मासूम बच्चियों के साथ अपराध का सिलसिला किसी भी तरह से थमता हुआ नजर नहीं आ रहा हैं। मासूमों के साथ ज्यादातर हो रहें अपराधों में से एक है रेप। एक बार फिर एक मासूम से स्कूल में रेप की घटना को अंजाम दिया गया है।
बिहार की राजधानी पटना के एक प्राइवेट स्कूल के प्रिंसिपल और अकाउंटेंट ने पांचवीं कक्षा में पढ़ने वाली छात्रा के साथ 9 महीने तक रेप की घिनौनी वारदात को अंजाम दिया। यह मामला तब सामने आया जब लड़की गर्भवती हो गई। अपनी बच्ची के साथ हुए इस अपराध को लेकर परिजनों ने बुधावर के दिन फुलवारीशरीफ थाने में मामला दर्ज कराया। इसके बाद पुलिस ने दोनों आरोपियों को गिरफ्तार कर लिया।
बिहार में ऐसी पहली घटना नहीं है जब इस तरह के अपराध को अंजाम दिया गया हो इससे पहले भी जुलाई में छपरा से एक ऐसा ही मामला सामने आया था। स्कूल की लड़की ने प्रिंसिल,दो टीचर और 16 सीनियर क्लास के बच्चों पर आठ महीनों तक रेप करने का आरोप लगायाथा। इस मामले में प्रिंसिपल और टीचर फिलहाल जेल में हैं।
यहां समझने वाली बात यह की मासूम बच्चे आखिर अपने साथ हो रहे अपराध के बारे में खुल कर अपने परिजनों से बात क्यों नहीं करते। इस बात को ध्यान रखना बच्चों के मां – बाप की जिम्मेदारी हैं। ऐसे में हम आपको बताएंगे की परिजन कौन – कौन सी ऐसी जरूरी बातों का ध्यान रखें जिसके चलते आप अपने बच्चों को इस तरह के अपराध से बचा सकते हैं।
पेरेंट्स अपने छोटे बच्चों को उनका पूरा नाम, फोन नंबर और घर का पत्ता याद कराएं। यादि वह कहीं खो जाते है तो ये सभी चीजें उनके लिए मददगार होगी।
अपने बच्चों को आप अच्छे और बुरे इंसान के बीच फर्क करना समझाएं।
बच्चों को बताएं की वह किसी भी अनजान व्यक्ति से कोई भी चीज जैसे- चॉकलेट, तोहफे आदि न लें।
– अपने बच्चों को पेरेंट्स ‘न’ बोलने की हिम्मत सीखाएं। ऐसा इसलिए क्योंकि अगर उनके साथ कुछ भी गलत होता है तो वह बिना डरें उसका विरोध करते हुए ‘न’ शब्द का इस्तेमाल कर सकते हैं।
– साथ ही पेरेंट्स अपने बच्चे को इस बात के बारे में भी बताएं की यदि वह बच्चों के आसपास मौजूद नहीं होते तो ऐसे में वह किस भरोसेमंद व्यक्ति से मदद ले सकते हैं।
– पेरेंट्स बच्चों को गुड़ टाच और बेड टॉच के बीच का भी अंतर समझाए।
– बच्चों को किसी भी खाली या सुनसान वाली जगह पर जानें से रोके।
– किसी भी अनजान व्यक्ति से बाते करने से उन्हें माना करें।
– अपने बच्चे को समझाए की अगर वह किसी मुसीबत में है तो वह किसी को भी मदद के लिए बुला सकते है।
– इसके साथ ही आप अपने बच्चों की जीवनशली पर भी नजर बनाए रखें, कि वह कहां जा रहा है कि से बात कर रहा है।
– अपने बच्चों की दिल की बात भी आप जरुर सुने क्या पता वह आपको कुछ बताना चाहते हो लेकिन खुलकर अपनी बात न रख पाता हो।