जब से नवाजुद्दीन सिद्दीकी ‘ठाकरे ’ के किरदार में नज़र आये हैं तबसे इस बात पर लगातार बहस हो रही है कि वो स्क्रीन पर दिवंगत शिवसेना नेता ठाकरे के किरदार को निभाने के लिए सही हैं या फिर नहीं? एक तरफ जहां इस बात से सभी सहमत है कि नवाज एक एक्टर के तौर पर शानदार हैं वहीँ बालासाहेब ठाकरे जैसे शक्तिशाली किरदार के साथ क्या वो पूरा न्याय करेंगे? जबकि वो एक मुस्लिम है? समाज का एक निश्चित वर्ग इस राजनीतिक फिल्म को एक सांप्रदायिक लड़ाई में बदलने के लिए तैयार है| ऐसा माना जाता है कि शिवसेना एक मुस्लिम विरोधी, पाकिस्तान विरोधी, प्रवासी विरोधी और विरोधी है|
अब हाल ही में नवाज़ुद्दीन सिद्दीकी ने टाइम्स ऑफ़ इंडिया को दिए एक बयान में इस मामले पर बात करते हुए नज़र आये| इस ‘सांप्रदायिक’ बैकलैश पर कमेंट करते हुए उनका कहना था, “हजारों लोग हजारों बातें कहेंगे … आज हर छोटी-छोटी बात पर विवाद हो रहा है। बल्कि अपने विचारों को बड़ा बनाने की जगह लोग इसे संकीर्ण बना रहे हैं। मैं एक अभिनेता हूं, मैं कोई भी भूमिका करूंगा। और इसके अलावा, क्या किसी ने इसके दूसरे पक्ष को देखने की कोशिश की है? अब, शिवसेना, उनकी टीम या संजय राउत ने मुझे यह भूमिका दी है। मेरी जाति के आधार पर नहीं दी है| उन्होंने यह नहीं देखा कि क्या मैं मुस्लिम हूं या क्या हूँ?
नवाज़ुद्दीन ने अपनी बात बढ़ाते हुए कहा, “वे मुझे एक कलाकार के रूप में मानते हैं जो बालासाहेब ठाकरे जैसे चरित्र के साथ न्याय कर सकता है। कोई इस बारे में बात क्यों नहीं कर रहा है? अगर मैं एक निश्चित समुदाय में पैदा हुआ हूँ तो मैं इसके लिए कैसे जिम्मेदार हूं? ऐसा तो नहीं है कि हम अपनी पसंद के मुताबिक बाहर निकलते हैं। मुझे इस बात का गर्व है कि मैं कौन हूं और मुझे लगता है कि कम से कम हम सभी इतना कर सकते हैं कि शिवसेना की तारीफ करें कि उन्होंने अपने विचारों को बढ़ाते हुए मुझे इस रोल को करने के लिए चुना| ना कि मेरी जात देखी| लोगो का क्या है?| ”