बर्थडे: मनोज कुमार ऐसे बने भारत कुमार, जिंदगी में सब मिला लेकिन अधूरी रह गई ये इच्छा

मनोज कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म ‘फैशन’ के जरिए बॉलीवुड में अपना कदम रखा। इस फ़िल्म में उन्होंने एक भिखारी का बहुत छोटा सा रोल निभाया था। जानिए कैसे बने वो भारत कुमार।

आज है मनोज कुमार का बर्थडे, ऐसे बनें भारत कुमार

दिग्गज एक्टर मनोज कुमार आज यानी २४ जुलाई २०१८ को ८१ वर्ष के हो गए। उनका असली नाम हरिकिशन गिरि गोस्वामी था। एक्टर मनोज कुमार का जन्म 24 जुलाई 1937 को पाकिस्तान के एबटाबाद में हुआ । मनोज कुमार को फिल्मों का शौक बचपन से था। फिल्मों को लेकर उनकी दीवानगी का अंदाजा इससे लगा सकते हैं कि दिलीप कुमार की फिल्म ‘शबनम’ में उनके किरदार के नाम पर ही अपना नाम मनोज कुमार रख लिया। साल 1965 में मनोज कुमार ने भगत सिंह की जिंदगी पर आधारित फिल्म ‘शहीद’ की। फिल्म से पहले मनोज कुमार भगत सिंह की मां से मिलने पहुंचे थे। यह फिल्म सुपरहिट रही थी जिसके बाद उन्होंने एक के बाद एक कई देशभक्ति फिल्में कीं। ज्यादातर फिल्मों में उनके किरदार का नाम भारत था। जिसकी वजह से लोग उन्हें ‘भारत कुमार’ के नाम से पुकारने लगे।

मनोज कुमार ने 1957 में बनी फ़िल्म ‘फैशन’ के जरिए बॉलीवुड में अपना कदम रखा। इस फ़िल्म में उन्होंने एक भिखारी का बहुत छोटा सा रोल निभाया था। ‘कांच की गुड़िया’ (1960) में मनोज कुमार को पहली बार मुख्य भूमिका में लिया गया। इसके बाद तो मनोज कुमार के करियर की गाड़ी जैसे पूरी स्पीड से चल पड़ी। जिसके बाद उन्हें लगातार कई फ़िल्मों में देखा गया। जी तोड़ मेहनत करने के बाद मनोज कुमार को फिल्मी दुनिया ने अपना ही लिया। फिल्मो में आने का सपना तो पूरा हुआ लेकिन मनोज कुमारकी एक ऐसी ख्वाहिश जो पूरी नहीं हो सकी। जी हां, एक मिडियाइंटरव्यू के दौरान मनोज कुमार ने अपने इस अधूरी रही ख्वाहिश के बारे में बात की थी। उन्होंने बताया, मैं दिल्ली में अपनी चाची से कहता था….. में बंबई जाऊंगा, एक्टर बनुंगा, सफ़ेद बंगला होगा, सफ़ेद गाडी होगी, सफ़ेद कुर्ता होगा, सफ़ेद धोती होगी और एक कमरे में बैठकर सितार बजाया करूँगा। जब यह सब ख़त्म हो गया तो चाची में कहने लगी, “सितार बाकी रह गयी” बाकि जो सोचा था वह पूरा हो गया….. सितार बजाना बाकी रह गया। अब लगता है कि, ऊपरवाला मेरी सितार बजा रहा है… पीठ दर्द देकर !

खैर, 1960 के दशक में मनोज कुमार की रोमांटिक फ़िल्मों में ‘हरियाली और रास्ता’, ‘दो बदन’ के अलावा ‘हनीमून’, ‘अपना बना के देखो’, ‘नकली नवाब’, ‘पत्थर के सनम’, ‘साजन’, ‘सावन की घटा’ और इनके अलावा सामाजिक सरोकार से जुड़ी फ़िल्मों में- ‘अपने हुए पराये’, ‘पहचान’ ‘आदमी’, ‘शादी’, ‘गृहस्थी’ और ‘गुमनाम’, ‘वो कौन थी?’ आदि फ़िल्में शामिल थीं। फ़िल्मों में उनके योगदान को देखते हुए मनोज कुमार को कई सारे अवार्ड्स से सम्मानित किया गया। बता दे कि, मनोज कुमार को दादा साहब फाल्के, पद्मश्री, फिल्मफेयर लाइफ टाइम अचीवमेंट जैसे अवार्ड्स से सम्मानित किया जा चुका है। उनके जन्मदिन पर हम उनके स्वास्थ्य और लंबी उम्र की कामना करते हैं। हिंदी रश डॉट कॉम के तमाम पाठकों की तरफ से उन्हें जन्मदिन की ढेरों शुभकामनाएं।

मनीषा वतारे :Journalist. Perennially hungry for entertainment. Carefully listens to everything that start with "so, last night...". Currently making web more entertaining place.