रणबीर कपूर को बॉलीवुड में अब लगभग 10 साल हो चुके हैं| उन्होंने एक के बाद एक कई हिट फिल्में दी हैं जिसमें अजब प्रेम की गज़ब कहानी, रॉकस्टार, ये जवानी है दीवानी और बर्फी जैसी फिल्में शामिल हैं| हालाँकि उनकी इस लिस्ट में कई फ्लॉप फिल्में भी शामिल हैं इन्ही में से एक थी उनकी पिछली फिल्म जग्गा जासूस| जिसने बॉक्स ऑफिस पर अच्छी कमाई नहीं की हालाँकि अब उन्होंने संजय दत्त की बायोपिक संजू से वो दोबारा बॉक्स ऑफिस पर लौटने के लिए तैयार हैं|इस फिल्म में वो संजय दत्त की भूमिका निभा रहे हैं जिसमें उन्हें संजू के 20 साल से लेकर 60 साल तक की भूमिका को निभाते हुए नजर आ रहे हैं|
हाल में ही इस फिल्म का ट्रेलर रिलीज़ किया गया था जिसमें संजय दत्त के तौर पर रणबीर कपूर को देख सभी हैरान रह गए थे| रणबीर को हर तरफ से उनके किरदार के लिए तारीफें भी मिल रही हैं| ऐसे में हाल में ही हिंदी रश से बात करते हुए रणबीर कपूर ने बताया कि उन्हें अपने किरदार के लिए क्या क्या तैयारियां करनी पड़ी| यही नहीं बल्कि उन्होंने बताया कि जब उन्हें इस फिल्म का ऑफर मिला तो उनका रिएक्शन क्या था?
रणबीर कपूर ने बताया, “राजू सर ने जब मुझसे कहा था कि वो संजय दत्त पर बायोपिक बना रहे हैं तो मेरा रिएक्शन तो यही था कि ये तो हो नहीं सकता| एक तो उनके ऊपर बायोपिक कैसे बनेगी वो तो अभी भी इतने चहिते सुपरस्टार हैं? लोग अभी भी उनसे इतना प्यार करते हैं आज भी काम करते हैं और मैं कैसे कर पाऊंगा? उनकी ज़िन्दगी 20 साल से लेकर 60 तक मैं दिख कैसे पाउँगा ..यही सारे सवाल मेरे दिमाग में घूम रहे थे लेकिन जब मैंने कहानी पढ़ी तो मुझे कहानी पर कांफिडेंस आया| क्योंकि यह मेरे लाइफ में पहली बार एक एक्टर के तौर पर ऐसा मौका मिला था|”
तैयारियों के बारे में बात करते हुए रणबीर कपूर ने बताया कि, “हमने बहुत काम किया| 8 महीने लगे लुक सही करने में, उनकी तरह हेयरस्टाइल करने में, कपड़े के लुक्स थे, जो बॉडी बनानी थी बहुत समय लगा| जग्गा जासूस ख़त्म करने के बाद मैंने फिल्म शुरू की तब मैं 70 किलो का था तो मुझे 88 किलो तक अपना वजन बढ़ाना पड़ा| तो 18 किलो वजन बढ़ाया और फिल्म रिवर्स में शूट किया|”
रणबीर कपूर ने बताया कि उनके लिए सबसे बड़ा चैलेन्ज क्या था?, “जो जिम्मेदारी मेरे ऊपर थी वो ये थी कि एक तो ये राजकुमार हिरानी की फिल्म है और दूसरी बात ये (संजय दत्त) ऐसे कलाकार है ऑडियंस में प्यार है उनके लिए, उनकी लाइफ मैं अच्छी तरह से प्रस्तुत कर सकूँ और उनका जो ह्यूमर साइड है उसे परदे पर अच्छे से उतार सकूँ| जैसा मैंने पहले कहा कि ये मौका लाइफ में बा-बार नहीं मिलता तो मैं इसे ख़राब नहीं करना चाहता था अपनी तरफ से| तो मैंने बहुत मेहनत की| हम लोग 8-8 घंटा बैठ कर लुक टेस्ट करते थे और कुछ गड़बड़ी हो जाती थी| कभी कभी मैं भाई की ज्यादा नक़ल उतारता था| कही कभी कुछ हो नहीं था| जभी कभी डायलोग नहीं बोल पाता था| कभी कभी बोलता था तो ऐसा लगता था कि वो मिमिक्री लग रही थी| तो बहुत वक़्त गुजारने के बाद अहिस्ता-अहिस्ता वो आने लगा और सबसे बड़ी बात थी की विश्वास| खुद पर विश्वास करना था कि मैं कर सकता हूँ| इंस्पायर्ड तो था हो तो बस मेहनत करनी थी|”