शाहरुख खान एक्सक्लूसिव: मेरी जिंदगी से जुड़ा है बऊआ सिंह का किरदार, भुला नहीं सकता शूटिंग के ये लम्हे

हम सोचते हैं कि जीरो मतलब कुछ भी नहीं, सबकुछ खत्म हो गया, आप जिंदगी के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। लेकिन जीरो को देखने का एक नजरिया यह भी है कि शायद ईश्वर आपको एक मौका और दे रहा है...

फिल्म एक्टर शाहरुख खान (फोटो- पिंकविला)

आम आदमी के जीवन की सच्ची कहानियां मुझे बहुत आकर्षित करती हैं। साधारण इंसान से जुड़े किरदार मुझे बहुत लुभाते हैं। फिल्म जीरो में बऊआ सिंह का किरदार मेरी जिंदगी से जुड़ा है। जी हां, ये कहना है बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान का। हाल ही में हिन्दीरश.कॉम से एक्सक्लूसिव बातचीत में किंग खान ने फिल्म जीरो, अपनी पर्सनल लाइफ और साथी कलाकारों के बारे में खुलकर बातचीत की है। आइए जानते हैं ‘हिन्दीरश’ के सवालों पर क्या था शाहरुख खान का जवाब…

सवाल- आपकी फिल्म का नाम ‘जीरो’ ही क्यों रखा गया? ये नाम कैसे आपकी फिल्म को रिप्रेजेंट करता है?

शाहरुख खान- इसके दो मायने हैं। पहला, जीरो इस किस्म का नंबर है, जो लोगों को लगता है कि शायद यह कुछ भी नहीं है, लेकिन जहां भी लग जाए, वो दूसरे की रचना भी बदल देता है। दूसरा, हम सोचते हैं कि जीरो मतलब कुछ भी नहीं, सबकुछ खत्म हो गया, आप जिंदगी के सबसे निचले स्तर पर आ गए हैं। लेकिन जीरो को देखने का एक नजरिया यह भी है कि शायद ईश्वर आपको एक मौका और दे रहा है, शुरूआत करने के लिए। इसका पॉजीटिव मतलब ये हुआ कि मानो तो बहुत कुछ है, ना मानो तो कुछ भी नहीं है। ये फिल्म ऐसे कॉमन मैन के बारे में है, जो ऐसा महसूस करते हैं या करवाए जाते हैं कि उनमें कुछ कमी है। ऐसे में हमें यह समझ लेना चाहिए कि ईश्वर ने हमें जो दिया है, वो सही दिया है, हम यही हैं, हम बदलेंगे नहीं।

सवाल- आप एक सुपरस्टार हैं। आपने जो चाहा वो सबकुछ आपको मिला, लेकिन अपनी जिंदगी में आप खुद को कहां जीरो पाते हैं या खुद को जीरो मानते हैं?

शाहरुख खान- मैं सचमुच इस बात को मानता हूं कि मैंने जब शुरूआत की थी तो मुझे ऐसा नहीं लगता था कि मैं हीरो जैसा दिखता हूं, उनकी तरह डांस कर सकता हूं या उनकी तरह फाइट कर सकता हूं। मुझे पता था कि मैं कुछ भी नहीं हूं। इसलिए मैं बहुत कुछ बन सकता हूं। मैंने किसी को कॉपी करने की कोशिश नहीं की, किसी के तरह होने की कोशिश नहीं की, मां-बाप की बातों पर विश्वास किया कि आप जैसे भी हो ठीक हो, तुम-तुम हो। शायद इसी की वजह से वो कर सका, जो आज मुझे हासिल है। यदि मैंने किसी को कॉपी नहीं किया, तो मैंने निगेटिव रोल कर लिया, किसी ने कहा कि सेकेंड हॉफ में आओगे, तो वो भी कर लिया। किसी ने कहा कि हीरो नहीं बन सकते, तो मैंने कहा कि निगेटिव रोल कर लूंगा। मैंने वही किया, जो मुझे पसंद है, वो है एक्टिंग। हम जिंदगी को मौका नहीं देते कि वो हमारा ध्यान रख सके। हम यही सोचते रहते हैं कि हम अपना ध्यान कैसे रखें। जिंदगी आपका ध्यान रख लेगी। विश्वास तो करिए।

सवाल- इस फिल्म का सबसे चर्चित किरदार बऊआ सिंह है, इसे आप अपनी जिंदगी के कितना करीब पाते हैं?

