Manikarnika फिल्म के लिए कंगना रनौत ने बहाया खून, सिर में लगे 16 टांके

फिल्म 'मणिकर्णिका' में झांसी की रानी बनीं एक्ट्रेस कंगना रनौत ने जी तोड़ मेहनत की है...

फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में झांसी की रानी बनने के लिए कंगना रनौत ने पसीने के साथ-साथ खून भी बहाया है। यकीन नहीं होता तो उनके सिर पर लगे टांके के निशान देख सकते हैं। कंगना ने एक इंटरव्यू के दौरान बताया कि शूटिंग के दौरान उनके सिर पर तलवार से चोट लगी। तलवार से कटने के साथ ही खून बहने लगा। इस कारण फिल्म की शूटिंग भी रूकी थी। फिर भी कंगना हिम्मत नहीं हारीं। इस फिल्म में इनके मर्दानी लूक का चर्चा भी जोर शोर से किया जा रहा है।

झांसी की रानी लक्ष्मी बाई की जीवनी पर बन रही फिल्म ‘मणिकर्णिका’ में काम करने को लेकर कंगना का कहना है कि वह इस महान वीरांगना का रोल करके खुद को सौभाग्यशाली मानती हैं। उनके जीवन को समझने के लिए ही वह इतना मेहनत की। वैसे चोट लगने पर उनको वीरांगना होने का दर्द समझ में आ रहा था। असल में यह फिल्म कंगना को बहुत ही प्रेरणा दी है। इन सभी बातों के कारण ही कंगना ये फिल्म साइन की थी।

गांधी जयंती पर टीजर लॉन्च
2 अक्टूबर को गांधी जयंती पर फिल्म ‘मणिकार्णिका’ के टीजर को लॉन्च किया गया। फिल्म ‘मणिकार्णिका’ का टीजर भी कमाल का है। कंगना रनौत ने फोटो के साथ शेयर किया। कंगना रनौत के फिल्म का टीजर लोगों ने बहुत पसंद किया है। इसके आधार पर कहा जा रहा है कि फिल्म पर्दे पर कमाल करेगी। लेकिन अभी रिलीज डेट को लेकर बात थोड़ी अटकी हुई है।

इस दिन होगी फिल्म रिलीज
फिल्म ‘मणिकार्णिका’ के रिलीज को लेकर कंगना रनौत ने लिखा है कि फिल्म 25 जनवरी, 2019 को सिनेमाघरों में आ जाएगी। अब देखना होगा कि कंगना रनौत झांसी की रानी में कितना कमाल दिखा पाती हैं। हालांकि फिल्म मेकर्स का दावा है कि फिल्म अच्छी कमाई करेगी। वैसे भी गणतंत्र दिवस के मौके पर वीरांगना पर आधारित फिल्म के चलने के आसार भी साफ दिख रहे हैं। हालांकि अभी रिलीज डेट को बदला भी जा सकता है।

‘मणिकार्णिका’ के सेट से नाना को मैसेज
तनुश्री और नाना पाटेकर विवाद को लेकर कंगना रनौत ने कहा कुछ दिन पहले कहा, ‘मैं कोई फैसला नहीं सुना रही हूं। इसके लिए मेरे पास कोई जगह नहीं। लेकिन मैं तनुश्री के साहस को सलाम करती हूं कि वह अपने साथ हुए घटना का जिक्र किया। यह उनका और आरोपी का अधिकार है कि वह अपनी बातों को रखें। ऐसे मुद्दों पर खुलकर बात होनी चाहिए ताकि समाज में जागरूकता फैले। दुर्भाग्य की बात है कि हममें आज भी शिष्टाचार की कमी है।’

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रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.