आंखों से बोलती थी स्मिता पाटिल की अदाकारी, बेटे प्रतीक बब्बर के जन्म के 14 दिन बाद हो गई थी मौत

दिवंगत अभिनेत्री स्मिता पाटिल (Smita Patil) ने 70 और 80 के दशक में बॉलीवुड पर राज किया था। शादीशुदा राज बब्बर (Raj Babbar) ने उनसे दूसरी शादी की थी। उनके बेटे का नाम प्रतीक बब्बर (Prateik Babbar) है।

स्मिता पाटिल ने 10 साल के करियर में 80 से ज्यादा फिल्में की थीं। (फोटो- ट्विटर)

70 और 80 के दशक में बॉलीवुड इंडस्ट्री पर एक ऐसी अदाकारा ने राज किया, जो ना चाहते हुए फिल्म इंडस्ट्री में आई थीं। सांवला रंग और आंखों से बोलने वालीं उस खूबसूरत एक्ट्रेस का नाम था स्मिता पाटिल। 17 अक्टूबर, 1955 को महाराष्ट्र के पुणे में स्मिता पाटिल (Smita Patil) का जन्म हुआ था। उनके पिता शिवाजी राय पाटिल महाराष्ट्र सरकार में मंत्री रह चुके थे। उनकी मां विद्या ताई पाटिल समाज सेविका थीं।

स्मिता पाटिल ने पुणे से ही अपनी पढ़ाई की थी। 16 साल की उम्र में उन्होंने बतौर न्यूज रीडर नौकरी करना शुरू कर दिया था। वह मुंबई में दूरदर्शन पर मराठी में समाचार पढ़ा करती थीं। उस समय लड़कियों का जीन्स पहनना समाज को मुंह चिढ़ाने जैसी बात हुआ करती थी, लेकिन मॉडर्न ख्यालों की स्मिता जीन्स-टॉप पहनकर न्यूजरूम में दाखिल होती थीं और जीन्स के ऊपर से ही साड़ी लपेटकर कैमरे के सामने न्यूज पढ़ती थीं।

श्याम बेनेगल से मुलाकात के बाद बदली जिंदगी

स्मिता पाटिल की जिंदगी ने तब करवट ली जब उनकी मुलाकात मशहूर फिल्ममेकर श्याम बेनेगल से हुई। बेनेगल एक फिल्म बनाने की तैयारी कर रहे थे और स्मिता की प्रतिभा को पहचानते हुए उन्होंने अपनी फिल्म ‘चरणदास चोर’ में उन्हें रोल ऑफर किया। जिसके बाद स्मिता का फिल्मी सफर शुरू हो गया। 70 और 80 के दशक में स्मिता ने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दीं।

1977 में ‘भूमिका’ फिल्म के लिए मिला नेशनल अवॉर्ड

अमिताभ बच्चन (Amitabh Bachchan) के साथ उन्होंने ‘नमक हलाल’ और ‘शक्ति’ फिल्म में काम किया था। दोनों ही फिल्में हिट रहीं। करीब 10 साल के करियर में स्मिता ने 80 से ज्यादा हिंदी और मराठी फिल्मों में काम किया। साल 1977 में ‘भूमिका’ फिल्म के लिए उन्हें बेस्ट एक्टिंग कैटेगरी में नेशनल अवॉर्ड मिला। 1980 में ‘चक्र’ फिल्म के लिए भी उन्हें नेशनल अवॉर्ड से नवाजा गया।

1985 में ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से किया गया सम्मानित

भारतीय सिनेमा के क्षेत्र में स्मिता पाटिल के अभूतपूर्व योगदान को देखते हुए साल 1985 में उन्हें ‘पद्मश्री’ पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके अगले ही साल 13 दिसंबर, 1986 को उनके निधन की खबर से समूचा बॉलीवुड जगत स्तब्ध रह गया था। दरअसल स्मिता पाटिल की जिंदगी इन चंद शब्दों जितनी आसान हरगिज नहीं रही थी। अभिनेत्री की जिंदगी का एक पन्ना अभिनेता राज बब्बर के साथ भी जुड़ा था।

‘भीगी पलकें’ फिल्म से नजदीक आए थे राज बब्बर-स्मिता पाटिल

स्मिता पाटिल जब अपने करियर में लगातार कामयाबी की सीढ़ियां चढ़ती जा रही थीं, तो साल 1982 में ‘भीगी पलकें’ फिल्म की शूटिंग के दौरान उनकी मुलाकात अभिनेता राज बब्बर से हुई। दोनों दोस्त बने और फिर एक दूसरे के प्यार में गिरफ्तार हो गए। स्मिता को सबसे ज्यादा अपने अफेयर की वजह से आलोचनाओं का सामना करना पड़ा था। दरअसल राज बब्बर पहले से शादीशुदा थे। मशहूर थिएटर आर्टिस्ट नादिरा जहीर उनकी पत्नी थीं।

लिव इन में रहने लगे थे राज बब्बर और स्मिता पाटिल!

राज बब्बर और नादिरा के दो बच्चे (आर्या बब्बर और जूही बब्बर) हैं। बताया जाता है कि स्मिता पाटिल के इश्क में डूब चुके राज ने अपनी पत्नी और बच्चों को छोड़कर अभिनेत्री के साथ लिव इन में रहना शुरू कर दिया था। उस समय देश में लिव इन में रहना बड़ी बात हुआ करती थी। समाज के सवालों से आजिज आकर साल 1985 में दोनों ने शादी कर ली। 28 नवंबर, 1986 को स्मिता ने प्रतीक बब्बर को जन्म दिया और 13 दिसंबर, 1986 को उनका निधन हो गया।

बेटे प्रतीक बब्बर के जन्म के 14 दिन बाद छोड़ गईं दुनिया

बेटे के जन्म के महज 14 दिन बाद बॉलीवुड की एक खूबसूरत अदाकारा परिवार को रोता-बिलखता छोड़कर जा चुकी थी। बच्चे के जन्म के बाद स्वास्थ्य संबंधी दिक्कतों की वजह से उनकी मौत होना बताया गया। दिमागी बुखार और अभिनेत्री का ध्यान ना रखना भी उनके निधन की वजह बताई जाती है। कहा जाता है कि प्रतीक बब्बर के जन्म से पहले राज बब्बर और स्मिता पाटिल का रिश्ता भी कुछ खास ठीक नहीं रह गया था। स्मिता अकेली रहने लगी थीं।

स्मिता पाटिल की पूरी हुई थी अंतिम इच्छा

स्मिता पाटिल को अपनी मौत का आभास हो गया था। उन्होंने मेकअप मैन दीपक सावंत से अपनी आखिरी इच्छा जाहिर की थी। स्मिता चाहती थीं कि मरने के बाद उनके शव को दुल्हन की तरह सजाया जाए। दीपक सावंत ने उनकी अंतिम इच्छा को पूरा किया था। महज 31 साल की उम्र में बड़े पर्दे पर संजीदा मगर असल स्वभाव से बेहद चंचल अभिनेत्री हमेशा-हमेशा के लिए गहरी नींद में सो गईं। स्मिता के जन्मदिन और पुण्यतिथि पर राज बब्बर और प्रतीक बब्बर उन्हें याद जरूर करते हैं।

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राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।