जानिए क्या है #MeToo मूवमेंट? 24 घंटे में हिलाया USA, बॉलीवुड में हुई हलचल

2006 में #MeToo के जरिए सबसे पहले एक 13 साल की पीड़िता बच्ची की कहानी सामने आई और फिर ये दुनिया में फैली...

#MeToo मी टू, मी टू, मी टू… सुनकर समझ तो गए ही होंगे कि आखिर ये है क्या? फिर भी हम आपको ठेठ देसी भाषा में बता देते हैं। हमारे यहां इसे लंगोट का ढीलापन कहा जाता है। यानी कि ऐसा व्यक्ति जो रिश्ता-नाता, उम्र, कायदे-कानून सबको ताक पर रख कर किसी बच्ची या महिला को छेड़ता है यानी उसकी इज्जत के साथ खेलता है। वैसे पीड़ित की लिस्ट में पुरुष भी हो सकता है। ऐसे लोगों की पोल खोलने के लिए मी टू अभियान चलाया गया। लेकिन ऐसे करने वालों में कोई गंवई गंवार नहीं बल्कि हाई-फाई साहब-सुथरों की भरमार है।

इस मी टू को शब्द के हिसाब से छोटा ना समझें। वो एक कहावत हैं ना ‘सतसइया के दोहरा ज्यों नावक के तीर। देखन में छोटे लगैं घाव करैं गम्भीर।’ बस कुछ ऐसा ही है क्योंकि इस मूमेंट ने अमेरिका सरकार को हिला दिया तो वहीं दक्षिण कोरिया की सरकार भी सकते में आ गई। बारी अब भारत की है… वैसे महिला कल्याण मंत्री मेनका गांधी समर्थन में खड़ी हो गई हैं। कब कौन सितारा बेनकाब हो जाए कोई नहीं जानता। सच कहा जाए तो सबकी धड़कनें तेज हो गई होंगी। अब किस की बारी है? यह तो आने वाला वक्त बताएगा। मी टू मूमेंट ना होता शायद अमेरिका, कोरिया से लेकर भारत की एक्ट्रेस का दबा दर्द बाहर ना निकलता।

इस लाइन से मी टू की शुरुआत

हॉलीवुड और बॉलीवुड के बड़े-बड़े सितारों से पहले हम बात करते हैं मी टू की पहली पीड़िता की। तराना बुर्के 2006 में एक 13 साल की बच्ची की यौन उत्पीड़न को दुनिया के सामने लाई। “empowerment through empathy” लाइन के साथ इसे चलाया गया। इस कहानी ने सुनने वालों को सहमा दिया था। इस कहानी की पुकार हॉलीवुड तक पहुंची। और फिर क्या था… 2017 में हॉलीवुड फिल्म निर्माता हार्वी वाइंस्टीन पर 60 महिलाओं ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया। तब तहलका मच गया। जिस तरह आज नाना पाटेकर जैसे वरिष्ठ कलाकार पर लगने के बाद हुआ है।

आंदोलनकारी महिला तराना बुर्के

वैसे ये अभियान न्यूयॉर्क के एक शहर हार्लेम (Harlem) की आंदोलनकारी महिला तराना बुर्के (Tarana Burke) ने 2006 में शुरू किया। 2018 तक इसका असर कायम है। तनुश्री दत्ता का दस साल बाद बयान देना नाना पाटेकर के बाद विकास बहल, गणेश आचार्य, चेतन भगत, रजत कपूर, आलोक नाथ जैसे कलाकारों का घिर जाना। इस अभियान की आग को बताता है।

 

यूनीसेफ के आंकड़े

मी टू के आते ही आखिर क्यों इतनी कामकाजी महिलाएं खुलकर बोलने लगीं। ये दर्द आज का नहीं है, ये तो एक परंपरा की तरह चलता आ रहा है। वैसे यूनीसेफ के एक आंकड़े के बताते हैं कि दुनिया में एक करोड़ बीस लाख लड़कियां ऐसी हैं जो कभी न कभी यौन उत्पीड़न का शिकार हुई हैं। इससे भी दुख की बात यह है कि 20 साल की उम्र आते-आते ये लड़कियां यौन उत्पीड़न की बलि चढ़ जाती हैं। अभी हाल ही में अमेरिका की अभिनेत्री पद्मलक्ष्मी की कहानी सुनिए या फेरेरा की जो कि 10 साल की उम्र में ही यौन शोषण का शिकार हो गईं थीं। हमनें तो ये उदाहरण के तौर पर बताया है। पर ऐसी बहुत घटनाएं हैं जो कि हम आप रोज देख रहे हैं।

अब इतनी लड़कियों का दर्द तो कभी ना कभी बाहर आना ही था। आज ये लड़कियां एक्ट्रेस है तो अफसर और भी जाने क्या-क्या…

