द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर फिल्म रिव्यू: अभिव्यक्ति की आजादी की कमजोर कहानी है अनुपम खेर की ये फिल्म

फिल्म में दिखाया गया है कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर कॉंग्रेस पार्टी ने उनकी बेइजत्ती की लेकिन सच्चाई ये है कि 'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' फिल्म में भी उनकी इज्जत का कुछ ख़ास ख्याल नहीं रखा गया है बल्कि इस फिल्म के सहारे फिर एक बार सिंह साहब के नाम का इस्तमाल किया गया है।

'द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर' फिल्म रिव्यू

कुछ फिल्में ऐसी होती है जिसका हमे बेसब्री से इंतजार होता है उन्ही में से एक है अभिनेता अनुपम खेर और अक्षय कुमार की ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’। इस फिल्म में हम ये देखना चाहते हैं कि पूर्व प्रधानमंत्री की भूमिका के साथ अनुपम खेर ने इंसाफ किया या नहीं? आखिर क्यों कॉंग्रेस पार्टी इस फिल्म का विरोध कर रही थी? इन सारे सवालों का जवाब हम आपको दिए देते हैं। अगर आप इस फिल्म को देखने का मूड बना रहे हैं तो जरा गौर से इस रिव्यू को पढ़ें।

कहानी

हमें ऐसा लग रह था ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फिल्म भारत के पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह की बायोपिक है। लेकिन इस फिल्म में सिर्फ उनके प्रधानमंत्री के शासनकाल के बारे में ही बताया गया है, वो भी आधे अधूरे ढंग से। 2004 में कॉंग्रेस पार्टी के हाथों सत्ता चलाने की जिम्मेदारी आती है और पार्टी की चीफ सोनिया गांधी (सुजैन बर्नेट) पीएम पद पर अर्थशाष्त्री मनमोहन सिंह (अनुपम खेर) को विराजमान करती है। मनमोहन सिंह देश के विकास के लिए बहुत कुछ करना चाहते हैं लेकिन कॉंग्रेस पार्टी की हाई कमान हमेशा उनके आड़े आती है। ऐसे में मनमोहन सिंह मीडिया एडवाइजर के पद पर जर्नलिस्ट संजय बारू (अक्षय खन्ना) को अपॉइंट करते हैं जिनका काम है मनमोहन सिंह के लिए भाषण लिखना और मीडिया का काम संभालना।

देश के उज्वल भविष्य के लिए पीएम मनमोहन सिंह कुछ ऐसे फैसले लेते हैं जो कांग्रेस पार्टी को नामंजूर होती है। आलम ये है कि मनोहन जी के रास्ते में अपोजिट पार्टी नहीं बल्कि उन्ही की कांग्रेस पार्टी परेशानी खड़ी करती है, जिसकी वजह से मनमोहन सिंह को बड़ी शर्मिंदगी उठानी पड़ती है।

ऐसे में संजय बारू मनमोहन सिंह की छवि सुधारने की जद्दोजहद में लग जाते हैं साथ ही उन्हें मजबूर करते हैं कि वे आला कमान की बात ना सुनकर खुद के फैसले पर गौर करें। मनमोहन सिंह के खिलाफ विपक्ष और कॉंग्रेस पार्टी दोनों ही हैं.. ऐसे में अपना अस्तित्व वे अंत तक कैसे बरक़रार रखते हैं और संजय बारू उनका साथ कब तक देते हैं? जानने के लिए आपको फिल्म देखने जाना होगा।

‘देखें ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फिल्म का पोस्टर

अभिनय

पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह के अवतार में अनुपम खेर ने कोशिश की है कि वे बढ़ियां एक्टिंग कर सकें। मनमोहन सिंह की तरह वे दिख रहे हैं और उन्ही की तरह बोल भी रहे हैं.. पर कहीं-कहीं हंसी आ जाती है। यकीन नहीं होता कि क्या वाकई में मनमोहन सिंह इस तरह चलते थे। सही मायने में फिल्म के हीरो अक्षय खन्ना हैं और उन्ही की अगुवाई में हम पूरी फिल्म की कहानी समझ रहे हैं। अक्षय खन्ना ने बेहतरीन अभिनय किया है। उनकी जितनी भी तारीफ की जाए कम है। इसके अलावा सोनिया गांधी के किरदार में सुजैन बर्नेट, राहुल गांधी की भूमिका में अर्जुन माथुर और प्रियंका गांधी के रोल में अहाना कुमरा ने अच्छी एक्टिंग की है। हालांकि इन सभी कलाकारों को फिल्म में कम समय दिया गया है।

डायरेक्शन

फिल्म को डायरेक्ट किया है विजय गत्ते ने। कमजोर स्क्रिप्ट के चलते विजय गत्ते का काम काफी ढीला लग रहा है। 2 घंटे की फिल्म में बहुत कुछ दिखाने के चक्कर जल्दबाजी हो गई। पूरी फिल्म एक कमरे में शूट की गई है। कुछ बढ़ियां लोकेशन का सहारा लिया गया होता तो बात ही कुछ और होती।

क्यों देखें

अगर आप राजनीति जगत में विश्वाश रखते हैं और मनमोहन सिंह की जीवनी के बारे में हल्की फुल्की जानकारी जानना चाहते हैं तो आप ये फिल्म देख सकते हैं।

सीधी बात नो बकवास

फिल्म में दिखाया गया है कि मनमोहन सिंह को प्रधानमंत्री बनाकर कॉंग्रेस पार्टी ने उनकी बेइजत्ती की लेकिन सच्चाई ये है कि ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फिल्म में भी उनकी इज्जत का कुछ ख़ास ख्याल नहीं रखा गया है बल्कि इस फिल्म के सहारे फिर एक बार सिंह साहब के नाम का इस्तमाल किया गया है। संजय बारू के किताब में मनमोहन सिंह को कमजोर-डरपोक किस्म का बताया गया है। सच्चाई ये है कि मनमोहन सिंह विनम्र इंसान हैं।

फिलहाल हम अपनी तरफ से अनुपम खेर और अक्षय खन्ना की फिल्म ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ को 2.5 स्टार देते हैं।

देखें ‘द एक्सिडेंटल प्राइम मिनिस्टर’ फिल्म का ट्रेलर

देखें अनुपम खेर की मनमोहन सिंह लुक वाली तस्वीरें

धर्मेंद्र दुबे :मेरा नाम धर्मेंद्र दुबे है। फिल्म जगत की खबरें आप तक पहुंचना मेरा काम है। अजय देवगन ने मेरे लिए कहा था, 'तुम एक अच्छे पत्रकार ही नहीं बल्कि एक अच्छे इंसान भी हो'।