Women Equality Day: हमनें कई सदियों से अपने समाज में पितृसत्तात्मक पूर्वाग्रहों के चलते चली आ रहीं प्रथाओं को देखा है. इन प्रथाओं के चलते महिलाओं को पुरुषों की तुलना में कम आंका जाता रहा है. किसी भी क्षेत्र की बात करें तो यही देखते हैं कि पुरुषों को आगे रखा जाता है. वहीं वतर्मान समय में भी देश में सबसे अधिक पुरुष-प्रधान व्यवसायों की बात की जाए तो इसमें टॉप पर भारतीय पुलिस बल आता है. एक सर्वेक्षण के अनुसार, 2020 तक भारतीय पुलिस बल में केवल 12% महिलाएं थीं. हालांकि कई राज्यों ने बल में महिलाओं के लिए 10-33% आरक्षण अनिवार्य कर दिया है, लेकिन कोई भी राज्य इस लक्ष्य को पूरा नहीं कर पाया है.
पुरुष प्रधान देश की सोच की मानें तो समाज सोचता है कि ऑन-फील्ड काम वाली जॉब्स में महिलाएं पेशे के लिए फिट नहीं हैं. वहीं समाज का आइना कहे जानें वाले फिल्म उद्योग में भी ये ऊंच-नीच साफतौर पर देखने को मिलती है. बॉलीवुड में आज भी हम महिला पुलिस किरदारों को ना के बराबर ही देखते हैं. हमने बार-बार सलमान खान, अजय देवगन, अक्षय कुमार, आयुष्मान खुराना और रणवीर सिंह को ही मुख्यधारा के सिनेमा में पुलिसकर्मियों की भूमिकाओं में देखा है.
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समय के साथ अब बॉलीवुड भी धीरे-धीरे बदलाव की ओर बढ़ रहा है. महिला पुलिसकर्मियों के साथ अब और भी फिल्में हैं जिनमें महिलाऐं मुख्य भूमिकाएं निभा रही हैं. अरण्यक (Aranyak) में रवीना टंडन, कैंडी में ऋचा चड्ढा और द ग्रेट इंडियन मर्डर और दिल्ली क्राइम्स में शेफाली शाह ने छाप छोड़ी है. मुख्यधारा की बॉलीवुड फिल्मों में रानी मुखर्जी (मर्दानी में), प्रियंका चोपड़ा (जय गंगाजल) में और तब्बू (दृश्यम में) में नजर आईं.
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रवीना टंडन, शेफाली शाह, रसिका दुग्गल, या ऋचा चड्ढा द्वारा निभाए गए पुलिस वाले किरदारों को ज्यादातर परिवार या घरेलू सेट-अप में पेश किया जाता है. जब ‘दिल्ली क्राइम’ में शेफाली शाह के किरदार को दिखाया जाता है तो वो काम से संबंधित कॉल आने पर अक्सर अपने परिवार के साथ अपने घर पर होती हैं. वहीं अरण्यक में रवीना टंडन के किरदार को भी ऐसे समय पर दिखाया गया है जब वो किचन में होती हैं.
फिर भी, ‘मर्दानी‘ और ‘जय गंगाजल’ में दिखाए गए महिला पुलिस किरदार ओटीटी शो और अन्य फिल्मों की तुलना में अधिक आक्रामक और सुपरहीरो जैसे थे. आखिर अब बड़े पर्दे को भी ज्यादा ग्लैमर की जरूरत है.
अब समय धीरे-धीरे बदल रहा है. ओटीटी प्लेटफार्म पर महिला पुलिस के दमदार किरदार देखने को मिलने लगे हैं. बॉलीवुड इंडस्ट्री को भी अब अपने पुराने नजरिये को बदलने की जरूरत है. अब पुलिस के किरदारों को किस तरह से चित्रित किया जाए ये बॉलीवुड को ओटीटी से सीखना चाहिए.
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