24 घंटे में हिला अमेरिका

वैसे ये मूमेंट तब तेज हुआ जब हार्वी वाइंस्टीन की पोल खुली और अभिनेत्री एलीसा मिलानों ने सोशल मीडिया पर लिखा कि मी टू लिख कर अपनी कहानी शेयर करें। इसके बाद क्या था। उसी दिन दोपहर तक इसकी 50हजार प्रतिक्रियाएं मिलीं व अगले दिन 47 लाख लोगों ने अपनी 1.20 करोड़ पोस्ट में 5 लाख से ज्यादा बार मी टू शब्द का इस्तेमाल किया। यह सब महज 24 घंटे के अंदर हुआ था। इसके बाद शुरू हुआ हॉलीवुड का काला इतिहास और दिल को सहमाने-डराने वाली कहानियां बाहर आई। नीथ पाल्ट्रो, एशली जुड, जैनिफर लारेंस, उमा ह्रुमैन जैसे कलाकार की पोल खुली। मी टू के कारण ही उबर कैब कंपनी के को-फाउंडर और CEO ट्रैविस कैलानिक को इस्‍तीफा देना पड़ा।

आंकड़े बताते हैं कि अमेरिका में कंप्यूटर का इस्तेमाल करने वाले 45 फीसदी लोगों को यौन शोषण का शिकार होना पड़ता है। इस मुकाबले अभी बहुत सी कहानियां बाहर आनी बाकी हैं। लेकिन मी टू ने अमेरिकी सरकार को हिला दिया। इस साल अमेरिकी सीनेट संगठन ने 26 जनवरी को सांसदों की जवाबदेही अधिनियम 1995 में इस तरह के मामलों से निपटने के लिए संशोधन पेश किया।

जाते-जाते हम भारत की उन बड़ी घटनाओं पर नजर डालते हैं….

अभी कुछ देर पहले ही एक घटना सामने आई है। अब बॉलीवुड के संस्कारी बापू आलोक नाथ के कुसंस्कार के पोल की भी खुल गया है। आलोक नाथ के साथ काम कर चुकी प्रोड्यूसर विंटा नंदा ने फेसबुक पर एक पोस्ट करके आरोप लगाया है। विंटा का आरोप है कि आलोक नाथ ने नशीली चीजें पिलाकर उसके साथ रेप किया था।

कंगना रनौत हिंदी सिनेमा की बेबाक एक्ट्रेस हैं। इन्होंने इससे पहले रितिक रोशन, आदित्य पंचोली जैसे कलाकारों की पोल खोली। इसके बाद तनुश्री केस के बाद कंगना ने विकास बहल पर आरोप लगाया, ‘क्वीन की शूटिंग के दौरान विकास बहल मुझे कसकर पकड़ लेते थे। इसके बाद वह अपना चेहर मेरे गर्दन पर रगड़ते और मेरे बालों को सूंघते। वह इतना कसकर पकड़ते थे कि उनसे छुड़ा पाना मुश्किल होता था। इस दौरान वह सेक्स की बातें किया करते थे। इतना ही नहीं वह बताते थे कि हर दिन नई लड़कियों के साथ संबंध बनाते हैं… हालांकि इन बातों से मैं बहुत डर चुकी थी। फिर वह हर दिन मेरे साथ ऐसा करते थे। विकास कहते थे कि कंगना के बालों की खुशबू उनको अच्छी लगती है।’ अब तक विकास बहल पर दो आरोप लग चुके हैं।

इसी तरह मशहूर एक्टर रजत कपूर, सूफी सिंगर कैलाश खेर, चर्चित लेखक चेतन भगत के नाम सामने आ चुके हैं। हालांकि मामला सामने आते ही रजत कपूर और चेतन भगत ने माफी मांग ली है। इसमें ना केवल बड़े कलाकार बल्कि टीवी और वेब कलाकार के नाम भी सामने आ चुके हैं। जिस पत्रकार ने कैलाश खेर पर आरोप लगाए हैं उसने यह भी लिखा कि मॉडल टर्न्ड एक्टर जुल्पी सईद ने उनको जबरन किस किया था। इतना ही नहीं विरोध करने पर कमरे में बंद कर रखा था। इन आरोपों के बाद जुल्पी सईद सामने नहीं आए हैं।

इसके अलावा ऑल इंडिया बकचोद (AIB) के मशहूर युवा कॉमेडियन और यू-ट्यूबर उत्सव चक्रवर्ती पर भी एक राइटर ने यौन उत्पीड़न का आरोप लगाया है। हालांकि आरोप लगने के साथ ही उत्सव ने अपनी सफाई पेश की थी। फिलहाल इस मामले की जांच मुंबई पुलिस कर रही है। इस कारण ऑल इंडिया बकचोद के कॉमेडियन तन्मय भट्ट और गुरसिमरन खंभा को बाहर होना पड़ा है।

अमेरिका में तो इस प्रभाव पड़ा लेकिन भारत के संदर्भ में बात करें तो तनुश्री दत्ता के खुलासे के बाद कईयों की जान आफत में पड़ी है। वैसे इससे पहले भी खुलासे हुए थे लेकिन तनुश्री की घटना के बाद मी टू की तरह ही रफ्तार देखने को मिल रही है। इसके साथ हमारी मंत्री मेनका गांधी खड़ी हो गई हैं। देखिए क्या होता है। अभियान जारी है, कहानियां आ रही हैं। बाकि काम कानून का है और हमारी सरकार का। वैसे मी टू केवल महिला और अभिनेत्री के लिए नहीं है। यदि आप पुरुष या आम लोग भी इस तरह के दौर से गुजर चुके हैं तो अपनी कहानी हमारे साथ या सोशल मीडिया पर शेयर कर सकते हैं।

वीडियो देखें…

रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.