April Month Vrat And Festival 2020: अप्रैल में पड़ रहे हैं कई प्रमुख व्रत, जानिए तिथि और उनका महत्‍व

April Month Vrat And Festival 2020: हिन्दू धर्म ग्रंथों और पंचांग के अनुसार अप्रैल माह व्रत-त्‍योहार की दृष्टि से व‍िशेष है। इस माह में कई व्रत-त्‍योहार पड़ रहे हैं। अप्रैल का पूरा महीना भगवान की पूजा-भक्ति और आराधना-उपासना में व्यतीत होगा। आइए जानते हैं अप्रैल माह में पड़ने वाले प्रमुख व्रत-त्‍योहारों का महत्व और उनकी तारीख।

अप्रैल माह के व्रत और त्‍योहार

1 अप्रैल दुर्गाष्टमी: दुर्गाष्टमी प्रत्येक माह की शुक्ल पक्ष की अष्टमी को दुर्गा अष्टमी व्रत का विधान है। लेकिन नवरात्रि के समय आने वाली अष्टमी को महाअष्टमी के नाम से भी जाना जाता है। इस दिन मां दुर्गा की विशेष पूजा-अर्चन और आराधना की जाती है। घरों में अष्टमी का पूजन कर नवरात्रि का समापन कर लिया जाता है और कुछ घरों में नवमी के दिन ऐसा किया जाता है।इस दिन माँ दुर्गा का व्रत रखा जाता है।

2 अप्रैल रामनवमी: भगवान राम के जन्मदिन के रूप में रामनवमी का पर्व पूरे देश में बड़े ही धूम-धाम से मनाया जाता है। पूरे देश में अनेक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं और भगवान श्रीराम की पूजा पूरे विधि-विधान से की जाती है। इस दिन हजारों लोग अयोध्या पहुंचकर पुण्य सलिला सरयू नदी में स्नान कर पुण्यार्जन करते हैं। इस पर्व का संबंध राम से होने के कारण इस दिन को अत्यन्त शुभ माना जाता है।

4 अप्रैल कामदा एकादशी: हिन्दू धर्म ग्रंथों के आधार पर चैत्र शुक्ल एकादशी को कामदा एकादशी के रूप में जाना जाता है। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखकर भगवान नारायण का पूजन, अर्चन करने से वे प्रसन्न होते हैं और व्रती को सभी पापों से मुक्त कर देते हैं। प्राचीन काल में राजा दिलीप ने भी इस एकादशी के व्रत का माहात्म्य अपने गुरु वशिष्ठ से सुना था।

5 अप्रैल शुक्‍ल पक्ष और 20 अप्रैल कृष्‍ण पक्ष प्रदोष व्रत: भगवान भोलेनाथ को अत्‍यंत प्रिय प्रदोष व्रत अत्‍यंत शुभ और महत्‍वपूर्ण माना गया है। ये व्रत शुक्‍ल पक्ष और कृष्‍ण पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन पड़ता है। इस दिन भगवान शंकर की संध्‍याकाल में पूजा-अर्चना की जाती है। व्रती को सफेद या फिर हल्‍के रंग के वस्‍त्र धारण करने चाहिए। शंकर भगवान के मंदिर में जा कर श‍िवलिंग का अभिषेक करना चाहिए। इसके बाद पंचाक्षरी मंत्र का जप करना चाहिए। इसके बाद भोलेनाथ को बेल पत्र चढ़ाकर प्रदोष कथा पढ़कर आरती करें।

10 अप्रैल गुड फ्राईडे: गुड फ्राइडे को 'होली फ्राइडे', 'ब्लैक फ्राइडे' और ग्रेट फ्राइडे के नाम से भी जाना जाता हैं। ये दिन ईसाई धर्म के लोगों द्वारा कैलवरी में ईसा मसीह को सलीब पर चढ़ाने के कारण हुई मृत्यु की तिथ‍ि के रूप में मनाया है। इस दिन को जो ईस्टर संडे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है जो ईस्टर संडे से पहले पड़ने वाले शुक्रवार को आता है और इसका पालन पाश्कल ट्रीडम के अंश के तौर पर किया जाता है। पवित्र सप्ताह के दौरान मनाया जाता है। बता दें कि यह अक्सर यहूदियों के पासोवर के साथ पड़ता है।

10 अप्रैल श्री पंचमी: हिंदू धर्म ग्रंथों के आधार पर चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की पंचमी को माता लक्ष्मी के नाम से यानी 'लक्ष्मी पंचमी' के नाम से जाना जाता है। इस दिन की महत्ता को लेकर बताया जाता है कि धन की अधिष्ठात्री देवी मां लक्ष्मी का पूजन और व्रत इस दिन विशेष फलदायी होता है और लक्ष्मी मां की स्तुति सभी लक्ष्मी स्तोत्रों के द्वारा करनी चाहिये।

