प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) इंडस्ट्री का जाना माना नाम हैं. वो जल्द ही मधुर भंडारकर की फिल्म लॉकडाउन (Lockdown) इंडिया में नजर आने वाले हैं. प्रतीक इस फिल्म में एक माइग्रेंट वर्कर के किरदार में नजर आने वाले हैं. प्रतीक बब्बर अपने इस किरदार को अपनी मां के लिए ट्रिब्यूट करना चाहते हैं. इसी बीच एक इंटरव्यू में प्रतीक (Prateik Babbar) ने अपनी जर्नी, अप्स ऐंड डाउन और मां स्मिता पाटिल से जुड़े कुछ दिलचस्प किस्से शेयर की.
फिल्म को करने की खास वजह
दरअसल, जब इंटरव्यू में प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) से पूछा गया कि आखिर फिल्म करने की कोई खास वजह? तो एक्टर ने जवाब में कहा, ‘जब मधुर भंडारकर सर मेरे पास यह स्क्रिप्ट लेकर आए, तो मुझे हैरानी जरूर हुई थी. क्योंकि अभी तक मैंने ऐसा कोई किरदार निभाया नहीं था. यह मेरी इमेज के विपरीत सा किरदार है. हम माइग्रेंट वर्कर्स की जिंदगी से वाकिफ हैं. उनकी रोजानी की दिक्कतों को हम जानते हैं.अपने परिवार को चलाना उनके लिए बहुत बड़ा स्ट्रगल होता है. खासकर जब लॉकडाउन हुआ था, उस वक्त सबसे ज्यादा असर किसी पर पड़ा था, तो वो इसी तबके के लोग थे. मुसीबत इतनी थी कि उन्होंने अपने घर पहुंचने के लिए पैदल चलना शुरू कर दिया था. मुझ पर बहुत बड़ी जिम्मेदारी थी कि मैं इस कम्यूनिटी को सही तरीके से प्रोजेक्ट कर सकूं. पूरी शूटिंग का एक्स्पीरियंस बहुत कमाल का रहा है. एक और कारण यह भी था कि मेरी मां (स्मिता पाटिल) ने ऐसे किरदारों को परदे पर निभाया है. उनके कई रोल्स से जमीन से जुड़े हुए रहे हैं. मैं उनको अपने तरीके से ट्रिब्यूट देना चाहता था’. यह भी पढ़ें: कार्तिक आर्यन के 32वें जन्मदिन पर उनके पैरेंट्स ने दिया खास सरप्राइज, एक्टर हुए इमोशनल; शेयर किया ऐसा नोट!
मां स्मिता पाटिल का सुपरस्टार होना आपके लिए किसी प्रेशर जैसा है
इसके बाद जब प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) से पूछा गया कि अपनी मां स्मिता पाटिल का सुपरस्टार होना आपके लिए किसी प्रेशर जैसा है, इस पर प्रतीक ने कहा, ‘हां मैं इससे प्रेशर में ही रहता हूं. हालांकि इसी प्रेशर से मुझे एनर्जी भी मिलती है. मैं इससे और कॉन्फिडेंट हो जाता हूं. मुझे लगातार याद दिलाया जाता है कि मैं कितनी प्रतिभाशाली एक्टर का बेटा हूं. मेरे लिए उनकी तरह बनना बड़ा अचीवमेंट होगा. जब भी मां के बारे में सोचता हूं, उनकी फिल्में या तस्वीरें देखता हूं, तो उस वक्त क्या महसूस करता हूं, उसे शायद मैं बयां न कर पाऊं. मां से जुड़ी बातें कीमती होती हैं. उनसे जुड़े किस्से कहानियां जब लोग आकर सुनाते हैं, तो मुझे उन लोगों से जलन होती है. हालांकि मैं उनका शुक्रगुजार हूं कि उनकी वजह से मां को जान पाया हूं. मैं बहुत लकी हूं कि स्मिता पाटिल (Smita Patil) को मैं उनकी फिल्मों के जरिए भी जानता हूं. पता है, वो मेरे साथ नहीं हैं लेकिन अब लगता है कि मैं उनको अच्छी तरह से जान गया हूं. लेकिन वो काश… काश… वाली जो बात है, वो मुझे अक्सर तकलीफ देता है. काश.. वो होतीं मेरे साथ, काश मुझे उनके साथ जीने का मौका मिलता, काश मां का वो प्यार मिल पाता. पर सोचता हूं कि उनका साया तो जरूर मेरे साथ होगा, वो मुझे ऊपर से गाइड करती रहेंगी. रही बात गुस्से की, तो हां, बहुत गुस्सा आता है. उस गुस्से की वजह से ही तो मेरी करियर लगभग खत्म हो गया था. मां के गुस्से से मैंने अपने आपको और अपनी जिंदगी को लगभग खत्म ही कर दिया था. अब वो गुस्सा थोड़ा कम हुआ, जब मेरे नाना-नानी गुजर गए. तब मैं थोड़ा सा जमीन से जुड़ गया’.