शाहरुख खान- कॉमनमैन में एक सच्चाई होती है, लेकिन जब हमारी जिंदगी में नकलीपन आ जाए, तो वो सच्चाई हिल जाती है। मुझे लगता है कि कॉमनमैन असली होता है। उनकी कॉमन प्रॉबल्म को खत्म करना मुझे ज्यादा बहादुरी का काम लगता है। हम फिल्मों में एक अलग ही तरह की दुनिया दिखाते हैं। हीरो हर समस्या को खत्म कर देता है। एक साथ कई लोगों को मार देता है, लेकिन वहीं एक साधारण पिता अपनी बेटी की पढ़ाई के लिए पैसे बचाता है। ऑटो की बजाए ट्रेन लेता है, ताकि कुछ पैसे बच जाएं। ऐसा पिता ही असली हीरो है। आम आदमी के जीवन की सच्ची कहानियां मुझे बहुत आकर्षित करती हैं। ऐसे किरदार मुझे लुभाते हैं, जिन पर हम फिल्म बनाना चाहते हैं। बऊआ सिंह का कैरेक्टर भी कुछ इसी तरह मेरे दिल के बहुत करीब है।

फिल्म जीरो के निर्देशक आनंद राय, कैटरीना कैफ, शाहरुख खान और अनुष्का शर्मा (बाएं से दाएं)

सवाल- फिल्म जीरो की शूटिंग के दौरान कोई ऐसा पल जिसे आप कभी नहीं भूला सकते, जो आपके लिए यादगार है?

शाहरुख खान- इस फिल्म की सबसे खास बात ये है कि हम सब ने मिलकर 2 साल तक साथ काम किया। मैं, आनंद (फिल्म के निर्देशक) और हिमांशु (फिल्म के लेखक) करीब 3 साल से रात को मिलते रहे हैं। फिल्म के बारे में बात करते रहे हैं। उनका प्यार मुझे बहुत याद आएगा। उनके साथ बिताए लम्हे मुझे याद आएंगे। अभी हाल ही में आनंद मिले। आकर गले लगे और बोले कि उनको बहुत दुख हो रहा है। फिल्म थियेटर के लिए चली गई है। हम अब किस बहाने एक-दूसरे से मिलेंगे। हम सब एक साथ खाना खाते, लूडो खेलते, मस्ती करते, ये सबकुछ हमें बहुत याद आएगा। फिल्म मेकिंग अलग बात है और हमारी पर्सनल लाइफ में जो चीजें हुईं, वो अलग। जैसे एक बात बताना चाहूंगा, फिल्म जब शुरू हुई तो मेरा छोटा बेटा 3 साल का था। फिल्म पूरी होने के बाद अब वो 5 साल का हो गया है।

सवाल- फिल्म जीरो की टीम के साथ क्या नया प्रोजेक्ट शुरू करने जा रहे हैं? या जीरो-2 बनाने की कोई योजना है अभी?

शाहरुख खान- देखिए, ऐसे तो हम लोग रोज ही किसी न किसी फिल्म की योजना बनाते रहते हैं। लेकिन सब अपने काम में इतना जूझते रहते हैं कि आगे कि सोच भी नहीं पाते हैं। इंशाअल्लाह, हमारे पास प्लान है, लेकिन उसके लिए अच्छी कहानी नहीं है। जहां तक जीरो-2 की बात है, तो ऐसा हमने अभी कुछ सोचा नहीं है। सीक्वल का प्लान तो पहले से ही करना पड़ता है। यदि ये फिल्म लोगों को पसंद आई, तो मुझे बहुत खुशी होगी। कोई अच्छी चीज बन जाए, तो हमें उसे वहीं छोड़ देना चाहिए।

सवाल- फिल्म के ट्रेलर को देखकर लगता है कि ये हंसाने के साथ एक सीरियस सोशल मैसेज देगी, वो क्या है?

शाहरुख खान- इस फिल्म में हमने इंसान की तीन तरह की कमियों को दर्शाया है। शारीरिक, मानसिक और इमोशनल। मैं शारीरिक तौर पर कमजोर हूं, अनुष्का ने एक मानसिक रूप से कमजोर किरदार को निभाया है, वहीं दुनिया की सबसे खूबसूरत लड़की बबिता, जो कैटरीना हैं, वो इमोशनली कमजोर हैं। तीनों एक-दूसरे की कहानी से मिलते हैं और इस तरह फिल्म पूरी होती है। उनको पता है कि जिंदगी में बहुत कुछ है जीने को, सिवाय गम के। आजकल तो बच्चों के बीच एग्जाम के नंबर, कपड़े और लुक को लेकर भी समस्या बन जाती है, जो सही नहीं है। हमें समझना चाहिए कि भगवान ने हमें जैसा भी बनाया है, वो सही है। यदि आप यूनिक नहीं होते, तो धरती पर आपका कोई काम नहीं है। इसलिए अपनी लाइफ को सेलीब्रेट करें और आबाद रहें।

नीचे वीडियो में देखिए शाहरुख खान का अबतक का सबसे बेबाक Exclusive Interview…

मुकेश कुमार गजेंद्र :प्रिंट, टीवी और डिजिटल मीडिया में कार्य करने का समान अनुभव। सियासत, सिनेमा और समाज के बीच कुछ नया गुनने, बुनने और गढ़ने की कोशिश जारी। फिलहाल हिन्दी रश डॉट कॉम में बतौर संपादक कार्यरत।