यह इश्क़ नहीं आसान, इतना ही समज लीजिए, एक आग का दरिया है, और डूब के जाना है। देखा जाए तो, दो प्यार करने वालों की दुनिया हमेशा से ही दुश्मन बनी रही है। लैला- मजनू से लेकर हीर- रांझा तक की कहानियाँ आज भी वह इतिहास याद दिलाती है जिसमें ऊंच- नीच और जात-पात का भेद दिखाया जाता है। धर्म और जाती के नाम पर प्यार करनेवालों की बलि तक दी जाती है। खैर, ऐसे ही पुरे चक्रव्यूह में घिरे दो प्रेमियों के प्यार और त्याग की कहानी है शशांक खेतांक की धड़क।
फिल्म धड़क की कहानी राजस्थान के उदयपुर शहर से शुरू होती है। राज परिवार से जुड़ी पार्थवी (जाह्नवी कपूर) न तो अपने राजपरिवार के बंधनों और कायदों को दिल से स्वीकार करती है और न ही उसे अपनी आजादी में भाई चाचा या फिर अपने पिता तक को दखल देना पसंद है। दूसरी ओर पार्थवी के पिता ठाकुर रतन सिंह (आशुतोष राणा) को भी कतई बर्दाश्त नहीं कि कोई उसके किसी भी फैसले के खिलाफ जाए। पार्थवी के कॉलेज में पढ़ने वाले मधुकर (ईशान खट्टर) को पहली नजर में ही पार्थवी से प्यार हो जाता है, मधुकर के पिता को मंजूर नहीं कि उनका बेटा ऊंची जाति और राजघराने की पार्थवी से मिले, लेकिन मधुकर और पार्थवी इन सब की परवाह किए बिना एक-दूसरे से मिलते हैं। दूसरी ओर ठाकुर साहब चुनाव लड़ने की तैयारी में लगे हैं, ऐसे में उन्हें वोटर को रिझाना भी मजबूरी बनता जा रहा है।
रतन सिंह को पार्थवी और मधुकर के प्यार के बारे में जब पता लगता है तो मधुकर और उसकी फैमिली पर उनका कहर टूट पड़ता है। ऐसे में दोनों उदयपुर से भाग जाते हैं। फिर शुरू होता है कहानी में ट्विस्ट, कहानी एक के बाद एक करके कई मोड़ लेती है। लेकिन क्या रतन सिंह, मधुकर को पार्थवी से अलग कर पाएगा? क्या पार्थवी, मधुकर को अपने दबंग पिता रतन सिंह के हाथों से बचा पाएगी? क्या एक बार फिर धर्म के नाम पर प्यार की बलि दी जाएगी? ऐसे कई सवाल हैं जिनके जवाब पाने के लिए आपको ‘धड़क’ देखनी होगी।
धड़क में कलाकारों की एक्टिंग की बात की जाए तो, जान्हवी कपूर ने अपनी एक्टिंग से सरप्राइस कर दिया। जी हां, अपने डेब्यू से जान्हवी ने अच्छी एक्टिंग की है। अपने पार्थवी किरदार को बड़े परदे पर उतारने की पूरी कोशिश की है। वहीं मधुकर के रोल में ईशान खट्टर ने अच्छा किया है। हालांकि उनसे इस फिल्म में शानदार एक्टिंग की उम्मीद की जा रही थी। वजह ये भी है कि इससे पहले ‘बियॉन्ड द क्लाउड्स’ में ईशान को काफी पसंद किया गया था। इस फिल्म में वो अपने सीन में तो फिट बैठते हैं। लेकिन फिर भी वो उभर कर सामने नहीं आ पाते। आशुतोष राणा बाकी फिल्मों की तरह इसमें भी आंखें तरेरने वाले रोल में हैं। उन्होंने कुछ ऐसा नहीं किया है जिसके बारे में अलग से लिखा जा सके। इसके अलावा फिल्म में बंगाली किरदार में जिन एक्टर्स को रखा गया है वो अपनी तरफ ध्यान जरूर खींचते हैं।
फिल्म के म्यूजिक की बात करे तो, फिल्म का टाइटल ट्रैक ‘जो मेरे दिल को दिल बनाती है’ आपको काफी पसंद आएगा। वहीं ‘झिंगाट’ आपको झूमने पर मजबूर करेगा। बाकी दो गाने में भी ठीक-ठाक है। हालाँकि हम्प्टी शर्मा की दुल्हनिया और बदरीनाथ की दुल्हनिया को निर्देशित कर चुके शशांत खेतान का इस फिल्म में भी डायरेक्शन अच्छा है | बता दे कि, शशांक खेतान की धड़क मराठी फिल्म सैराट का रीमेक है। जहाँ धड़क की कहानी सैराट से ही शुरू होती है वहीं फिल्म का क्लाइमैक्स धमाकेदार है न की सैराट जैसा। खैर, फिल्म धड़क को एक बार देखा जा सकता है।