13 अप्रैल मेष संक्रांति: मेष संक्रांति (जिसे मेष संक्रमण भी कहा जाता है) सौर चक्र वर्ष के पहले दिन को संदर्भित करता है, जो कि हिंदू लूणी-सौर कैलेंडर में सौर नव वर्ष होता है। मेष संक्रांति भारतीय कैलेंडर की बारह संक्रांतियों में से एक मानी जाती है। यह अवधारणा भारतीय ज्योतिष ग्रंथों में भी पाई जाती है।

13 अप्रैल संत कंवरराम जयंती: 13 अप्रैल सन् 1885 ईस्वी को बैसाखी के दिन सिंध प्रांत में सक्खर जिले के मीरपुर माथेलो तहसील के जरवार ग्राम में संत कंवर रामजी का जन्म हुआ था। इस दिन को संत कंवर रामजी की जयंती के दिन में मनाते हैं। संत कंवर रामजी के पिता ताराचंद और माता तीर्थ बाई दोनों ही प्रभु भक्ति एवं हरि कीर्तन में अपना द‍िन व्‍यतीत करते थे। बताते हैं कि उनके जीवन में संतान का अभाव था। सिंध के परम संत खोतराम साहिब के आशीर्वाद से उन्हें एक पुत्र रत्न की प्राप्ति हुई जिसका नाम ‘कंवर’ रखा गया। कंवर का अर्थ है ‘कंवल’ अर्थात कमल का फूल। नामकरण के समय संत खोताराम साहिब ने भविष्यवाणी की कि जिस प्रकार कमल का फूल तालाब के पानी और कीचड़ में खिलकर दमकता रहता है वैसे ही इस जगत में ‘कंवर’ भी निर्मल, विरक्त होगा और सारे विश्व को कर्तव्य पथ, कर्म, त्याग और बलिदान का मार्ग दिखाएगा।

14 अप्रैल डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती: 14 अप्रैल को गरीबों और दलितों के मसीहा डॉ. भीमराव अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है। इस द‍िन को ‘समानता दिवस’ और ‘ज्ञान दिवस’ के रूप में भी मनाया जाता है। बाबा साहेब भीम राव अंबेडकर को पूरे विश्‍व में उनके मानवाधिकार आंदोलन, संविधान निर्माण और उनकी प्रकांड विद्वता के लिए जाना जाता है। 14 अप्रैल को उनकी जयंती के दिन को उनके प्रति सम्मान व्यक्त करने के लिए मनाया जाता है। पहली बार बाबा साहेब की जयंती 14 अप्रैल 1927 को उनके अनुयायी रणप‍िसे ने पुणे में मनाई थी। इसके बाद से ही बाबा साहेब की जयंती की प्रथा का आरंभ माना जाता है।

18 अप्रैल वरुथिनी एकादशी: हिंदू धर्म में एकादशी तिथि का अत्यंत महत्व बताया गया है। एकादशी का व्रत मोक्षदायक माना जाता है। इस दिन व्रत रखने का काफी महत्व बताया गया है। प्रत्येक माह में दो एकादशी व्रत रखे जाते हैं। दोनों ही एकादशी की पद्म पुराण में बड़ा महत्व बताया गया है। इस पुराण में वैशाख मास की कृष्ण पक्ष की एकादशी के विषय में भगवान श्रीकृष्ण ने कहा है कि यमराज और यमलोक के भय से परेशान लोगों को वरूथिनी एकादशी का व्रत अवश्य करना चाहिए।

24 अप्रैल गुरु अनंग देव जयंती: चैत्र मास के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि के दिन अनंग त्रयोदशी के व्रत का काफी महत्व है। जिसका अंग न हो उसे अनंग कहा जाता है। और संस्कृत साहित्य में कामदेव को अनंग के नाम से जाना जाता है। ऐसा कहा जाता है कि जब भगवान महादेव ने कामदेव को अपने तप से भस्म कर दिया तो उसने बिना अंग के ही सब प्राणियों में अपना वास बना लिया। ऐसी मान्यता है कि इस दिन व्रत रखने से पति और पत्नी में अनुराग उत्पन्न होता है और उन्हें पुत्र के रूप में संतान सुख प्राप्त होता है। भविष्य पुराण में इस व्रत के विषय में कहा गया है कि इस दिन कामदेव और रति का पूजन करने से उत्तम संतान की प्राप्ति होती है।

