रॉकेट्री: द नम्बि इफेक्ट है ड्रामा-इमोशंस का फुल डोज, जीनियस की कहानी में छाए आर माधवन

बॉलीवुड फिल्मों को लेकर मन में हमेशा एक ही बात सबसे पहले आती है- फिल्म यानी एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरनेमेंट। आर माधवन की रॉकेट्री: द नम्बि इफेक्ट इस बात पर खरी उतरती है।

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रॉकेट्री: द नम्बि इफेक्ट है ड्रामा-इमोशंस का फुल डोज, जीनियस की कहानी में छाए आर माधवन
रॉकेट्री: द नम्बि इफेक्ट पोस्टर (फोटो: सोशल मीडिया)

बॉलीवुड फिल्मों को लेकर मन में हमेशा एक ही बात सबसे पहले आती है- फिल्म यानी एंटरटेनमेंट, एंटरटेनमेंट, एंटरनेमेंट। आर माधवन की रॉकेट्री: द नम्बि इफेक्ट इस बात पर खरी उतरती है। फिल्म में एक ऐसे जीनियस की कहानी बताई गई है जो अपने देश को आसमान की ऊंचाइयों तक पहुंचाने के सपने के बजाए ब्रह्मांड में सबसे आगे ले जाने के सपने देखता है और उसके लिए पूरी कोशिश भी करता है। इसके बाद भी उस जीनियस को देशद्रोही करार दिया गया। उसे और उसके परिवार को प्रताड़ित किया गया। वो शख्स हैं इसरो के जीनियस साइंटिस्ट रहे नम्बि नारायणन।

ऐक्टर:आर माधवन,सिमरन,शाहरुख खान,रजित कपूर,गुलशन ग्रोवर,सैम मोहन,मीशा घोषाल
डायरेक्टर : आर माधवन
श्रेणी:Hindi, Biopic, Drama
अवधि:2 Hrs 37 Min

क्रिटिक रेटिंग: 3.5/5

इसरो के साइंटिस्ट नम्बि नारायणन ने अपने करियर में कई बड़ी उपलब्धियां हासिल कीं। उन्होंने कई चुनौतियों से लड़ाई लड़ी और उनपर खरे उतरे, लेकिन जिंदगी में उन्हें जगहंसाई और बदनामी जैसी चीजें भी झेलनी पड़ीं। यह सब उनके साथ एक झूठे आरोप के चलते हुआ, जिसे बाद में कोर्ट ने भी गलत पाया था।

रॉकेट्री: द नम्बि इफेक्ट की कहानी में बताया गया है कि किस तरह से नम्बि नारायणन जैसे जीनियस साइंटिस्ट को पॉलिटिक्स के चलते दुनियाभर की मुश्किलों का सामना करना पड़ा था। इसके चलते नम्बि और उनके परिवार ने तो दर्द झेला ही, साथ ही भारत के मंगल मिशन को भी इसकी वजह से दशकों पीछे फेंक दिया गया। इस बढ़िया बायोपिक में आर माधवन ने अपने करियर का शानदार काम दिखाया है। 29 साल के नम्बि नारायणन से लेकर बूढ़े नम्बि तक के रूप में उन्हें देखा गया।

माधवन ने अपने आप को नम्बि के लुक में ढालने के लिए कड़ी मेहनत की है, उससे कहीं ज्यादा उनके किरदार में खुद को डालने के लिए भी की है। यह चीज आप फिल्म रॉकेट्री में भी साफ देख सकते हैं। एक तेज दिमाग, शातिर और समझदार नम्बि नारायणन के किरदार में माधवन ऐसे ढले हैं कि आप उनमें और असली नम्बि में फर्क नहीं कर पाएंगे। फिल्म में आप देखेंगे कि कैसे विक्रम साराभाई के फैन रहे नम्बि ने भारत को स्पेस में ले जाने के लिए फ्रांस के लोगों से चतुराई से लिक्विड इंजन बनाने की कला सीखी, अमेरिका की नाक के नीचे से कायरोजेनिक फ्यूल इंजन रूस से भारत लेकर आए। भारत को उसका पहला लिक्विड फ्यूल इंजन VIKAS नम्बि नारायणन ने ही दिया था। लेकिन 1994 में उनपर लगे देशद्रोह के इल्जामों ने सबकुछ बदलकर रख दिया।

रॉकेट्री दर्शकों को अपनी सीट से बांधने में सफल रही है। नम्बि की सफलता में आप खुश होते हैं और उसके दुख में दुखी। इस फिल्म में कई साइंस, सॉलिड और लिक्विड फ्यूल के बारे में बातें हैं, जिन्हें आपको समझने में थोड़ा-सा समय लगेगा लेकिन फिल्म के अंत तक आते-आते आप भी इमोशनल हो जाएंगे।

फिल्म में आपको शाहरुख खान का कैमियो भी देखने को मिलगा। वहीं डायलॉग्स और स्क्रीनप्ले, बैकग्राउंड स्कोर और सिनेमेटोग्राफी की बात करें तो सभी जबरदस्त है।

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Story Author: lakhantiwari

मेरा नाम लखन तिवारी है और मैं एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट के रूप में पिछले 6 वर्षों से काम कर रहा हूं. एंटरटेनमेंट की खबरों से खास लगाव है. बॉलीवुड की खबरें पढ़ना और लिखना दोनों ही पसंद है.

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