मूवी: पानीपत
पानीपत डायरेक्टर: आशुतोष गोवारिकर
पानीपत कास्ट: अर्जुन कपूर, संजय दत्त, कृति सेनन
पानीपत रेटिंग: 3.5/5
किसी भी क़िताब को उसके कवर से नहीं जज करना चाहिए और फिल्म को उसके ट्रेलर से। पानीपत (Panipat) ट्रेलर कई जोक बने थे, लेकिन मेकर और अभिनेता ने इस मीम्स पर मुंहतोड़ जवाब दिया है। साथ समीक्षक को भी।
कई लोगों को गलतफैमी है कि यह पानीपत तीसरा युद्ध है। यह फिल्म शुरवात से पॉलिटिक्स, युद्ध, युद्ध गठबंधन, और विश्वासघात से भरा है। फिल्म का स्क्रिप्ट विस्तार में जैसा कि हमने स्कूल में इतहास की क़िताब में पढ़ी थी। स्कूल में हमने किस भारत देश के राज्य पर ज़्यादा ध्यान दिया था इस पर निर्भर करता है। इतिहास की किताब में मराठा साम्राज्य, मुग़ल्स और ब्रिटिश उपनिवेश के बारे में बताया गया है।
आशुतोष गोवारिकर (Ashutosh Gowariker) का पानीपत उसी क़िताब पर निर्भर है। फिल्म पानीपत 1761 के मराठा साम्राज्य पर निर्भर है जो अपने शिखर पर पहुंच गया, और हिंदुस्तान पर उनकी तब तक पकड़ थी जब उनकी हिंदुस्तान की सिंहासन पर किसी की नज़र नहीं गई और उसे पाने के लिए किसीने उनको चुनौती नहीं दी। तभी मराठा सेना के कमांडर-इन-चीफ सदाशिव राव भाऊ (Arjun Kapoor) ने अफगानिस्तान के राजा अहमद शाह अब्दाली (Sanjay Dutt) की हमलावर सेना को पीछे हटाने के लिए एक उत्तरी अभियान का नेतृत्व किया था।
आशुतोष ने रॉयल फैमिली और उनके रिश्तों को अच्छे से डिटेल में समझा है। इस स्क्रिप्ट में सदाशिवराव भाऊ और पारवती बाई के प्रेम कहानी को बड़ी तीव्रता से प्रेरित किया है। उनका केमिस्ट्री अत्यधिक महत्वपूर्ण किरदार निभा रहे हैं। इस फिल्म में दिलचस्प यह है की, अब्दाली प्रतिरोधी है और युद्ध के समय सही या गलत कुछ नहीं है।
समीक्षक को यह फिल्म बड़ी और लम्बी लगी लेकिन कुछ कहानी को टाइम तो चाहिए होता है और आशुतोष ने इसे अच्छे से दिखाया है। आशुतोष ने इसे अपने अंदाज़ में दिखाया की कोशिश की और वे सफल भी रहे। ऐसे में दो डायरेक्टर की तुलना करना सही नहीं होगा, हर किसी की अलग स्टाइल होती है।
आशुतोष ने बखूबी दोनों दोनों लीड अभिनेता का बेस्ट परफॉरमेंस कराया है। उन्होंने सिर्फ डांस पर ही फोकस नहीं किया है बल्कि, युद्ध पर भी सैनिक रणनीतिओं पर सावधानिकपूर्वक जांच की है। पानीपत सदाशिवराव भाऊ और अहमद शाह अब्दाली दोनों के सैनिक रणनीतिओं के लिए आदर प्रदान किया है। हालाँकि, सती महिमागान देखने का अनुभव सबसे अच्छा लगा, भले ही यह अस्तित्व में हो या ना हो।
अर्जुन और कृति (Kriti Sanon) दोनों को शाबाशी देने चाहिए की आपने करियर को रिस्क में डालकर दोनों ने इतना बड़ा जोखम उठाया है। अर्जुन का अब तक सबसे अच्छा प्रदर्शन है। मूवी के पहले भाग में अपने किरदार के जरिये दर्शकों का इंटरेस्ट बनाने में सफल रहे, दुसरे भाग में काफी गहरा कनेक्शन बनाया है और अंत के युद्ध के सीन में दिल जीत लिया। कृति ने अपने किरदार को बखूबी निभाया है। उसका किरदार पुराने जामने से जुड़े पतिव्रता स्त्री जो अपने पति का साथ देती है।
कृति, पारवती बाई के किरदार में बेहद सुन्दर दिख रही है। वह बड़े चतुराई से प्रेमी और एक योद्धा की पत्नी के बीच बदल जाती दिखाई दे रही है। संजय दत्त को उनके क्रूर, गुस्सैल, और घमंडी किरदार से किरदार में देख आपको उनसे नफरत हो जायेगी। हालाँकि संजय के बोलने के तरीके से आप उनकी और प्रभावित हो जायेंगे। सपोर्टिंग रोल में मोहनीश बहल और पद्मिनी कोल्हापुरी ने अच्छे से किरदार निभाया है। स्पेशल अपीयरेंस में ज़ीनत अमान को देख के बहुत अच्छा लगा।
नीता लूला (कॉस्ट्यूम डिज़ाइन) और नितिन देसाई (सेट डिज़ाइन) दोनों को इस फिल्म में जान डालने के लिए श्रेय देना चाहिए। इस फिल्म में छोटे छोटे चींजो पर बारीकी से ध्यान रखा गया है। जैसे की पैशाक, हथियार जो युद्ध में इस्तेमाल हुआ और जेवर को मुग़ल और पेशवा के ज़माने में इस्तेमाल होते है उसे देख बहुत अच्छा लगा। यहाँ तक कि केले का झाड़ जो शुभ दिन घर में लगाया जाता है उसे भी ध्यान में रखकर अच्छे दिखाया गया है। गाने भी फिल्म में सही जगह बिठाया गया है लेकिन वह चार्टबस्टर साबित नहीं हुए। बैकग्राउंड म्यूजिक फिल्म में जान डालती थी ख़ास तौर पर युद्ध के सीन में।
पानीपत उनके लिए है जिन्हें इतिहास से वाकिफ़ नहीं है और जिन्हें मराठा साम्राज्य के बारे में पता नहीं है। यह एक युद्ध फिल्म नहीं है। युद्ध इस फिल्म का सिर्फ एक हिस्सा है। आशुतोष, अर्जुन और कृति का पानीपत के बारे में है कि कैसे शक्तिशाली साम्राज्य ने इसे बनाया और निरंतर रखा। जब राजनीती जितने और सिद्धांतो के बीच किसी एक चुनना हो तो क्या होता है? यह वीरता के बारे में है, यह लड़ाई के वक़्त दुश्मन से हार कर जितने के बारे में है।
यहां देखें पानीपत ट्रेलर:
Movie reviewed by group editor Vaibhavi V Risbood