यस्तु पंचम:।
पंच यत्र न विद्यन्ते तत्र दिवसं न वसेत्।।
आचार्य चाणक्य ने इस मंत्र में अच्छे निवास स्थान को लेकर 5 बड़ी बातों पर ध्यान देने के लिए कहा है। जहां धनी, वेदों का ज्ञान, रखनेवाले, राजा, नदी और वैद्य न हों ऐसी किसी भी जगह पर एक दिन के लिए भी नहीं ठहराना चाहिए। ऐसे में आप सोच रहे होंगे की आपको क्यों करना चाहिए तो इस परेशानी का हल भी खुद चाणक्य नीति में दिया गया है।
जरूरी है धनवान पड़ोसी का होना
जिन जगहों पर धनवान इंसान मौजूद रहता है वहां ज्यादातर व्यवसायिक स्थिति काफी पॉजिटिव होती है। वहीं जहां रोजगार की परिस्थितियों हों, वहां धन से संबंधित परेशानियों की संभावना कम हो जाती है।
ज्ञानी लोगों का हो साथ
जिन जगहों पर ज्ञानी और विद्वान लोग निवास करते है उस जगह पर घर बनाना काफी लाभदायक और सुखद साबित होता है। ऐसे लोगों के साथ चीजें समझने और जानने का मौका मिलता है। साथ ही बच्चों की परवरिश के लिए एक बेहतरीन माहौल मिल जाता है।
शासकीय व्यवस्था हो सही
ऐसा स्थान जहां आसपास शासकीय से जुड़ा कार्यालय हों और उन तक पहुंचने का मार्ग सुगम हो। ऐसी जगह पर अगर आप घर लेते है तो हमें शासन की योजनाओंका लाभ मिलता रहता है।
नदी या जल का सही प्रबंध
पानी हर किसी के लिए महत्वपूर्ण है और इसके बिना जीवन तो अधूरा है। इस बात का जिक्र भी चाणक्य ने अपनी बात किया है। उनके मुताबिक किसी भी इंसान को उस स्थान पर अपना घर बनाना चाहिए जहां योग्य जल की सुविधा आसानी से उपलब्ध हो।
चिकित्सक तक पहुंचना हो आसान
चाणक्य के अनुसार आप जिस जगह भी घर लें वहां इस बात का जरुर ध्यान रखें कि वहां आसपास कोई हॉस्पिटल या फिर एक अच्छा डॉक्टर जरुर हों। ताकि बीमारी के वक्त या आपत्ति काल में तुरंत उनकी सेवा प्राप्त हो जाए।