Movie Review: फिल्म फन्ने खां में नहीं चला अनिल और ऐश्वर्या का जादू, बेदम स्क्रिप्ट ने किया बोर

यहाँ पढ़ें फन्ने खान रिव्यु , क्या चल पाया ऐश्वर्या राय बच्चन और अनिल कपूर का जादू?

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Movie Review: फिल्म फन्ने खां में नहीं चला अनिल और ऐश्वर्या का जादू, बेदम स्क्रिप्ट ने किया बोर
यहाँ पढ़ें फन्ने खान रिव्यु , क्या चल पाया ऐश्वर्या राय बच्चन और अनिल कपूर का जादू?

फिल्म के शुरू होने के लगभग 10 मिनट बाद ही आपको इस बात का अंदाजा हो जाएगा कि ये फिल्म वक़्त के साथ-साथ बोझिल हो जायेगी| इस फिल्म की स्क्रिप्ट और ढीला डायरेक्शन देख फन्ने खान को पूरा देखने का विचार बदला जा सकता है| यही नहीं बल्कि साथ-साथ इस फिल्म का स्क्रीनप्ले ऑस्कर नॉमिनेटेड डच फिल्म एव्रीबॉडीज फेमस से लिया गया है लेकिन इसमें कुछ भी ओरिजनैलिटी नहीं है| अगर इतना भी काफ़ी नहीं है तो फिल्म के एडिटर ने इस फिल्म को बोर बनाने का काम बखूबी किया है|

फन्ने खान की कहानी मोहल्ले के फन्ने खान (अनिल कपूर) की है जो अपनी बेटी लता शर्मा (पिहू सैंड) को आवाज़ की दुनिया का बड़ा बादशाह बनाना चाहता है| लेकिन ऐसा करने के लिए उसे पैसे चाहिए जिसके लिए वो अपने साथी अधीर (राजकुमार राव) की मदद लेता है| दोनों मिलकर बेबी सिंह (ऐश्वर्या राय बच्चन) को किडनैप कर लेते है| इस कहानी में बॉडी शेमिंग जैसे विषयों को उठाया गया है हालाँकि इस फिल्म में स्टार पॉवर होने के बावजूद भी यह फिल्म इसे नहीं बचा पाई|

अनिल इस फिल्म में मुख्य भूमिका निभा रहे हैं और उनकी जबरदस्त एक्टिंग के बावजूद आपको उनके किरदार से सहानुभूति नहीं होती, भले ही उनके किरदार को कई सारी परेशानियों से गुज़रना पड़ा हो| यही नहीं बल्कि इस फिल्म में राजकुमार राव जैसे बेहतरीन अभिनेता के टैलेंट को भी बेकार जाने दिया गया है| राजकुमार ने इस फिल्म में ऐसी कॉमेडी करने की कोशिश की है जो आपके चेहरे पर मुस्कान तक नहीं ला पाती है|

ऐश्वर्या राय बच्चन को इस फिल्म में देखना अच्छा लगता है लेकिन उनका ‘ओवर द टॉप’ मोमेंट्स बिल्कुल भी नहीं भाता| इसके अलावा राजकुमार राव के साथ उनकी केमेस्ट्री भी बेजाया लगती है| पिहू सैंड ने इस फिल्म से बहुत ही अच्छा डेब्यू किया है लेकिन शायद ये फिल्म उनके लिए सही नहीं थी| राजकुमार के अलावा दिव्या दत्ता को भी फिल्म में ज्यादा महत्त्व नहीं दिया गया था|

बॉलीवुड फिल्मों में बहुत से डांस और गाने होते हैं लेकिन इसे एक म्युज़िकल फिल्म नहीं कहा जाता क्योंकि फिल्म के गाने कहानी को आगे बढाने में मदद नहीं करते| फन्ने खान का म्यूज़िक इस बात का वादा तो करता है लेकिन ये दुरी फिल्मों की तरह ही लगता है| ना सिर्फ इन गानों से फिल्म की कहानी आगे बढती है और कई जगहों पर ये जबरदस्ती लगती है|

फिल्म का पहला हिस्सा जितना बोरिंग था वहीँ दूसरा हिस्सा थोड़ा देखने ही लायक है| हालाँकि इस फिल्म से लोगों को बड़ी उम्मीदें नहीं करनी चाहिए|

हम इस फिल्म को अपनी मूवी रेट के हिसाब से 35% देते है|

क्या आप फन्ने खान देखने के लिए एक्साइटेड हैं?

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Story Author: श्रेया दुबे

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