देश के पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री के जीवन पर बनी फिल्म ‘द ताशकंद फाइल्स’ 12 अप्रैल को रिलीज होने वाली है। इसे विवेक रंजन अग्निहोत्री ने डायरेक्ट किया है। जी स्टूडियो ने फिल्म का पहला पोस्टर रिलीज किया है। इस पोस्टर में पूर्व प्रधानमंत्री लाल बहादुर शास्त्री का डाक टिकट भी है। इस पोस्टर में एक टाइटल भी लिखा है कि पाकिस्तान को हराने के बाद भारतीय प्रधानमंत्री की रहस्यमयी मौत।
फिल्म में मिथुन चक्रवर्ती, नसीरुद्दीन शाह, श्वेता बासु, पंकज त्रिपाठी, विनय पाठक, मंदिरा बेदी, पल्लवी जोशी, अंकुर राठी और प्रकाश बेलावडी मुख्य भूमिका में हैं। इसकी जानकारी फिल्म क्रिटीक और ट्रेड एनालिस्ट तरण आदर्श ने अपने ट्विटर हैंडल से दी। फिल्म जी स्टूडियो के बैनर तले बनी है और आज इसका पोस्टर जारी हुआ है।
यहां देखिए तरण आदर्श का ट्वीट
Mithun Chakraborty, Naseeruddin Shah, Shweta Basu, Pankaj Tripathi, Vinay Pathak, Mandira Bedi, Pallavi Joshi, Ankur Rathee and Prakash Belawadi… #TheTashkentFiles to release on 12 April 2019… Directed by Vivek Ranjan Agnihotri… Zee Studios release… First look poster: pic.twitter.com/huxc6BQ10s
— taran adarsh (@taran_adarsh) March 19, 2019
इन्होंने किया है फिल्म को प्रोड्यूस
‘द ताशकंद फाइल्स’ क्राउड सोर्स्ड फिल्म है और इसमें पांच बार राष्ट्रीय अवार्ड विजेता एक्टर हैं, जिन्होंने शानदार एक्टिंग की है। फिल्म के प्रोड्यूसर प्रणय चोकशी, हरेश पटेल और पल्लवी जोशी हैं जबिक शरद पटेल और अनुय रितेश कुडेचा को प्रोड्यूसर हैं।
कान्स फिल्म फेस्टिवल में हुई 15 मिनट की स्क्रीनिंग
यह फिल्म पिछले साल से ही चर्चा में है। मई 2018 में फिल्ममेकर विवेक अग्निहोत्री ने कान्स फिल्म फेस्टिवल में थ्रिलर इन्वेस्टिगेशन ‘द ताशकंद फाइल्स’ की 15 मिनट की स्क्रीनिंग भी की थी। इसके फर्स्ट लुक को स्पेशल ट्रीट्स प्रोडक्शन के सीईओ को कोलिन बुरोव और सीबीएफसी के अध्यक्ष प्रसून जोशी को दिया भेंट स्वरूप दिया गया था।
11 जनवरी 1966 को हुई रहस्यमय मौत
आपको बता दें कि लाल बहादुर शास्त्री देश के दूसरे प्रधानमंत्री थी। जब वह प्रधानमंत्री थे, तब देश को 1965 में पाकिस्तान युद्ध करना पड़ा। इस युद्ध के दौरान ही लाल बहादुर शास्त्री ने ‘जय जवान जय किसान’ का नारा दिया। लाल बहादुर के नेतृत्व के चलते पाकिस्तान को करारी हार का सामना करना पड़ा। ताशकन्द में पाकिस्तान के राष्ट्रपति अयूब ख़ान के साथ युद्ध समाप्त करने के समझौते पर हस्ताक्षर करने के बाद 11 जनवरी 1966 की रात में ही रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मृत्यु हो गयी। उनकी सादगी, देशभक्ति और ईमानदारी के लिये मरणोपरान्त भारत रत्न से सम्मानित किया गया।
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