जाने-माने कवि राहत इंदौरी ने मंगलवार को पुष्टि की कि उन्होंने COVID -19 के लिए सकारात्मक परीक्षण किया है। 70 वर्षीय गीतकार ने ट्विटर पर जानकारी साझा की और बताया कि कुछ शुरुआती लक्षणों का सामना करने के बाद उन्होंने वायरस का परीक्षण किया। उन्हें मध्य प्रदेश के अरबिंदो अस्पताल में भर्ती कराया गया है। और अब ख़बर आई है कि वो इस दुनिया में नहीं रहे।
पता चला है कि राहत कोरोना से पॉजिटिव थे मगर उनका देहांत दिल का दौरा पड़ने से हुआ है। प्रतिष्ठित कवि ने अपने प्रशंसकों को यह भी आश्वासन दिया कि वह उन्हें सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म ट्विटर और फेसबुक के माध्यम से अपनी स्वास्थ्य स्थिति के बारे में अपडेट रखेंगे।
राहत इंदौरी उर्दू कविता की शैली में एक प्रसिद्ध व्यक्ति हैं और उन्होंने कई बॉलीवुड गीतों के बोल भी लिखे हैं। उन्होंने मुन्नाभाई एमबीबीएस और मर्डर जैसी कुछ फ़िल्मों के लिए गीत भी लिखे थे। उनकी शायरियां आज के युवाओं में भी काफी मशहूर हैं। कुछ महीनों से उनकी एक शायरी, ‘बुलाती है मगर जाने का नहीं’ काफी फेमस हुई। इस लाइन पर कई मीम्स बने, कई जोक्स बनें और कुछ लोगो ने तो इसपर गाना भी बनाया।
पढ़िए इनकी मशहूर शायरियाँ-
बुलाती है मगर जाने का नहीं
ये दुनिया है इधर जाने का नहीं
मेरे बेटे किसी से इश्क़ कर
मगर हद से गुज़र जाने का नहीं
ज़मीं भी सर पे रखनी हो तो रखो
चले हो तो ठहर जाने का नहीं
सितारे नोच कर ले जाऊंगा
मैं खाली हाथ घर जाने का नहीं
वबा फैली हुई है हर तरफ
अभी माहौल मर जाने का नहीं
वो गर्दन नापता है नाप ले
मगर ज़ालिम से डर जाने का नहीं
आसमान लाये हो ले आओ ज़मीन पर रख दो.
मेरे हुजरे में नहीं, और कहीं पर रख दो,
आसमां लाये हो ले आओ, जमीं पर रख दो!
अब कहाँ ढूड़ने जाओगे, हमारे कातिल,
आप तो क़त्ल का इल्जाम, हमी पर रख दो!
उसने जिस ताक पर, कुछ टूटे दिये रखे हैं,
चाँद तारों को ले जाकर, वहीँ पर रख दो!
‘किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है’
अगर खिलाफ हैं, होने दो, जान थोड़ी है
ये सब धुँआ है, कोई आसमान थोड़ी है
लगेगी आग तो आएंगे घर कई ज़द में
यहाँ पे सिर्फ़ हमारा मकान थोड़ी है
मैं जानता हूँ कि दुश्मन भी कम नहीं लेकिन
हमारी तरह हथेली पे जान थोड़ी है
हमारे मुंह से जो निकले वही सदाक़त है
हमारे मुंह में तुम्हारी ज़ुबान थोड़ी है
जो आज साहिब-इ-मसनद हैं कल नहीं होंगे
किराएदार हैं जाती मकान थोड़ी है
सभी का खून है शामिल यहाँ की मिट्टी में
किसी के बाप का हिंदुस्तान थोड़ी है.
तूफ़ानों से आँख मिलाओ
तूफ़ानों से आँख मिलाओ, सैलाबों पर वार करो
मल्लाहों का चक्कर छोड़ो, तैर के दरिया पार करो
ऐसी सर्दी है कि सूरज भी दुहाई मांगे
जो हो परदेस में वो किससे रज़ाई मांगे
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