Lachhu Maharaj: तबला के उस्ताद जिन्होंने उड़ा दी थी इंदिरा सरकार की नींद

Lachhu Maharaj Google Doodle: तबला वादक पंडित लच्छू महाराज को आज 74वें जन्मदिन पर गूगल ने याद किया है। 12-14 घंटे तक लगातार तबला बजाने का रिकॉर्ड है।

Lachhu Maharaj Google Doodle: भारत के विख्यात तबला वादक पंडित लच्छू महाराज (Lachhu Maharaj) को आज 74वें जन्मदिन के अवसर पर गूगल ने डूडल (Google Doodle) बनाकर याद किया है। तबला को लेकर इनके नाम कई रिकॉर्ड हैं। जैसे कि कई बार तो 12-14 घंटे तक लगातार तबला बजाने का रिकॉर्ड भी इनके नाम है। पंडित लच्छू महाराज ने आठ साल की उम्र में सपनों की नगरी मुंबई में पहला शो किया था। उस मौके पर महान तबला वादक थिरकवा उन पर फिदा हो गए थे। पंडित लच्छू महाराज मशहूर एक्टर गोविंदा के मामा भी हैं। लच्छू महाराज की जयंती पर आज पूरा देश उनको नमन कर रहा है। 27 जुलाई, 2016 को वाराणसी में उन्होंने अंतिम सांस ली।

लच्छू महाराज का जन्म उत्तर प्रदेश के वाराणसी में 16 अक्टूबर, 1944 को हुआ था। लच्छू महाराज के पिता का नाम वासुदेव महाराज था। लच्छू महाराज का असली नाम लक्ष्मी नारायण सिंह था। 12 भाई बहनों में वे चौथे नंबर पर थे। आरंभ से ही वह तबला से प्रेम करते थे। इसी कारण तबला के क्षेत्र में महारत हासिल कर पाए। इन्होंने हिंदी फिल्मों में बतौर कोरियोग्राफर काम किया। लच्छू महाराज ने फ्रेंच महिला टीना से शादी की थी, जिनसे उनकी एक बेटी नारायणी है। 72 साल की उम्र में 27 जुलाई 2016 को हार्ट अटैक से उनका निधन हो गया था। बनारस के मनिकर्णिका घाट पर ही उनका अंतिम संस्कार हुआ था। उनका परिवार फिलहाल स्वीटजरलैंड में रहता है।

पद्श्री अवार्ड से किया मना
लच्छू महाराज फक्कड़ और सूफी अंदाज के लिए जाने जाते थे। इसके साथ ही वह आंदोलनकारी कलाकार की तरह थे। लच्छू महाराज 1975 में जब आपातकाल लगा तब वे भी जेल गए। जेल के अंदर मशहूर समाजवादी नेताओं जॉर्ज फर्नांडिस, देवव्रत मजुमदार और मार्कंडेय को तबला बजाकर सुनाया करते थे। दरअसल, जेल में तबला के जरिए वे विरोध जता रहे थे। वैसे लच्छू महाराज का सरकार के साथ कभी बना नहीं। उनका मानना था कि कलाकार तालियों का भूखा होता है और वही उसका सम्मान होता है। इसलिए जब उनको पद्श्री अवार्ड के लिए चुना गया तो उन्होंने मना कर दिया। लच्छू महाराज ने ‘महल’ (1949), ‘मुगल-ए-आजम’ (1960), ‘छोटी छोटी बातें’ (1965) और ‘पाकीजा’ (1972) जैसी कई हिंदी फिल्मों में काम किया।

देखें वीडियो…

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.