Vinod Khanna: बॉलीवुड के दिग्गज एक्टर विनोद खन्ना जिन्होंने अपनी फिल्मों से, अपने स्टाइल से सभी को दीवाना किया हुआ था. 70 के दशक के वो सबसे हैंडसम एक्टर कहलाए जाते थे. उन्होंने कई बड़े डायरेक्टर, एक्ट्रेस, एक्टर्स के साथ काम किया और बॉलीवुड में अपनी एक अलग जगह बनाई थी. लेकिन क्या आप जानते हैं सुपरस्टार विनोद खन्ना ने ओशो के पुणे आश्रम में जाकर बगीचों की देखभाल की थी. माली बन गए थे विनोद. आज हम आपको विनोद से जुड़े इस किस्से से रूबरू करवाते हैं. यह भी पढ़े: Drishyam 2: परिवार के साथ फिर लौट रहे हैं दृश्यम के ‘विजय सालगॉंवकर’ यानी अजय देवगन, इस दिन खुलेगा सस्पेंस
रजनीश (OSHO) के करीब आने लगे थे
विनोद 70 के दशक में आचार्य रजनीश से प्रभावित होने लगे थे. उन्होंने रजनीश के कई वीडियो देखें और उन्होंने फैसला लिया कि वो अपने आखिरी सालों में सोमवार से लेकर शुक्रवार तक बॉलीवुड में काम करेंगे, और बाकी दो दिन वो आश्रम में बिताएंगे. ऐसा कहा जाता है कि उनका डरावर मर्सीडिज कार लेकर विनोद के साथ पुणे जाया करता था. पहले शुरू-शुरू में वो होटल में रुका करते थे लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने आश्रम में ही रहने का निर्णय ले लिया था. 1975 में वह रजनीश आश्रम में संन्यासी बन गए थे. यह भी पढ़े: HBD Samir Soni: इन्वेस्टमेंट बैंकर फिर मॉडल और उसके बाद बने एक्टर, ऐसा रहा है समीर सोनी का करियर
वो ओशो के पुणे आश्रम में बागीचों की देखभाल करते थे
ऐसा कहा जाता है कि विनोद आश्रम में जैसे ही वह अंदर पैर रखते, उनका स्टार का चोला उतर जाता, वह रजनीश के दूसरे शिष्यों की तरह हो जाते. उन दो दिनों में ध्यान और अन्य आश्रम कार्यक्रमों के बाद उन्हें बगीचों की सफाई के करते थे. आश्रम के बाहर उनका ड्राइवर कार के साथ खड़ा होता. वह अंदर जमीन पर गिरे सूखे पत्ते उठाकर कूड़ेदान में डालते देखे जाते थे. आश्रमवासियों के बीच वह स्वामी विनोद भारती थे.
बॉलीवुड छोड़कर क्यों गए थे विनोद
80 के दशक की शुरुआत में पुणे के रजनीश आश्रम में दिक्कतों की खबरों आने लगी थीं. रातों-रात रजनीश के अमेरिका के ओरेगान जाने की खबर आई. वह प्रिय शिष्यों को वहां साथ रखना चाहते थे. विनोद खन्ना से भी चलने को कहा. विनोद ने साल 1982 में जब मुंबई के होटल सेंटूर में प्रेस कांफ्रेंस बुलाई तो मीडिया हैरान हुआ था. विनोद खन्ना चोला और ओशो की तस्वीर वाली मनकों की माला पहनकर आए और उन्होंने ऐलान कर दिया कि वो बॉलीवुड छोड़कर ओरेगान के रजनीशपुरम जा रहे हैं. उन्होंने कहा- मैं फिल्में छोड़ रहा हूं. ये बात सुनकर उनके फैंस को झटका लगा था. ओरेगान में स्वामी विनोद भारती को माली का काम मिला. वह सुबह जल्दी उठते. पौधों को पानी देते. उस दौरान विनोद खन्ना की खबरें आनी बंद हो गईं. हालांकि जब कोई भारतीय अतिथि ओरेगान के रजनीशपुरम में जाता तो विनोद उससे यही कहते, मैं ओशो का माली हूं. ओरेगान के रजनीशपुरम में उन्हें एक छोटा सा कमरा मिला था.
जब विनोद खन्ना भारत लौट आए थे
1985 में भारत लौट आए थे विनोद खन्ना. एक भारतीय पत्रिका के कवर पर सफेद दाढ़ी में उनकी तस्वीर छपी थी. जिसके बाद ऐसा कहा जाने लगा था कि उनकी और रजनीश की लड़ाई हो गई है. लेकिन रजनीश को अमेरिका सरकार ने वापस भारत भेज दिया था. वह रजनीश से ओशो के रूप में रूपांतरित होकर 1987 में वापस पुणे लौट आए थे. जब विनोद लौटे तो लगातार यही कहा कि वह ताजिंदगी ओशो से जुड़े रहेंगे. ऐसा ही हुआ भी. वह लगातार पुणे जाते रहे. उन्होंने फिर फिल्में करनी शुरू कर दीं.
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