Whtasapp की मुश्किल बढ़ती नजर आ रही है। व्हॉट्सएप की लाख कोशिश के बाद भी भारत सरकार ने सख्त कदम उठाए हैं। फेक न्यूज को लेकर भारत सरकार और व्हॉट्सएप के बीच पेंच फंसता जा रहा है। अगस्त के महीने से ही मेसेजिंग ऐप व्हॉट्सएप और सरकार के बीच फर्जी खबरों को लेकर मतभेद जारी है।
बताया जा रहा है कि व्हॉट्सएप को सरकार की ओर से कई मांगे रखी गई थी लेकिन व्हॉट्सएप ने एक मांग को छोड़कर सभी मांग मान ली है। लेकिन मांग को ना मानने के कारण भारत सरकार नाराज दिख रही है जिससे कि व्हॉट्सएप बैन की संभावना दिख रही है। ऐसे में सबसे ज्यादा यूजर्स वाले देश में बैन होने पर व्हॉट्सएप को करारा झटका लगेगा।
सरकार कर रही बैन की तैयारी
इसके साथ ही बताया जा रहा है कि इलेक्ट्रॉनिक्स और आईटी मंत्रालय की ओर से व्हॉट्सएप कंपनी को एक और आधिकारिक पत्र भेजा जाएगा। इस पत्र के माध्यम से सरकार कंपनी को अलर्ट करेगी कि अगर वह सरकार की सारी मांगों को पूरा नहीं करते हैं तो देश में वॉट्सऐप को बैन हो सकता है।
भारत सरकार की मांग
-व्हॉट्सएप पर फेक न्यूज और अफवाहों को रोका जाए और इसके लिए प्रभावी समाधान किया जाए।
-फर्जी संदेश, तकनीकी समाधान और शिकायत निपटारे के लिए अधिकारी नियुक्त करें।
-भारत में काम करने के लिए कार्यालय बनाया जाए।
-भारत सरकार को व्हॉट्सएप से मैसेजे ट्रैक करने की अनुमति।
इसलिए बढ़ा विवाद
उपरोक्त तीन बातों को तो व्हॉट्सएप ने मान लिया लेकिन एक मांग को नहीं मानी। दरअसल, भारत सरकार ने व्हॉट्सएप से मैसेजेस ट्रैक करने की अनुमति मांगी पर व्हॉट्सएप ने गोपनीयता और निजता का हवाला देते हुए इसकी अनुमति देने से साफ मना कर दिया। इस कारण सरकार पूरी तरह व्हॉट्सएप पर बिगड़ गई है।
सुप्रीम कोर्ट का नोटिस
हालांकि व्हॉट्सएप को ये पहली बार फटकार नहीं लगी है। इससे पहले भी देश के सर्वोच्च न्यायालय ने फटकार लगाई थी। इसी साल अगस्त में सुप्रीम कोर्ट ने व्हॉट्सएप को नोटिस जारी कर पूछा था कि भारत में शिकायत अधिकारी की नियुक्ति क्यों नहीं की, इसके लिए देरी क्यों की गई। और चार हफ्तों में व्हॉट्सएप से जवाब मांगा था।
फेक न्यूज पर बढ़ा मामला
असम, बिहार, दिल्ली, उत्तर प्रदेश जैसे कई बड़े राज्यों में फेक न्यूज के कारण बेकसूर लोग मारे गए थे। इसके बाद फेक न्यूज पर लगाम कसने को कहा गया। हालांकि इसके बाद व्हॉट्सएप की ओर से फेक न्यूज रोकने के लिए कई बड़े कदम उठाए गए। इसके साथ ही भारत के अखबारों में जागरूकता वाले विज्ञापन भी प्रकाशित कराए गए।