फिल्म ‘जीरो’ में शाहरुख खान ने बौना बनकर कमाल कर दिया है। फिल्म ‘जीरो’ में लंबे किंग खान को बौना देखकर कई सवाल उठ रहे हैं। कोई कह रहा है कि मेकअप करके किसी बौने कलाकार से एक्टिंग कराई गई है। कोई यह भी कह रहा है कि ऐसे बनाया होगा तो वैसे बनाया होगा। कई लोग कह रहे हैं कि नहीं, नहीं शाहरुख खान कुछ भी कर सकते हैं। ऐसे में यह जान लेना जरूरी है कि आखिर कैसे 5 फुट 8 इंच के शाहरुख खान 2 या ढाई फुट के बौने बन गए हैं। हां, यह सच है कि बौन कलाकार शाहरुख खान ही हैं। इसके लिए एक खास प्रकार की टेक्नोलॉजी का प्रयोग किया गया है। हमारी जानकारी को फॉलो कर के इस तरह का प्रयोग आप भी कर सकते हैं।
अब यह मान लिजिए कि शाहरुख खान ने इस रोल के लिए पूरी तरह टेक्नोलॉजी का सहारा लिया है। इसमें कैमरा से लेकर सॉफ्टवेयर तक का कमाल है। हां, 90 के दशक में कमल हसन ने बिना टेक्नोलॉजी के इसे किया था। उनसे पहले के कलाकार अनुपम खेर, जॉनी लीवर भी बौने का रोल कर चुके हैं। पहले और अब के सिनेमा में टेक्नोलॉजी को लेकर बहुत बदलाव आए हैं। ये टेक्नोलॉजी का नतीजा है कि हम शाहरुख खान को आसानी से बौना बना पाए हैं। इसके लिए वीएफएक्स, कैमरा और फोर्स्ड परस्पेक्टिव टेक का प्रयोग किया गया है। चलिए जानते हैं कि ये होता कैसे है।
Baahein failaaye khade hain kab se tumhare chajje ke neeche, life bana denge tumhari ab jo lag gaye hain tumhare peeche! pic.twitter.com/atoVih9SCJ
— Bauua (@BauuaSingh) October 29, 2018
फोर्स्ड परस्पेक्टिव
फिल्मों में आजकल फोर्स्ड परस्पेक्टिव का प्रयोग किया जाता है। इससे हम बौना बनाने के अलावा कई अनोखे एंगल देते हैं। जिसे देखकर यकीन नहीं होता है। उदाहरण के तौर पर समझ लिजिए। जैसे कि आपने देखा होगा कि हम कभी कैमरे का एंगल बदलकर छोटी चीज को बड़ा दिखा देते हैं, सूरज-चांद को हाथ में ले लेते हैं, पहाड़ को हाथ पर उठा लेते हैं आदि इत्यादी। ऐसे फोटो आपने देखे होंगे। बस यही फोर्सड फोर्स्ड परस्पेक्टिव टेक्नीक है। फिल्मों में वीडियो फूटेज के लिए थोड़ा मेहनत करना होता है। बस थोड़ा दिमाग लगाकर वीडियो बनाया जाता है।
ऐसे बनता है बौनों का वीडियो
फोर्स्ड परस्पेक्टिव के लिए दो सेट बनाए जाते हैं। जैसे कि एक सेट पर शाहरुख खान अकेले एक्टिंग या डांस करेंगे। इसके बाद दूसरे सेट पर साथी कलाकार की शूटिंग होगी। इस तरह दोनों सेट पर बारी-बारी सूट करने के बाद वीएफएक्स की मदद से जोड़ दिया जाएगा। जब फाइनल वीडियो बनेगा तो हमें लगेगा कि अरे ये कमाल कैसे हो गया। लेकिन ये बेहद आसान है। आप यदि कैमरा एंगल(फोर्स्ड परस्पेक्टिव), वीएफएक्स और क्रोमा पर काम करना जानते हैं तो फिर घर बैठे ऐसे वीडियो बना सकते हैं। हां, इस तरह का काम करने के लिए ध्यान रखें कि सॉफ्टवेयर ऑरिजनल होने चाहिए।
To Bhai Log Mohabbat chhota BADA nahin dekhti…Suna to hoga?
Ab ye Cute @iamsrk aur Gorgeous #KatrinaKaif pesh hain saboot ke taur pe.
Ye Mohabbat hai ginti ki tarah hamesha @Zero21Dec se shuru hoti hai. Chaahe @aanandlrai Sir se poochh lo. pic.twitter.com/Kb8ftKYZBy— Irshad Kamil (@Irshad_Kamil) November 1, 2018
90 के दशक में क्या होता था?
90 के दशक की बात करें तो उस वक्त हम टेक्नोलॉजी से बहुत ज्यादा अवगत नहीं थें। इसलिए उस वक्त के कलाकारों को एक खास प्रकार का जूता और पैंट पहनाया जाता था। इतना ही नहीं उनके लिए दो सेट बनाने के बजाय एक पद्धति का इस्तेमाल किया जाता था। जैसे कि बौना कलाकार एक गड्ढें में खड़ा होता था और लंबे कलाकार ऊंची जगह पर। इस तरह से कलाकारों को परेशानी होती थी। इसके अलावा बहुत मेहनत करनी होती थी। कई बार तो जूतों के कारण पैरों में हल्की चोट भी लग जाती थी। लेकिन अब फोर्स्ड परस्पेक्टिव के कारण काम आसान हो गया है।
देखें वीडियो…