नाम, पैसा और शोहरत सब कुछ मिला, लेकिन फिर भी अधूरी रही थी सिल्क स्मिता की कहानी

वो एक्ट्रेस जिसने 4 साल में 200 फिल्में कीं, लेकिन फिर भी वो दर्शकों के लिए उनके दिलो-दिमाग को खुश करने का साधन मात्र ही बनी रही। उस अभिनेत्री का नाम था विजयालक्ष्मी वदलापति उर्फ सिल्क स्मिता।

तमिल एक्ट्रेस सिल्क स्मिता का असली नाम विजयालक्ष्मी वदलापति था। (फोटो- ट्विटर)

70 के दशक के जाते-जाते भारतीय सिनेमा में एक अभिनेत्री का दखल देना और फिर अपने इशारों पर फिल्म इंडस्ट्री को चलाना, किसी हैरत से कम नहीं हो सकता। आंध्र प्रदेश के एक छोटे से गांव से निकलकर, मुफलिसी और समाज से लड़ते हुए रूढ़िवादी बेड़ियों को तोड़ उस अभिनेत्री ने तमिल ही नहीं बल्कि तेलुगू, मलयालम और कन्नड़ सिनेमा में एकतरफा राज किया। उस जमाने में हीरो को टक्कर देती उस अभिनेत्री का नाम था विजयालक्ष्मी वदलापति, जिसे बड़े पर्दे पर लोग ‘सिल्क स्मिता’ के नाम से जानते थे।

2 दिसंबर, 1960 को आंध्र प्रदेश के एलुरू के पास एक गरीब परिवार में विजयालक्ष्मी वदलापति का जन्म हुआ था। विजयालक्ष्मी अनचाही औलाद थीं, लेकिन अब इस दुनिया में उनका जन्म हो चुका था और किसे पता था कि एक दिन ये लड़की अपने हर उस ख्वाब को पूरा करेगी जिसे देखने का जोखिम हम इंसान खूब उठाते हैं। कम उम्र में विजयालक्ष्मी की एक बैलगाड़ी चलाने वाले से शादी करवा दी गई।

ससुरालियों के जुल्म-ओ-सितम ने बनाया ‘सिल्क स्मिता’

पति और ससुरालियों ने विजयालक्ष्मी पर खूब कहर बरपाया, लेकिन ये भी कहा जाता है कि जो होता है अच्छे के लिए होता है। ससुरालियों से मिले जुल्म-ओ-सितम ने ही उसे टॉलीवुड की मशहूर अभिनेत्री ‘सिल्क स्मिता’ बना दिया। दरअसल खुद पर होते जुल्म से पीछा छुड़ाने के लिए विजयालक्ष्मी एक दिन मद्रास भाग निकली और फिर उसने अपनी गरीबी और नासूर बन चुके जख्मों से भरी जिंदगी के पन्नों को कभी पलटकर नहीं देखा।

विजयालक्ष्मी को खूब लुभाते थे फिल्मों के पोस्टर

गांव में चौक-चौराहों पर लगे फिल्मों के पोस्टर विजयालक्ष्मी को खूब लुभाते थे। खुदा की नेमत से विजयालक्ष्मी को गदराई हुई काया और गजब का आकर्षण मिला था। कुदरत के इस तोहफे को उसने बखूबी भुनाया। टाइमपास मेकअप आर्टिस्ट विजयालक्ष्मी को तमिल फिल्मों में छोटे-मोटे रोल मिलने लगे, पर लोगों की उनके शरीर पर नजर साल 1979 में गई जब तमिल फिल्म ‘विन्डीचक्रम’ रिलीज हुई। इस फिल्म ने विजयालक्ष्मी को ‘सिल्क स्मिता’ बना दिया था।

शरीर की वजह से मिलते थे सिल्क को फिल्मों में रोल

अगर कहा जाए कि फिल्मों में सिल्क स्मिता को उनके गदराए शरीर की वजह से रोल मिलते थे तो ये कहना हरगिज गलत नहीं होगा। शरीर की वजह से उन्हें कैसे किरदार निभाने को दिए जाते थे, इसका पता या तो आप उनकी फिल्मों को देखकर लगा सकते हैं या फिर अपनी कल्पना के आधार पर इस सवाल के जवाब को तलाश सकते हैं। सिल्क महज एक आइटम नंबर से किसी भी फ्लॉप फिल्म को हिट कराने का माद्दा रखती थीं।