26 अप्रैल अक्षय तृतीया, भगवान परशुराम जयंती: इस माह में 26 अप्रैल को बैसाख की शुक्‍ल पक्ष तृतीया को अक्षय तृतीया मनाई जाएगी। बताया जाता है कि इस दिन जो भी काम किया जाए उसका कई गुना फल मिलता है और वह कभी घटता भी नहीं है। मान्‍यता यह भी है कि इसी दिन से सतयुग और त्रेता युग का आरंभ हुआ था। नर-नारायण, परशुराम और हयग्रीव का अवतार भी इसी दिन हुआ था। अक्षय तृतीया पर भगवान विष्णु और माता लक्ष्मी का पूजा का विशेष महत्त्व है। इस दिन पूजन को विशेष लाभदायी माना जाता है।

27 अप्रैल विनायक चतुर्थी व्रत: भारतीय परंपरा के मुताबिक़ प्रत्येक चंद्र मास में दो चतुर्थी होती हैं। यह चतुर्थी तिथि भगवान गणेश को समर्पित होती है। अमावस्या के बाद आने वाली शुक्ल पक्ष की चतुर्थी को ही विनायक चतुर्थी कहते हैं और पूर्णिमा के बाद आने वाली कृष्ण पक्ष की चतुर्थी को संकष्टी चतुर्थी कहते हैं। ऐसी मान्यता है कि इस दिन गणेशजी का व्रत रखने वाले के सभी कष्ट दूर हो जाते हैं। साथ ही वर्ष भर श्री गणेशजी की कृपा बनी रहती है।

28 अप्रैल आद्य शंकराचार्य जयंती: एक नन्‍हें से बालक के महज 2 वर्ष में वेद, उपनिषद के ज्ञान और 7 वर्ष में संन्‍यास जीवन में प्रवेश कर जाने की बात निश्‍चय ही हैरान कर देती है। लेकिन कहते हैं न कि हर सफल पुरुष के पीछे किसी न किसी स्‍त्री का हाथ होता है तो बालक ‘शंकर’ के जगद्गुरु आदि शंकराचार्य बनने के पीछे भी एक स्‍त्री यानी कि उनकी मां को ही श्रेय जाता है।

29 अप्रैल रामानुजाचार्य जयंती: भारत की भूमि ने कई महान संत और महात्माओं को जन्म दिया है। रामानुज का जन्म 1017 ईसवी सन् में दक्षिण भारत के तमिलनाडु राज्य में एक ब्राह्मण परिवार में हुआ था। बचपन में उन्होंने कांची जाकर अपने गुरू यादव प्रकाश से वेदों की शिक्षा ली। उन्होंने कई लोगों को धर्म के राह में जोड़ा है और उन्हें मुक्ति दी है। वैष्णव आचार्यों में प्रमुख रामानुजाचार्य की शिष्य परम्परा में ही रामानन्द हुए जिनके शिष्य कबीर और सूरदास थे।

30 अप्रैल, चित्रगुप्‍त जयंती, गंगा सप्‍तमी- हिंदू धर्म में एकादशी का व्रत सबसे महत्वपूर्ण व्रतों में से एक माना जाता है। प्रत्येक वर्ष हिन्दू पंचाग के अनुसार 24 एकादशियां आती हैं। जब अधिकमास या मलमास आता है तब इनकी संख्या बढ़कर 26 हो जाती है। चित्रगुप्‍त जयंती यम द्वितीया के दिन मनाई जाती है। विशेषकर ये जयंती कायस्थ वर्ग में अधिक प्रचलित है। भगवान च‍ित्रगुप्‍त उनके आराध्‍य देवता हैं। भगवान चित्रगुप्त परमपिता ब्रह्मा जी के अंश से उत्पन्न हुए हैं और यमराज के सहयोगी हैं। च‍ित्रगुप्‍त जी का जन्‍म ब्रह्मा जी की काया से हुआ था। कहा जाता है कि इसीलिए ये कायस्थ कहलाये और इनका नाम चित्रगुप्त पड़ा। वहीं आस्था की प्रतीक गंगा नदी के पृथ्‍वी पर आने की तिथ‍ि को गंगा सप्‍तमी के रूप में मनाया जाता है। हिंदू धर्म की मान्‍यता के अनुसार बताया जाता है कि वैशाख मास शुक्ल पक्ष की सप्तमी तिथि को ही मां गंगा स्वर्ग लोक से भगवान भोलेनाथ की जटाओं में पहुंची थीं। गंगा सप्तमी के दिन गंगा स्नान करने से सभी तरह के पाप और सभी दुखों से मुक्ति मिल जाती है।

lakhantiwari :मेरा नाम लखन तिवारी है और मैं एंटरटेनमेंट जर्नलिस्ट के रूप में पिछले 6 वर्षों से काम कर रहा हूं. एंटरटेनमेंट की खबरों से खास लगाव है. बॉलीवुड की खबरें पढ़ना और लिखना दोनों ही पसंद है.