जब किसी व्यक्ति की मौत हो जाती है तो उसके पार्थिव शरीर को दफनाया या फिर जलाया जाता है। लेकिन दुनिया में एक ऐसी जनजाति है जो मरने के बाद उनके शव को घर में सजाकर रखती है। जी हां, न्यू गिनी में मौजूद पापुआ के पहाड़ों के बीच दानी नामक एक जनजाति निवास करती है। जो अपने पूर्वजों के पार्थिव शरीर को आज भी घर में सजाकर रखने के लिए जानी जाती हैं।
पार्थिव शरीर पर लगाया जाता है धुआं
पहाड़ों के बीच में अपना जीवन व्यतीत कर रही इस जनजाति के लोग अपने घर में पूर्वजों के पार्थिव शरीर के साथ कई दिनों तक बैठे रहते हैं। बाद में वह मृतक के पार्थिव शरीर को ममी का रुप देने के लिए उस पर धुआं लगाते है। धुआं को शरीर पर तब तक लगाया जाता है जब मृतक पार्थिव शरीर एक ममी का रुप न ले लें।
1938 में हुई इस गांव की खोज
ऐसा इसलिए किया जाता है ताकि लाश कई सालों तक सुरक्षित रखी जा सकें। इसके साथ ही पश्चिमी पापुआ के वामने में मौजूद इस गांव को पहली बार अमरीकन जूलॉजिस्ट रिचर्ड आर्कबोल्ड ने 1938 में खोजा था। तस्वीरों में आप देख सकते है कि कैसे वहां रहने वाले लोग मारे हुए लोग उठाकर चल रहे हैं। मृतक के पार्थिव शरीर को एक लकड़ी और बास से बनी कुर्सी पर बैठकर उसे ले जाया जा रहा हैं।
इंडोनेशिया में भी होता है ऐसा कुछ
ऐसा केवल न्यू गिनी में मौजूद पहाड़ो में ही नहीं किया जाता बल्कि इंडोनेशिया के टोराजा संप्रदाय के लोग भी अपने अपनी एक अलग प्रथा के लिए जाने जाते हैं। दरअसल टोराजा संप्रदाय के लोगों का यह विश्वास है कि मरने के बाद जीवन खत्म नहीं होता है बल्कि मरने के बाद भी वो लोग जिंदा रहते है। टोराजा संप्रदाय के लोग मुर्दों को एक जिंदा इंसान की तरह ही मानते हैं। इतना ही नहीं उन्हें खाना भी खिलाते है और उसे साथ में रखते हैं।
मृतक के शरीर का रखते है ख्याल
साथ ही ये लोग अपने परिवार में मृतक के शरीर को नहलाते है और उन्हें कपड़े भी पहनाकर रखते है। इस संप्रदाय में जब किसी की मौत हो जाती है तो उसे दफनाने की बजाए एक भैंस की बलि दी जाती है। इनके यहां ये माना जाता है कि जितने ज्यादा जानवरों की बलि दी जाएगी उतना ही मृत की आत्मा के लिए अच्छा रहेगा।