ऑस्कर के लिए विलेज रॉकस्टार को सरकार दे ना पाई पूरे पैसे, रीमा दास को फिर करना होगा स्ट्रग्ल

विलेज रॉकस्टार की निर्देशक रीमा दास को असम सरकार ने ऑस्कर प्रमोशन के लिए एक करोड़ रुपए दिए हैं। जबकि प्रमोशन के लिए सरकार से तीन करोड़ रुपए मांगे गए थे।

विलेज रॉकस्टार (Village Rockstars) को जैसे ही ऑस्कर (Oscar) के लिए एंट्री मिली तो देश भर में खुशी की लहर दौड़ पड़ी। विलेज रॉकस्टार की निर्देशक रीमा दास (Rima Das) ने काफी संघर्ष कर के फिल्म बनाई। इसके बाद प्रमोशन के लिए सरकार से तीन करोड़ रुपए मांगे। ताकि ऑस्कर के लिए बेहतर ढंग से प्रमोशन हो सके। इसके बाद भी असम सरकार ने केवल एक करोड़ रुपए देकर जिम्मेदारी निपटा ली। अब ऐसे में रीमा दास की मुश्किलें और भी ज्यादा बढ़ गई हैं। यानी बस इतने ही पैसे में रीमा दास को लॉस एंजिल्स जाने, पीआर हायर करने से लेकर तमाम तरह के खर्चे उठाने होंगे।

रीमा दास ने बताया है कि उनको असम सरकार की ओर से एक करोड़ रुपए दिए गए हैं। इसी पैसे के जरिए वह भारत की ओर से चयनित फिल्म रॉकस्टार का ऑस्कर का प्रमोशन करेंगी। रीमा दास ने इसके लिए सबसे पहले एक पीआर हायर कर लिया है। कम पैसे होने के कारण वह खुद जल्दी जाकर बाकि काम को करेंगी। इनकी कोशिश है कि वह ऑस्कर लेकर भारत आएं। रीम दास की फिल्म विलेज रॉकस्टार (Village Rockstars) को नेशनल और स्टेट लेवल कई अवार्ड मिल चुके हैं। इस फिल्म को बनाने के लिए रीमा दास ने करीब 25 लाख रुपए खर्च किए थे। आईएफएफआई (IFFI) जूरी के मुताबिक, नॉमिनेशन के लिए मूवी का तगड़ा प्रमोशन करना होगा और उसके लिए 2 से 3 करोड़ रूपयों की जरूरत पड़ेगी।

फिल्म के लिए इतना संघर्ष
असमिया फिल्म विलेज रॉकस्टार (Village Rockstars) को पर्दे तक लाने में रीम दास ने खून-पसीना एक कर दिया तब जाकर ऐसी फिल्म बन पाई। फिल्‍म की राइटर, डायरेक्‍टर, सिनेमैटोग्राफर, एडीटर और प्रोडक्‍शन डिजायनर से लेकर सारे काम रीमा दास ने खुद किए। उन्‍होंने यूट्यूब वीडियो देख कर डायरेक्‍शन और रिद्म ऑफ द स्‍टोरी से एडिटिंग सीखी। इस फिल्म को बनाने में रीमा को 4 साल लगे। इस मेहनत को दुनिया भर में पहचान मिल गई है। अब देखना है कि फिल्म जगत का सबसे बड़ा खिताब रीमा दास लेकर आ पाती हैं या नहीं।

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रवि गुप्ता :पत्रकार, परिंदा ही तो है. जैसे मैं जन्मजात बिहारी, लेकिन घाट-घाट ठिकाने बनाते रहता हूं. साहित्य-मनोरंजन के सागर में गोते लगाना, खबर लिखना दिली तमन्ना है जो अब मेरी रोजी रोटी है. राजनीति तो रग-रग में है.