Film Review: ‘फ्यूज बल्ब’ साबित हुई शाहिद और श्रद्धा की फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू’

सिनेमाघरों में शुक्रवार को शाहिद कपूर की फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू ‘बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। फिल्म बिजली बिल के गंभीर मुद्दे पर आधारित है।
फिल्म का नाम: बत्ती गुल मीटर चालू
स्टार कास्ट: शाहिद कपूर, यामी गौतम, श्रद्धा कपूर
निर्देशक- श्री नारायण सिंह
मूवी टाइप- ड्रामा
अवधि- 2 घंटा 43 मिनट

सिनेमाघरों में शुक्रवार को शाहिद कपूर की फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू ‘बड़े पर्दे पर रिलीज हो गई है। फिल्म बिजली बिल के गंभीर मुद्दे पर आधारित है। बिजली से सम्बंधित ये समस्या देश के किसी भी इलाके में मिल जाएगी, लेकिन फिल्म ‘बत्ती गुल मीटर चालू’ की कहानी उत्तराखंड के इंडस्ट्रियल इलाके में बिजली कंपनियों की मनमानी पर आधारित है। फिल्म का निर्देशक श्री नारायण सिंह ने किया है।

कहानी तीन दोस्त सुशील कुमार पंत उर्फ एस.के (शाहिद कपूर), ललिता नौटियाल उर्फ नौटी (श्रद्धा कपूर) और सुंदर मोहन त्रिपाठी (दिव्येंदु शर्मा) से जुड़ी हैं। ये तीनों टिहरी में रहते हैं। फिल्म में शाहिद का किरदार चालू वकील का है, जो लोगों को झूठे केस में फसाने की धमकी देकर पैसे वसूलने का काम करते हैं। वहीं फिल्म में श्रद्धा कपूर फैशन डिजाइनर बनी हुईं हैं और त्रिपाठी यानी दिव्येंदु शर्मा ने फिल्म में एक प्रिंटिंग प्रेस लगाई है।

फिल्म में दर्शाया गया है कि उत्तराखंड में बिजली की समस्या गंभीर स्थिति में है। वहां ज्यादातर बिजली कटौती होती हुईं दिखाई गई है। इन हालातों में भी सुंदर मोहन त्रिपाठी की फैक्ट्री के बिजली का बिल हमेशा ज्यादा ही आता है और एक बार 54 लाख बिल आ जाता है। इसकी शिकायत कराने वो थाने में जाता है, लेकिन वहां उनकी कोई बात नहीं सुनता।

लाख कोशिशों के बाद भी असफल होने पर वो खुदकुशी जैसा बड़ा कदम उठा लेते हैं। दोस्त की मौत का एस.के को जोरदार झटका लगता है। वो अपने दोस्त का केस लड़ने का फैसला करता है। केस में एस.की जिरह वकील गुलनार (यामी गौतम) से होती है। इस कोर्ट के पूरे ड्रामे के बाद एक फैसला आता है, जिसके लिए आपको फिल्म देखनी पड़ेगी।

फिल्म में शाहिद कपूर की एक्टिंग धमाकेदार है, वो अपने किरदार में एक अलग अंदाज में नजर आते हैं। श्रद्धा कपूर अपने सहज अभिनय से दर्शकों को बांधे रखती हैं। वहीं बात करें यामी गौतम की तो वो फिल्म में थोड़ी देर के लिए दिखाई दी हैं लेकिन उनके अभिनय ने दर्शकों के दिल में अपनी छाप छोड़ दी है।

इसके साथ ही फिल्म कुछ जगहों पर कमजोर भी साबित होती नजर आई है। बिजली बिल के गंभीर मुद्दे पर बनी इस फिल्म को एक बार देखना तो बनता ही है। मूवी मीटर पर हम इस फिल्म को 60% देते है|

कविता सिंह :विवाह के लिए 36 गुण होते हैं, ऐसा फ़िल्मों में दिखाते हैं, पर लिखने के लिए 36 गुण भी कम हैं। पर लेखन के लिए थोड़े बहुत गुण तो है हीं। बाकी उम्र के साथ-साथ आ जायेंगे।