खुद को तबाह करने से कैसे बचाया
खुद को तबाह करने से कैसे बचाया? इस सवाल पर प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) ने कहा, ‘खुद की आवाज ने ही बचाया है. कहीं न कहीं वो आपके अंदर से आती है, और मेरे साथ भी ठीक वैसा ही हुआ. मैंने अपने गुस्से की वजह से बहुत भुगता है. मैं भगवान का शुक्रगुजार हूं कि मैं सारे सिचुएशन को समझ पाया हूं. अब मैंने चीजें स्वीकारना शुरू कर दी हैं. सबसे ज्यादा गुस्सा इसी बात पर आता था कि वो क्यों नहीं है यहां मुझे गाइड करने के लिए, मैं सही या गलत कर रहा हूं, वो क्यों नहीं बताती है. मैं क्या कर रहा हूं, इसके बारे में कौन बात करेगा. मैं तो हमेशा ऊपर देखकर यही कहता था कि मैं ऐसा इसलिए हूं, क्योंकि तुम नहीं थी. तुम्हारी वजह से मैंने खुद को ऐसा किया है. मैंने खुद से सवाल करता कि क्या मैं इसलिए इतना गलत कर रहा हूं क्योंकि मेरी मां नहीं है. मेरी परवरिश नॉर्मल लोगों सी क्यों नहीं है’. यह भी पढ़ें: HBD Tridha Choudhury: ‘आश्रम’ में बोल्ड सीन देकर चर्चा में आई त्रिधा चौधरी, 19 साल की उम्र में शुरू की एक्टिंग
फिल्मी परिवार से होने के बावजूद आपकी परवरिश आम लोगों जैसी
फिल्मी परिवार से होने के बावजूद आपकी परवरिश आम लोगों जैसी रही है. इस पर प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) ने कहा, ‘मैं स्मिता पाटिल और राज बब्बर का बेटा हूं. लेकिन परवरिश एक टिपिकल मराठी मिडिल क्लास फैमिली वाली रही. मुझे जानबूझ कर फिल्मी दुनिया से दूर रखा गया था. मैं कहूंगा कि मैं दोनों की जिंदगी समझता हूं. मेरी प्रीविलेज्ड परवरिश नहीं रही है. इनफैक्ट मेरे कोई फिल्मी दोस्त नहीं रहे हैं. स्टारकिड्स के साथ मैं नहीं पला बढ़ा हूं. जबकि मेरे भाई-बहन आर्या और जूही ने बचपन से वही देखा है. आज भी मैं फिल्मी स्टार्स को अपना दोस्त कहने से हिचकता हूं. आउटसाइडर्स की ही तरह कई बार रिजेक्ट हुआ और कई बार ऐसा एहसास भी होता था कि मुझे बाकियों की तरह ट्रीट नहीं किया जाता है. हालांकि मुझे इससे कभी फर्क नहीं पड़ा. उल्टा लगता था कि यार मैं तो यूनिक हूं, मेरे जैसा कोई नहीं हो सकता है. मेरी जर्नी बहुत अलग है क्योंकि मेरी कहानी अलग है’.
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