4 साल में 200 फिल्में कर चुकी थीं सिल्क स्मिता

महज 4 साल के करियर में 200 फिल्में कर चुकीं सिल्क स्मिता ने अपने हर उस ख्वाब को पूरा किया जिसे वो अपने घर, ससुराल की बेड़ियों में कैद होकर देखती थीं। उनके एक आइटम नंबर के लिए फिल्म निर्माता उन्हें उस समय 50 हजार रुपये तक देने के लिए तैयार खड़े रहते थे। श्रीदेवी और कमल हासन के करियर में मील का पत्थर कही जाने वाली फिल्म ‘सदमा’ में सिल्क स्मिता ने सोनी नाम की लड़की का किरदार निभाया था।

‘सदमा’ फिल्म में सिल्क का किरदार बस नाम मात्र था

इस फिल्म में सोनी का किरदार हीरो को बस फूहड़ अदाओं से अपनी ओर लुभाने के लिए रखा गया था। वो फिल्म में ना भी होती तो कोई फर्क नहीं पड़ता, क्योंकि इस फिल्म को आप आज भी श्रीदेवी और कमल हासन की पहचान के तौर पर जानते होंगे। वो कहते हैं ना कि अच्छा और बुरा वक्त हमेशा नहीं रहता। सिल्क के साथ भी कुछ ऐसा ही हुआ। सिल्क के करियर का पतन तब होना शुरू हो गया जब एक ही किरदार में देख दर्शक उनसे उबने लगे।

सिल्क का शरीर अब किसी को नहीं लुभाता था

सिल्क स्मिता की मांसल जांघें, वक्षों का उभार और तीखे नैन-नक्श भी अब दर्शकों को लुभाना बंद कर चुके थे। धीरे-धीरे उन्हें काम मिलना बंद हुआ और धीरे-धीरे सिल्क अवसाद की ओर बढ़ने लगीं। ‘डर्टी पिक्चर’ फिल्म में विद्या बालन सिल्क के किरदार को कुछ मिनटों में जी कर आगे बढ़ गईं, लेकिन असल जिंदगी में सिल्क होना बहुत मुश्किल था। बी और सी ग्रेड फिल्मों में एडल्ट स्टार का ठप्पा लिए समाज को आईना दिखाना बहुत कठिन होता है।

सिल्क स्मिता के सामने अब खड़ी थी शकीला

ये तब और मुश्किल हो जाता है जब आपके सामने आपकी स्कर्ट से कुछ और इंच कम स्कर्ट पहने शकीला खड़ी होती है। कहने को तो सिल्क अपनी प्रतिद्वंदी शकीला को जरा भी पसंद नहीं करती थीं, लेकिन शकीला ने अपनी आत्मकथा में सिल्क को भरपूर जगह दी थी और वो भी उनकी अच्छाइयों को लेकर। सिल्क एक डॉक्टर के साथ दूसरी शादी कर चुकी थीं और फिल्मों से निकलने के बाद उन्होंने पति की मदद से फिल्मों के प्रोडक्शन में हाथ आजमाया।

फिल्ममेकिंग में भी सिल्क को मिली करारी शिकस्त

पुरुषों को लुभाने वालीं सिल्क अब फिल्ममेकिंग में भी बूढ़ी हो चुकी थीं। उनके बदन को ही नहीं बल्कि उन्हें ही पूरी तरह से नकार दिया गया था। सिल्क का काफी पैसा डूब गया और ये भी उनके अवसाद की एक बड़ी वजह बना। सिल्क ने एक बार फिल्म निर्देशक अशोक कुमार से कहा था कि वो जीना नहीं चाहती हैं। 23 सितंबर, 1996 को सिल्क की लाश उनके घर में पंखे से लटकी हुई मिली। 36 साल की सिल्क समाज की दुश्वारियों से अब आजाद हो गई थीं।

सिल्क स्मिता के ‘कवच’ ने ही उनकी जान ले ली

शुरूआती जांच में सिल्क स्मिता की मौत को कत्ल बताया गया, लेकिन जैसे-जैसे जांच आगे बढ़ती गई कत्ल का कोई भी सबूत ना मिलना उनकी मौत को आत्महत्या की शक्ल दे रहा था। जिस तरह रेशम के कीड़े को बचाने वाला कवच यानी उसका खोल जिसे हम सिल्क (रेशम) कहते हैं, एक दिन उसी की जान ले लेता है, ठीक उसी तरह सिल्क स्मिता के चकाचौंध भरे जीवन के इर्द-गिर्द बुने कवच ने ही उस दिन उनकी जान ले ली।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।