‘बरखुरदार’ यह शब्द जैसे प्राण (Pran) का ही दूसरा मतलब है! आपको लगता होगा कि आप प्राण को बहुत अच्छी तरह जानते हैं, लेकिन हम आपको बताएंगे इस महान शख्स से जुड़ी कुछ दिलचस्प बातें जो शायद ही कोई जानता होगा! पाकिस्तान से भागते हुए, प्राण भारत की आजादी से ठीक एक दिन पहले, 14 अगस्त, 1947 को अपनी पत्नी और एक साल के बेटे अरविंद के साथ लाहौर से मुंबई आए। अजीब है मगर, कहा जाता है कि पार्टीशन में उन्होंने अपना सबसे कीमती – अपना कुत्ता खो दिया। इस कुत्ते को याद करके प्राण खूब रोया भी करते थे। मुंबई में उनके पास बुलेट, व्हिस्की और सोडा नाम के कुत्ते थे।
Happy Birthday Pran: प्राण ने 1₹ में साइन की थी ‘बॉबी’, विलन बनकर डराने वाले प्राण को लगता था इस शख्स से डर!
Pran Birthday Special, Happy Birthday Pran: प्राण वो थे जिन्होंने एक लम्बे और भारी आवाज़ वाले लड़के को अमिताभ बच्चन बनाया! विलन बनकर डराने वाले प्राण को लगता था इस शख्स से डर!
बहुत कम लोग जानते हैं कि उनका पूरा नाम प्राण कृष्ण सिकंद है और वह एक फोटोग्राफर बनना चाहते थे और यहां तक कि ‘अ दास एंड कंपनी’, दिल्ली में उन्होंने फोटोग्राफी सीखने के लिए नौकरी भी की थी। ये भी आप नहीं जानते होंगे कि एक्टिंग का A प्राण ने एक रामलीला से सीखा था और इसमें एक्टिंग भी की थी।
प्राण का परिवार उनके एक्टिंग करियर को लेकर ज्यादा खुश नहीं थे। प्राण अपने परिवार से इतना डर गए थे कि उन्होंने अपने पहले ब्रेक के बारे में किसी को नहीं बताया। 1940 में एक पंजाबी फिल्म, ‘यमला जट ’में अपनी पहली भूमिका पाने के बाद, प्राण ने अपने पिता को इस बारे में बताने की हिम्मत नहीं थी। यहाँ तक कि उन्होंने अपनी बहन से उस अखबार को छुपाने के लिए भी कहा जिसमें उनका इंटरव्यू छपा था। एक्टिंग के लिए उनका प्यार ऐसा था कि उन्होंने फिल्म बॉबी सिर्फ 1 रूपये में साइन की थी।
प्राण फिल्मों में सबसे अधिक फीस लेने भुगतान पाने वाले अभिनेताओं में से एक थे। एक ऐसा भी समय था जब लीड एक्टर्स से ज्यादा फीस प्राण की हुआ करती थी, अमिताभ बच्चन से भी ज्यादा! ये प्राण ही थे जिन्होंने अमिताभ बच्चन को प्रकाश मेहरा तक लेकर गए थे और उन्हें फिल्म ‘जंजीर’ मिली थी, जिसे पहले देव आनंद, राज कुमार और धर्मेंद्र को ऑफर किया गया था।
पार्टीशन के बाद, प्राण ताजमहल होटल में रुके थे। क्यूंकि उनके पास कोई काम नहीं था और जब आर्थिक तंगी आई तो वो अपने अपरिवार को लेकर छोटे होटल में शिफ्ट हो गए। अंत में उन्हें एक गेस्ट हाउस में रहना पड़ा। मुंबई आने के आठ महीने बाद, लेखक सआदत हसन मंटो और अभिनेता श्याम की मदद से, प्राण को 1948 में शहीद लतीफ़ की फिल्म ‘जिद्दी’ में एक भूमिका मिली।
प्राण अपने मेकअप पर भी बहुत ध्यान देते थे। ये चौंकाने वाली बात है कि उनके घर पर एक कलाकार को रखा गया था, जो उनके फिल्म वाले लुक को स्केच करेगा फिर, उनका मेकअप मैन और विग बनाने वाले लुक पर काम करेंगे। गुमनाम, परवरिश, ज़ंजीर, डॉन और शहीद जैसी फिल्में हैं जिनके कैरेक्टर को उनके पहनावे और स्टाइल के ज़रिये पहचाना जाता है। बुरी बात ये है कि प्राण ने 1990 के दशक में उम्र से संबंधित समस्याओं की वजह से फिल्म के ऑफर्स को स्वीकार करना बंद कर दिया था।
जाते जाते बता दें कि कई महीनों से तबियत बिगड़ने के कारण उन्हें कुछ समय के लिए अस्पताल में भर्ती कराया गया था; वो काफी समय से निमोनिया से भी जूझ रहे थे। मुंबई के लीलावती अस्पताल में उनका इलाज किया गया और 12 जुलाई 2013 को उनका निधन हो गया।