राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ प्रमुख मोहन भागवत ने समलैंगिकता, राम मंदिर, आरक्षण, गौरक्षा आदि मुख्य मुद्दों पर बड़ा बयान दिया है। संघ प्रमुख के बयान से इन दोनों विवादित मुद्दे पर स्टैंड साफ दिख रहा है। समलैंगिकता को लेकर संघ प्रमुख ने साफ तौर पर कहा कि हम सुप्रीम कोर्ट के फैसले के साथ हैं। साथ ही इस फैसले का स्वागत भी करते हैं।
संघ के कार्यक्रम ‘भविष्य का भारत’ के तीसरे दिन मोहन भागवत ने आगे कहा कि समय के साथ समाज बदल रहा है। अब जरूरत है कि हम समय और समाज के साथ हो रहे बदलाव को स्वीकार करें। हाालंकि इससे पहले संघ नेताओं ने समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर निकालने को लेकर विरोध जताया था। साथ ही फैसले के बाद भी कुछ नेता इसके विरोध में खड़े दिखे।
राम मंदिर का जल्द निर्माण
इसके साथ ही राम मंदिर निर्माण को लेकर राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ सदैव मंदिर बनाने के पक्ष में रहा है। इसको लेकर भी मोहन भागवत ने कहा कि सरसंघचालक होने के नाते मेरा मत है कि भव्य राम मंदिर बनना चाहिए। राम आस्था के साथ-साथ मर्यादा का विषय है। करोड़ों लोगों की आस्था जुड़ी है। देशहित विचार होता तो मंदिर बन चुका होता। इसके निर्माण को लेकर जल्द ही विचार करना चाहिए।
हालांकि राम मंदिर को लेकर भारतीय जनता पार्टी भी तत्पर दिख रही है लेकिन इस पर सुप्रीम कोर्ट की ओर से फैसला आना बाकि है। CJI दीपक मिश्र रिटायरमेंट से पहले इस पर सुनवाई करेंगे। संभावना जताई जा रहा है कि लोकसभा चुनाव से पहले ही इस पर कोई बड़ा फैसला आ सकता है।
समलैंगिक को समान अधिकार
हाल ही में धारा 377 पर सर्वोच्च न्यायालय ने फैसला सुनाया था। धारा 377 को लेकर एक एनजीओ की ओर से याचिका दायर की गई थी। याचिका के समलैंगिकता को अपराध की श्रेणी से बाहर करने के लिए की गई थी। करीब 155 वर्षों से बने धारा 377 पर सुप्रीम कोर्ट ने सुनावई करते हुए अपराध की श्रेणी से बाहर निकाला। इसके बाद समलैंगिक वर्ग ने जमकर जश्न मनाया।
इस पर मुख्य न्यायाधीश दीपक मिश्र ने फैसला सुनाया था। इन्होंने कहा था कि हर वर्ग को समान जीने का अधिकार है। हर समाज की अपनी सुंदरता है और हम किसी की आजादी नहीं छिन सकते। इस इंद्रधनुष को निकलने से नहीं रोकना चाहिए। बता दें कि दीपक मिश्र का कार्यकाल 2 अक्टूबर को खत्म हो जाएगा।
आरक्षण और अल्पसंख्यक
इस मौके पर उन्होंने अल्पसंख्यक को लेकर कहा, अल्पसंख्यक शब्द की परिभाषा अपने यहां स्पष्ट नही है, जहां तक रिलिजन, भाषा की संख्या का सवाल है, अपने देश में वो पहले से ही अनेक प्रकार की है, अंग्रेजों के आने से पहले हमने कभी अल्पसंख्यक शब्द का इस्तेमाल नही किया।
समाज का प्रत्येक व्यक्ति समाज का एक अंग है, कुछ विशिष्टतायें समाज के लोगों मे है, किंतु वह समाज के अंग ही हैं, उनकी व्यवस्था करनी चाहिये, यह सह्रदयता से देखने की बात है, जितना उपाय हो सकता है वह करना, अन्यथा जैसे हैं वैसा स्वीकार करना चाहिये।
इसके साथ ही आरक्षण को लेकर कहा, सामाजिक कारणो से हजारों वर्षों से यह स्थिति है कि हमारे समाज के एक अंग हमने निर्बल बना दिया है, हजार वर्षों की बीमारी ठीक करने में यदि 100-150 साल हमें नीचे झुक कर रहना पड़ता है तो यह महंगा सौदा नही है, यह हमारा कर्तव्य है।
डेमोग्राफिक संतुलन रहना चाहिये, एक जनसंख्या के बारे में नीति हो, अगले 50 वर्ष की स्थिति की कल्पना करते हुए एक नीति बने, और उस नीति में जो तय होता है वो सभी पर समान रूप में लागू होना चाहिये, जहाँ समस्या है, वहां पहले उपाय करना चाहिये।
गौशाला और मुस्लिम
साथ ही गौरक्षा को लेकर संघ प्रमुख ने कहा, अच्छी गौशालायें चलाने वाले, भक्ति से चलाने वाले लोग हमारे यहाँ हैं, मुस्लिम भी इसमे शामिल हैं। यहां गाय को लेकर संघ प्रमुख ने काफी गहन जानकारी भी दी।
इसके साथ ही आगे कहा कि गौसंवर्धन का विचार होना चाहिये, गाय के जितने उपयोग हैं उनको कैसे लागू किये जाये, कैसे तकनीक का उपयोग कर उसको घर घर पहुंचाया जाये, इस पर बहुत लोग काम कर रहे हैं, वो गौरक्षा की बात करते हैं, वो लिंचिंग करने वाले नही हैं, वो सात्विक प्रकृति के लोग हैं।
गौरक्षा तो होनी चाहिये, लेकिन गौरक्षा सिर्फ कानून से नही होगी, गौरक्षा करने वाले देश के नागरिक गाय को पहले रखे, गाय को रखेंगे नही, खुला छोड़ेंगे तो उपद्रव होगा, गौरक्षा के बारे में आस्था पर प्रश्न लगता है।