लता मंगेशकर की सांसों से जुड़े हैं संगीत के तार, रिटायरमेंट पर बोलीं सुर साम्राज्ञी

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर भी इन दिनों अफवाहों से लेकर परेशान है। अपने रिटायरमेंट को लेकर बोलीं कि वह जीतेजी कभी गाना नहीं छोड़ सकती हैं। संगीत की दुनिया में लता मंगेशकर लंबे समय से गा रही हैं। इनके रिटायरमेंट की खबर ने फैंस को दुखी कर दिया था।

सुर साम्राज्ञी लता मंगेशकर (Lata Mangeshkar) भी इन दिनों अफवाहों से लेकर परेशान है। आखिरकार उनको अपने रिटायरमेंट को लेकर सफाई पेश करनी पड़ी। लता मंगेशकर ने कहा है कि वह जीतेजी कभी गाना नहीं छोड़ सकती हैं। लता मंगेशकर की बातों से पता चल रहा है कि वो ताउम्र गाना चाहती हैं। उनके रिटायरमेंट को लेकर कोई भी अफवाह चले उसे बर्दाश्त नहीं कर सकती हैं। संगीत की दुनिया में लता मंगेशकर लंबे समय से गा रही हैं। इनके रिटायरमेंट की खबर ने फैंस को दुखी कर दिया था लेकिन लताजी की सफाई के बाद उनके चेहरे पर खुशी लौट आई है।

लता मंगेशकर का कहना है कि उनकी रिटायरमेंट की खबरें झूठी हैं और वह अपनी अंतिम सांस तक गाएंगी। सोशल मीडिया पर लताजी का गाया हुआ मराठी गाना ‘अता विश्व्याछा कसां’ पोस्ट किया गया है, जिसका अर्थ है ‘अब आराम का समय है’। इस गाने को लताजी की रिटायरमेंट से जोड़कर देखा जा रहा है। इसके बाद उनके रिटायरमेंट की खबर ने तेजी से रफ्तार पकड़ा।

लताजी ने एक खास बातचीत में कहा, ‘मुझे नहीं पता कि यह अफवाह किसने शुरू की और क्यों? मुझे यह किसी खाली बैठे बेवकूफ आदमी का काम लगता है। दो दिन पहले मुझे अचानक मेरी रिटायरमेंट को लेकर संदेश और फोन आने शुरू हो गए।’ इसके कारण लताजी भी थोड़ी परेशान सी दिखीं।

वैसे लता जी हैरान हैं कि ये खबरें कहां से आई। उन्होंने कहा, ‘मुझे पता चला कि मेरे मराठी गीतों में से एक ‘अता विश्व्याछा कसां’ को मेरे अलविदा कहने के गीत के रूप में देखा जा रह है। लेकिन मैंने पांच साल पहले उस गीत को गाया था! 2013 में, इस गीत को लेकर संगीत निर्देशक सलील कुलकर्णी मेरे पास आए। मैं इसे मुख्य रूप से गायन करने पर सहमत हुई क्योंकि यह प्रसिद्ध कवि बालकृष्ण भगवंत बोरकर ने लिखा था। मैंने कभी उनकी कविता नहीं गाई थी। मुझे क्या पता था कि पांच साल बाद शरारती दिमाग वाले लोग इसे मेरी रिटायरमेंट से जोड़ेंगे।’

यहां सुनिए लताजी के सुपरहिट गानें…

यहां देखिए लताजी की तस्वीरें…

 

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.