तनुश्री दत्ता केस: संशोधित कानून के कठोर प्रावधान से बच सकते हैं नाना पाटेकर

पुलिस अधिकारी का कहना है कि दर्ज धाराओं में हुए संशोधन से आरोपी नाना पाटेकर बच सकते हैं। वरना उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती थी।

नाना पाटेकर (Nana Patekar) सहित तीन लोगों के खिलाफ FIR दर्ज होने के बाद पुलिस ने मामले की जांच शुरू कर दी है। पुलिस इस मामले से जुड़े गवाहों के बयान दर्ज करेगी। इसके बाद मिले सबूतों के आधार पर आरोपियों के खिलाफ कार्रवाई शुरू करेगी। हालांकि, इसी बीच एक पुलिस अधिकारी का कहना है कि दर्ज धाराओं में हुए संशोधन से आरोपी बच सकते हैं। वरना उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई हो सकती थी।

पुलिस अधिकारी का कहना है कि आरोपियों के खिलाफ आईपीसी की धारा 354 और 509 के तहत केस दर्ज हुआ है। चूंकि यह मामला 10 साल पुराना है और इन कानूनों में संशोधन साल 2013 में हुआ है। ऐसे में संशोधन से पहले घटना होने की वजह से इसका फायदा आरोपियों को मिल सकता है। वर्तमान में ये धाराएं नॉन-बेलेबल है। इसके तहत कम से कम 1-7 साल की सजा हो सकती थी।

इसके साथ ही पुलिस का कहना है कि आरोपियों को समन भेजने से पहले चश्मदीदों के बयान दर्ज होंगे। इस मामले की जांच अभी प्राथमिक स्तर पर है। यह मामला 10 साल पुराना है इसलिए सभी तथ्यों की पुष्टि करनी आवश्यक है। इससे पहले शनिवार को देर रात मुंबई के ओशिवारा पुलिस थाने में तनुश्री दत्ता ने नाना पाटेकर, गणेश आचार्य(Ganesh Acharya), समीम सिद्दकी(Samee Siddiqui) और राकेश सारंग(Rakesh Sarang) के खिलाफ बयान दर्ज करवाया था।

बताते चलें कि साल 2012 दिसंबर में दिल्ली में हुए निर्भया गैंगरेप के बाद पूरे देश में विरोध प्रदर्शन हुआ था। इसके बाद साल 2013 में आपराधिक कानून के नियम में बदलाव किया गया। भारत के पूर्व मुख्य न्यायाधीश जेएस वर्मा की अध्यक्षता में गठित एक कमेटी ने संशोधन किया था। इसमें यौन उत्पीड़न जैसे मामलों की सजा बढ़ा दी गई। इस मामले में आरोपी के लिए गैर-जमानती नियम लागू किए गए थे।

महिलाओं के अधिकारों के लिए कानूनी मदद दिलाने वाली संस्था मजलिस मंच के वकील फ्लाविया एग्नेस ने बताया, ‘चूंकि ये मामला 2008 का है। जो नए कानून के तहत नहीं आता है। इसमें पुराने कानून के तहत ही कार्रवाई होगी। कानून में बदलाव 2013 में हुए हैं। इसके चलते 2013 के पहले हुए घटनाओं की सुनवाई पुराने कानून के तहत ही होगी। ऐसे में नाना पाटेकर सहित चारों आरोपियों को जमानत मिल सकती है।’

क्या है धारा 354 और सजा
भारतीय दंड संहिता की धारा 354 के तहत छेड़छाड़ का मामला दर्ज किया जाता है। इसके चार पार्ट हैं- 354ए, 354बी, 354-सी और 354 डी। इनके तहत अब यदि आप महिला के गलत तरीके से छूते हैं या उसके कंधे पर हाथ रखते हैं तो 354ए, सेक्सुअल डिमांड करने पर 354बी, उसको जबरन पोर्न दिखाने पर 354-सी और यदि आप सेक्स की मनसा के साथ जबरदस्ती करते हैं तो 354 डी के तहत मुकदमा दर्ज किया जाता है।

3 से 7 साल की कैद की सजा
354ए के तहत दोषी पाए जाने पर एक साल तक की कैद की सजा और बाकि सेक्शन के तहत चार साल कैद की सजा हो सकती है। हालांकि इसमें सुधार किए गए हैं। यदि कोई महिला के जबरन कपड़े उतरवाते हैं या उसको उकसाता है तो 354बी के तहत मुकदमा दर्ज होगा और दोषी पाए जाने पर 3-7 साल की कैद की सजा सुनाई जा सकती है।

क्या है धारा 509 और सजा
भारतीय दंड संहिता की धारा 509 के तहत महिला के साथ छेड़छाड़ करने पर मुकदमा दर्ज किया जाता है। यानी हम शब्द (कमेंट) इशारे या किसी गतिविधि से महिला का अपमान करते हैं तो फिर ये एक्ट हमारे ऊपर लगाए जाएंगे। इसके तहत दोषी पाए जाने पर दो साल की कैद हो सकती है। इसके अलावा जुर्माना भी लगाया जा सकता है। साल 2013 के बाद इन धाराओं के तहत सख्त सजा का प्रावधान किया गया है।

तनुश्री का थाने में दर्ज बयान
थाने दर्ज शिकायत में तनुश्री (Tanushree Dutta)  ने कहा, ‘2008 में आई फिल्म हॉर्न ओके प्लीज के लिए मुझे गोरेगांव स्थित फिल्मिस्तान में एक आइटम नंबर शूट करना था। ये मेरा सोलो अइटम नंबर था। इसमें नाना पाटेकर की केवल एक लाइन थीं। मैंने मेकर्स से कह दिया था कि गाने में कोई भी अश्लील स्टेप्स नहीं करूंगी। 26 मार्च 2008 जब शूटिंग चल रही थी तो नाना का बर्ताव मेरे प्रति काफी खराब था। उन्होंने मुझे गलत ढंग से छूआ था। मैंने मना किया तो डायरेक्टर और प्रोड्यूसर ने मुझ पर प्रेशर डालना शुरू कर दिया था।’

वेल अब आपका तनुश्री और नाना पाटेकर के इस उलझते हुए मामले में क्या कहना है? हमें नीचे कमेंट्स करके जरूर बताएं।

कविता सिंह :विवाह के लिए 36 गुण होते हैं, ऐसा फ़िल्मों में दिखाते हैं, पर लिखने के लिए 36 गुण भी कम हैं। पर लेखन के लिए थोड़े बहुत गुण तो है हीं। बाकी उम्र के साथ-साथ आ जायेंगे।