बॉलीवुड में अपने अभिनय और फिल्म के डायलॉग से दर्शकों का दिल जीतने वाले वेट्रन एक्टर कादर खान (Kader Khan) अब इस दुनिया में नहीं रहे। कनाडा के एक अस्पताल में उन्होंने अंतिम सांस ली। कादर खान को बाइपेप वेंटीलेटर पर रखा गया था। कादर खान के बेटे सरफराज ने पिता के निधन की पुष्टि की है।
मिली जानकारी के अनुसार, सोमवार शाम 6 बजे उन्होंने आखिरी सांस ली। डॉक्टरों द्वारा उन्हें बचाने की सारी कोशिशें नाकाम रहीं। कादर खान (Kader Khan) का अंतिम संस्कार कनाडा में ही होगा। पिछले काफी समय से वह अपने बेटे और बहू के साथ कनाडा में ही रह रहे थे। शक्ति कपूर (Shakti Kapoor) से एक मुलाकात में उन्होंने कहा था कि वह जल्द ही बॉलीवुड में वापसी करेंगे।
आइए जानते हैं कादर खान की जिंदगी के कुछ अनकहे किस्से…
–कादर खान का जन्म साल 1935 में अफगानिस्तान के काबुल में हुआ था। कादर खान ने अपने फिल्मी करियर की शुरुआत 1974 में की थी।
–कादर खान ने पिता अब्दुल रेहमान खान कंधार के थे तो मां इकबाल बेगर पिशिन की रहने वाली थीं। कादर खान के जन्म से पहले उनका परिवार काबुल में रहता था लेकिन तीन बड़े भाइयों की मौत के बाद कादर खान के माता-पिता उन्हें मुंबई ले आए।
कादर खान का बचपन बहुत गरीबी में गुजरा। वो झोपड़ी में रहते थे। कहा जाता है कि पैरों में पहनने के लिए उनके पास चप्पल तक भी नहीं थी।
–कादर खान की मां उन्हें पढ़ने के लिए मस्जिद भेजा करती थी। लेकिन कादर खान मस्जिद से भागकर कब्रिस्तान चले जाते थे। और वहां पर वह घंटों बैठकर चिल्लाते रहते थे।
कब्रिस्तान में बैठकर घंटो चिल्लाने वाली बात पर किसी ने एक दिन अशरफ खान को बताया कि कोई वहां बैठकर ऐसा करते हैं। अशरफ खान को उस दौरान ऐसे ही किसी किरदार की जरूरत थी। इसी के चलते उन्होंने कादर खान को रोल दे दिया।
–वहीं कादर खान नाटकों में भी भाग लेते थे। एक दिन दिलीप कुमार ने कादर खान को अभिनय करते हुए देखा और उन्हें अपनी फिल्म सगीना के लिए साइन कर लिया।
आखिरी बार कादर खान 2015 में आई फिल्म ‘दिमाग का दही’ में नजर आए थे। 43 साल में लगभग 300 फिल्मों में एक्टिंग और 250 फिल्मों में डायलॉग लिखने वाले कादर खान का कई सालों से कनाडा में ही रह रहें हैं।
–एक्टिंग के अलावा 70 के दशक में अमिताभ बच्चन की सुहाग, मुकद्दर का सिकंदर एवं अमर अकबर एंथोनी जैसी फिल्मों के डायलॉग भी लिखे थे।
देखिए कादर खान की फिल्मों के कुछ मिनट के सीन्स…