हामिद फिल्म रिव्यूः जम्मू-कश्मीर की कहानी को बेपर्दा करती है रसिका दुग्गल-तल्हा अरशद रेशी की ये मूवी

लंबे इंतजार के बाद 'हामिद' फिल्म रिलीज हो गई है। कई अंतरराष्ट्रीय फिल्म फेस्टिवल्स में इस फिल्म को दिखाया जा चुका है और इसे वहां काफी सराहना भी मिली। नीचे पढ़िए 'हामिद' फिल्म का रिव्यू।

'हामिद' फिल्म में रसिका दुग्गल-तल्हा अरशद रेशी मुख्य किरदारों में है। (फोटो- इंस्टाग्राम)

कास्ट- तल्हा अरशद रेशी, रसिका दुग्गल, मीर सरवर, विकास कुमार, सुमित कौल।

डायरेक्टर- एजाज खान।

फिल्म टाइप- ड्रामा।

अवधि- 2 घंटा।

रेटिंग- 3 स्टार।

इस हफ्ते 5 दमदार बॉलीवुड फिल्में एक दूसरे से टकरा रही हैं। नवाजुद्दीन सिद्दीकी-सान्या मल्होत्रा की फिल्म ‘फोटोग्राफ’ को फिल्म समीक्षकों से काफी सराहना मिल रही है। एक अलग मुद्दे पर बनी राकेश ओमप्रकाश मेहरा की फिल्म ‘मेरे प्यारे प्राइम मिनिस्टर’ दर्शकों को पसंद आ रही है। ‘मिलन टाकीज’ से अली फजल, श्रद्धा श्रीनाथ, संजय मिश्रा और आशुतोष राणा जैसे कलाकार दर्शकों का मनोरंजन कर रहे हैं तो कॉमेडी फिल्म ‘शर्मा जी की लग गई’ दर्शकों को गुदगुदा रही है। इन सब के बीच एक फिल्म ऐसी भी है जिसे देखकर आप इंसानियत के अलग-अलग पहलुओं से वाकिफ होंगे और इस फिल्म का नाम है ‘हामिद।’

जम्मू-कश्मीर में नौजवानों के संघर्ष की पृष्ठभूमि पर ‘हामिद’ फिल्म बनाई गई है। फिल्म में मासूम से 7 साल के लड़के हामिद (तल्हा अरशद रेशी) के सवाल आपको झकझोरने के लिए काफी हैं। घाटी में आजादी की मांग को लेकर हो रहे संघर्ष, सेना पर पत्थरबाजी, स्थानीय लोगों के गायब हो जाने की कहानी को इस फिल्म में 7 साल के बच्चे के नजरिए से सोचने की शानदार कोशिश की गई है।

मसाला फिल्म नहीं है ‘हामिद’

आज के समय में मसाला फिल्मों से इतर ‘बाके की क्रेजी बारात’ और ‘द व्हाइट एलीफेंट’ जैसी फिल्में बनाने वाले एजाज खान ने इस फिल्म का निर्देशन किया है। फिल्म की शुरूआत का पहला मजबूत अंश सीआरपीएफ जवानों द्वारा हामिद के पिता रहमत (सुमित कौल) से पूछताछ का है। हामिद अपने पिता का इंतजार कर रहा होता है और जब उसके पिता घर में दाखिल होते हैं तो वह उनसे टीवी पर मैच देखने की जिद करता है।

बेटे की ख्वाहिश में निकला रहमत फिर कभी नहीं लौटता

जिसके बाद टीवी चलाने के लिए बैटरी की जरूरत होती है और रहमत रात में ही बेटे की ख्वाहिश पूरी करने के लिए निकल जाता है, लेकिन फिर कभी वापस नहीं लौटता। रहमत की पत्नी (रसिका दुग्गल) पति की खोज में रात दिन एक कर देती है। वहीं दूसरी ओर हामिद को पता चलता है कि उसके अब्बू अल्लाह के पास चले गए हैं तो वह उन्हें वापस लाने की मासूम सी गुजत भिड़ाता है।

हामिद और CRPF जवान अभय के संवाद ने फूंकी फिल्म में जान

786 अंक में वह जोड़-तोड़कर 10 अंक निकालता है और उस पर फोन लगाता है। फोन एक सीआरपीएफ जवान अभय (विकास कुमार) के पास मिलता है और फिर यहां से शुरू होती है हामिद और अभय की कहानी। हामिद और अभय के बीच होने वाला संवाद आपका ध्यान फिल्म की ओर बनाए रखता है, हालांकि इस दायरे के बाहर जहां फिल्म को दिखाने की कोशिश की गई है, वहां यह आपको कुछ देर के लिए बोर कर सकती है।

कश्मीरियों की व्यथा दिखाने की कोशिश है ‘हामिद’

दरअसल फिल्म का मायनस पॉइंट इसकी लंबाई भी कही जा सकती है। फिल्म में कश्मीर में रहने वाले लोगों की व्यथा को दिखाने की भरसक कोशिश की गई है, फिर चाहे वह वहां रहने वाले स्थानीय लोग हों या अलग-अलग राज्यों से आए सेना के जवान। फिल्म में जवानों के परिवार से दूर रहने की कुंठा को भी बखूबी दिखलाया गया है। अगर आप कश्मीर के बारे में जरा भी जानते हैं तो यह फिल्म आपको दिलचस्प लग सकती है।

सभी एक्टर्स ने किया अपने किरदार के साथ न्याय

स्थानीय लोगों द्वारा हामिद को पत्थरबाज बनाने की कोशिश और उसे सही राह दिखाने वाले अभय के बीच होने वाला संवाद आपका दिल जीत सकता है। सुमित सक्सेना और रविंद्र रंधावा ने काफी अच्छे डायलॉग्स लिखे हैं। फिल्म को और अच्छी तरह से एडिट किया जा सकता था। छोटे से मगर दमदार किरदार में सुमित कौल ने गहरी छाप छोड़ी है। तल्हा अरशद रेशी, रसिका दुग्गल, विकास कुमार और मीर सरवर ने भी अपने-अपने किरदारों के साथ न्याय किया है। अगर मसाला फिल्मों से हटकर आप कुछ अलग देखना चाहते हैं तो यह फिल्म आपको जरूर देखनी चाहिए।

देखिए ‘हामिद’ फिल्म का ट्रेलर…

राहुल सिंह :उत्तराखंड के छोटे से शहर हल्द्वानी से ताल्लुक रखता हूं। वैसे लिखने को बहुत कुछ है अपने बारे में, लेकिन यहां शब्दों की सीमा तय है। पत्रकारिता का छात्र रहा हूं। सीख रहा हूं और हमेशा सीखता रहूंगा।