अमेजन प्राइम की वेब सीरीज ‘तांडव’ के निर्देशक अली अब्बास जफर के साथ अन्य के खिलाफ कई राज्यों में कई आपराधिक शिकायतें दर्ज की गई। इन्हें रद्द करने का अनुरोध करने वाली याचिकाओं पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई हुई। ‘तांडव’ से हिंदुओं की धार्मिक भावनाओं को कथित तौर पर ठेस पहुंचने को लेकर ये शिकायतें दर्ज कराई गई थीं। अली अब्बास जफर के अलावा अमेजन प्राइम इंडिया प्रमुख अपर्णा पुरोहित, निर्माता हिमांशु मेहरा, कहानी के लेखक गौरव सोलंकी और अभिनेता मोहम्मद जीशान अयूब ने उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश, कर्नाटक और मध्य प्रदेश जैसे राज्यों में दर्ज की गई प्राथमिकी के खिलाफ तीन अलग-अलग याचिकाएं दायर की हैं।
वहीं इस मामले पर न्यायमूर्ति अशोक भूषण, न्यायमूर्ति आर सुभाष रेड्डी और न्यायमूर्ति एम आर शाह की पीठ ने प्राथमिकी के खिलाफ याचिकाओं पर सुनवाई की। सुनवाई के दौरान कोर्ट ने कहा कि जिन राज्यों में एफआईआर हुई है। वहां जांच होने दीजिए, इसमें आपको परेशानी किस बात की है ?
सीनियर वकील मुकुल रोहतगी ने कहा कि याचिकाकर्ता मुंबई का रहने वाला है। वो छह अलग अलग राज्यों में कैसे मुकदमा लड़ेगा? ऐसे में अदालत सभी राज्यों में दर्ज एफआईआर क्लब कर दे और मुंबई स्थानांतरित कर दे। हम चाहते हैं ये सभी 7 एफआईआर, जो 6 राज्यों में दर्ज है, वो एकसाथ क्लब कर दी जाएं और एक राज्य में सुनवाई के लिए भेजी जाए।
सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि आपको ऐसी एक्टिंग और स्क्रिप्ट नहीं करनी चाहिए, जिससे लोगों की भावनाएं आहत हों। कोर्ट ने कहा कि आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका दायर की है FIR को लेकर, इस पर हम किस आधार पर सुनवाई करें। आपने अनुच्छेद 32 के तहत याचिका किस आधार पर दाखिल कर दी।
बता दें इस तांडव वेब सीरीज के निर्देशक अली अब्बास ज़फ़र ने भी विवाद को बढ़ता देख ट्वीट कर माफ़ी मांगी। उसके मुताबिक ‘तांडव के ऑफिशियल कास्ट एंड क्रू की ओर से कहा गया है कि हम किसी की भावना को आहत नहीं करना चाहते थे। वेब सीरीज में किसी की धार्मिक भावनाओं को आहत करना हमारा उद्देश्य नहीं था। अगर किसी की भावना आहत हुई है तो हम उसके लिए क्षमा प्रार्थी हैं।’
‘तांडव’ के निर्माताओं की ओर से भी आधिकारिक बयान जारी किया गया। उन्होंने कहा कि “हम वेब सीरीज तांडव पर आ रही दर्शकों की प्रतिक्रियाओं पर ध्यान दे रहे हैं और आज बातचीत के दौरान सूचना व प्रसारण मंत्रालय की ओर से हमें शिकायतों और याचिकाओं के बारे में बताया गया। लोगों की भावनाओं को ठेस पहुंचाने संबंधी शिकायतों को हम लोग गंभीरता से देख रहे हैं।”
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