कल रात तमिलनाडु की पार्टी DMK के सुप्रीमो करूणानिधि का निधन हो गया| हालाँकि उनके समाधी को लेकर एक नया विवाद सामने खड़ा हो गया था जिसमें उनकी समाधी को मरीना बीच पर दफ़नाने की अनुमति नहीं दी गयी हालाँकि अब मद्रास हाईकोर्ट ने सुबह अपना फैसला सुनाते हुए करुणानिधि की समाधी को मरीना बीच पर ही दफ़नाने का आदेश दे दिया|
कट्टर दुश्मन जयललिता के साथ होगी करूणानिधि की समाधी
मद्रास कोर्ट के फैसले के बाद करुणानिधि और जयललिता जोकि सियासत की दुनिया में सबसे बड़े विरोधी थे अब मौत के बाद दोनों एक जगह पर ही होंगे| जिन्हें भी तमिलनाडु की राजनीति में रूचि हैं उन्हें अच्छी तरह पता होगा कि जयललिता और करुणानिधि में किस कदर की राजनीतिक दुश्मनी थी।एमजीआर के युग के बाद जयललिता और करुणानिधि राज्य में दो मुख्य प्रतिद्वंदी थे। साल 1949 में डीएमके की स्थापना हुई थी वहीँ जब 1972 में पार्टी में विभाजन हुआ तो अभिनेता से नेता बने एमजीआर रामचंद्रन को इस पार्टी से निकाल दिया गया। इसकी वजह थी कि एमजीआर के करुणानिधि के साथ मतभेद हो गए थे। जिसके बाद एमजीआर ने अन्ना द्रविड़ मुनेत्र कज़गम (एडीएमके) का गठन किया। एमजीआर की मृत्यु के बाद एडीएमके के दो भाग हो गए| एक का नेतृत्व एमजीआर की पत्नी जानकी रामचंद्रन ने किया तो दूसरी का नेतृत्व जयललिता ने किया, हालांकि बाद में चलकर 1989 में दोनों एक हो गए।
जब जयललिता ने आधी रात को करुणानिधि को जेल में डलवाया था
जयललिता और करुणानिधि के बीच राजनीतिक प्रतिद्वंदिता किसी से नहीं छिपी| जब जयललिता मुख्यमंत्री बनीं तो उन्होंने एक मामले में आधी रात को करुणानिधि को नींद में उठाकर हवालात में डलवा दिया था। ये तो सभी ने देखा है कि कैसे करुणानिधि अस्त-व्यस्त कपड़ो में पुलिस के सामने चीख पुकार कर रहे थे।
ऐसी रही है पर्सनल लाइफ
एम करुणानिधि. तमिल राजनीति का एक ऐसा सितारा, जिनके सफर की शुरूआत भले ही फिल्मों से हुई हो, लेकिन उनकी चमक से पूरा तमिलनाडु दमकता था| 14 साल की उम्र में सियासत शुरू करने वाले वो योद्धा, आज सबको छोड़कर चले गए| उनकी मौत ने सागर के किनारे रहने वाले लोगों को आंसुओं के समंदर में डुबो दिया| उनका करिश्माई व्यक्तित्व ही था, जिसकी वजह से वो 80 साल के राजनीतिक करियर में कभी चुनाव नहीं हारे|
एम करुणानिधि यानी मुथुवेल करुणानिधि का जन्म 3 जून, 1924 को नागापट्टिनम जिले के थिरूकुवलई में जन्म हुआ था| डीएमके में बतौर कार्यकर्ता अपनी स्पीच और स्क्रिप्ट लिखने की क्षमता के चलते करुणानिधी लगातार आगे बढ़ते रहे| उनकी फिल्में और नाटक उन्हें मशहूर बनाती गईं|
उनके सियासी सफर का टर्निंग प्वाइंट तब आया जब डीएमके ने कालाकुडी रेलवे स्टेशन का नाम एक कारोबारी के नाम पर डिलमियापुरम करने का विरोध किया| इस प्रदर्शन के दौरान उनपर 35 रुपये का जुर्माना लगाया गया| 5 महीने की जेल की सजा का आदेश हुआ | करुणानिधि ने जुर्माना अदा करने से मना कर दिया| एक साल तक जेल में सजा काटी| इस प्रदर्शन ने करुणानिधी को पार्टी के शीर्ष नेताओं की कतार में लाकर खड़ा कर दिया|
करुणानिधि ने 8वीं के बाद पढ़ाई छोड़ दी थी| इसके बाद वो सियासत के साथ फिल्मों के लिए स्क्रिप्ट लिखने लगे| उनकी लिखी फिल्में सफलता के झंडे गाड़ने लगीं| उन्होंने 100 से ज्यादा किताबें लिखीं, जिनपर कई फिल्में बन चुकी हैं| इसी बीच उनकी दोस्ती मशहूर एक्टर एम जी रामचंद्रन से हुई| करुणानिधि के लिखे फिल्मों पर रामचंद्रन जबरदस्त हिट हुए| वो सुपरस्टार बन गए| लेकिन व्यक्तिगत वजहों से दोनों की दोस्ती टूट गई|
करुणानिधि ने तीन शादियां की थीं| पहली पत्नी पद्मावती थीं| उनका अब निधन हो चुका है| दूसरी पत्नी दयालु अम्माल और तीसरी पत्नी रजति अम्माल हैं| करुणानिधि के सबसे बड़े बेटे एम के मुथू हैं| उनकी मां का नाम पद्मावती है| मुथू ने कई फिल्मों में काम किया है| उनके बेटे एमके अलागिरी दूसरी पत्नी दयालु अम्माल के पहले बेटे हैं| डीएमके सांसद और मंत्री रह चुके अलागिरी को अब पार्टी से निकाला जा चुका है| उन्होंने कंथी से शादी की है|
एम के स्टालिन, दयालु अम्माल के दूसरे बेटे हैं| माना जा रहा है कि वही करुणानिधि के सियासी उत्तराधिकारी भी हैं| मौजूदा समय में वह डीएमके के कार्यकारी अध्यक्ष और कोषाध्यक्ष हैं| तमिलनाडु विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष हैं| वह तमिलनाडु के पूर्व डिप्टी सीएम रह चुके हैं| उनकी पत्नी का नाम दुर्गावथी है| अपने पीछे इतना बड़ा सियासी कुनबा छोड़ गए करुणानिधि तमिलनाडु की जनता के लिए भगवान से कम नहीं थे|