फिल्म – जंगली
कलाकार – विद्युत् जामवाल, पूजा सावंत, आशा भट, अतुल कुलकर्णी
डायरेक्टर – चक रसल
हिंदीरश रेटिंग – 2.5 /5
फिल्म की कहानी
फिल्म की कहानी की शुरुआत होती है जानवरों के डॉक्टर राज नायर (विद्युत् जामवाल) से, जो पति और पत्नी से कहता है कि उनके बीच का झगड़ा इसलिए है क्योंकि पत्नी का पालतू तोता उससे ज्यादा प्यार करता है| इन दोनों के बीच शांति लाने वाले डॉक्टर नायर अगले ही पल एक कुत्ते को बचाने के चक्कर में कई गुंडों से भीड़ जाते हैं| लेकिन उनका गांव उन्हें वापस बुलाता है| जहां पर उनके पिता हाथियों के रखवाले होते हैं| यहां उसके साथ एक पत्रकार (आशा भट) भी आ जाती है जो राज के पिता का इंटरव्यू लेना चाहती है|
गाँव में राज को उसकी दोस्त शंकु (पूजा सावंत) मिलती है जो चाहती है कि राज और उसके पिता के बीच की दुरी खत्म हो जाए क्योंकि वो अपने पिता की एक गलती को भुला नहीं पाया होता है| इन किरदारों के अलावा इस फिल्म में राज के हाथी दोस्त भोला और दीदी भी साथ होते हैं| इनसे मिलकर राज सबकुछ भूल जाता है, लेकिन उसे इस बात का अंदाज़ा नहीं होता है कि उसके दोस्तों के ऊपर शिकारी (अतुल कुलकर्णी) नाम की बड़ी मुसीबत आने वाली है| अब क्या ये शिकारी हाथियों का शिकार कर लेता है? क्या राज अपने पिता को माफ़ कर देता है? इन सवालों को जवाब के लिए आपको ये फिल्म देखने के लिए थियेटर्स तक जाना होगा|
कैसा रहा कलाकारों का प्रदर्शन
इस फिल्म में विद्युत् जामवाल ने दमदार एक्शन किया है| कई सीन्स ऐसे हैं जिनसे आप एक सेकेंड के लिए भी नज़रें नहीं हटा पाते हैं| कहीं न कहीं विद्युत् का ये एक्शन कमांडों की याद दिलाता है| अतुल कुलकर्णी ने शिकारी का किरदार निभाया है जो खास प्रभाव नहीं छोड़ पाता है| वहीँ पूजा सावंत ने संकु के किरदार में जान डाल दी है| अक्षय ओबेरॉय का किरदार फिल्म में एक ट्विस्ट लाता है लेकिन उन्हें ज्यादा कुछ करने को नहीं मिलता| पत्रकार के किरदार में आशा भट की एक्टिंग कुछ खास नहीं लगी|
फिल्म की खूबियां
जिन लोगों ने इस फिल्म का ट्रेलर देखा है उन्हें इस बात का अंदाज़ा हो गया होगा कि फिल्म को शूट बहुत ही अच्छे से किया गया है| मार्क इरविन ने कैमरे की नज़रों से जिस तरह ये फिल्म हमें दिखाई है वो वाकई खूबसूरत हैं| फिल्म के कई सारे सीन्स को बेहद ही खूबसूरती के साथ फिल्माया गया है| फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर भी बेहतरीन है|
फिल्म की खामियां
चक रसल के डायरेक्शन में बनी फिल्म की कई कड़ियां अधूरी रहती हैं| फिल्म के किरदार मॉर्डन होते हैं लेकिन उनके डायलॉग घिसे पिटे हैं| इस फिल्म में कई किरदार जबरदस्ती ठूंसे गए हैं| कई सारे सिचुएशन ऐसे होते हैं जिनपर ना तो हंसी आती है और ना ही रोना|
क्या देखनी चाहिए ये फिल्म?
बच्चों के एग्जाम ख़त्म हो चुके हैं| तो ऐसे में वो इस फिल्म को देखने थियेटर्स तक जा सकते हैं| लेकिन अगर आप इस फिल्म में हॉलीवुड का अनुभव लेना चाहते हैं तो ये फिल्म आपके लिए नहीं है|
यहां देखिये जंगली फिल्म का ट्रेलर…