Khandaani Shafakhana Review: कमजोर कहानी ने बेकार की सोनाक्षी सिन्हा की मेहनत, नहीं चला बादशाह का जादू

सोनाक्षी सिन्हा, वरुण शर्मा और बादशाह स्टारर फिल्म खानदानी शफाखाना (Khandaani Shafakhana Review) आज देशभर में रिलीज हो चुकी है। इस फिल्म को आप भी देखने का मन बना रहे हैं। हमें पता है पर एक नजर फिल्म रिव्यू पर भी डाल लीजिए।

खानदानी शफाखाना के एक सीन में सोनाक्षी सिन्हा और बादशाह। (फोटोः यूट्यूब स्टिल)

फिल्मः खानदानी शफाखाना
डायरेक्टरः शिल्पी दासगुप्ता
कास्टः सोनाक्षी सिन्हा, वरुण शर्मा, बादशाह, अनु कपूर, कुलभूषण खरबंदा,  प्रियांश जोरे
स्टारः 2.5/5

बॉलीवुड में सेक्सुअल मुद्दे और यौन शिक्षा पर बनी फिल्मों में हमें अक्सर एक पुरुष के नजरिए देखा है। पहली बार इस मुद्दे को किसी महिला के नजरिए से पेश किया गया है। खानदानी शफाखाना बेबी बेदी कही कहानी है, जिसका किरदार सोनाक्षी ने निभाया है। वह एक छोटे कस्बे की रुढ़िवादी पंजाबी परिवार से आती है। उसकी लाख कोशिशों के बाद वह अपनी छोटी से इनकम से अपने बढ़ते कर्जे को चुकाने में फेल हो जाती है। एक दिन, उसे प्रसिद्ध यूनानी ‘सेक्स क्लिनिक’ को चलाने के लिए एक अनोखा मौका मिलता है, जो उसके चाचा से विरासत में मिला है। चाचा का किरदार कुलभूषण खरबंदा ने निभाया है। वह इस क्लिनिक को चलाने के लिए 6 महीने का वक्त देते हैं।

इस चीज के लिए डायरेक्टर और राइटर को मिलना चाहिए क्रेडिट

यही से शुरू होती है फिल्म की असली कहानी। सोनाक्षी सिन्हा (Sonakshai Sinha) लोगों के बीच जाती हैं और जो उन्हें फील कराता है कि सेक्स एक टैबू (जिस पर बात करने हिचक होती है) है। फिल्म में इसी धारणा को तोड़ने की कोशिश की गई है। फिल्म की कहानी में दिल और दिमाग का अच्छा इस्तेमाल किया गया है, ऐसा लगता है कि कोई कहानी सुना रहा है। ऑडियंस को हंसाने के लिए फिल्म के डायरेक्टर और राइटर को इन्युएन्दो और सजेस्टिव हास्य का इस्तेमाल नहीं करने के लिए एक्स्ट्रा क्रेडिट देना चाहिए। कोर्ट रूम के सीन रचनात्मक स्वतंत्रता का दुरुपयोग करते हैं और नाटकीय, अवास्तविक और कानूनी रूप से गलत है, जिसे पचाया नहीं जा सकता है।

यौन सबंध और यौन शिक्षा पर नहीं किया फोकस 

फिल्ममेकर्स ने यौन सबंध और सेक्स एजुकेशन पर ज्यादा फोकस नहीं किया है। वह इस मुद्दे को उठाने में नाकामयाब साबित हुए, जिसकी वजह से इसका विषय और डायलॉग्स ऑडियंस को जोड़ने के लिए असफल साबित हुई है। बेबी बेदी के किरदार में सोनाक्षी सिन्हा ने अच्छा काम किया है। उन्होंने मासूमियत, ईमानदारी और संतुलन के साथ बेबी बेदी की भूमिका निभाई है। सोनाक्षी सिन्हा के फैंस उन पर काफी गर्व महसूस करेंगे, वह पूरी फिल्म को अपने कंधें पर चलाती हैं।

बादशाह नहीं दिखा पाए कमाल

वरुण शर्मा (Varun Sharma) फिल्म में बेबी के भाई भूषित का किरदार निभा रहे हैं। वरुण शर्मा ने अच्छा रोल प्ले किया, कई बार वह चूचा कैरेक्टर से बाहर भी दिखाई दिए। कुलभूषण खरबंदा का किरदार बहुत छोटा है लेकिन इमोशनल और प्रभावशाली है। अनु कपूर को स्क्रीन पर ऑ़डियंस ज्यादा देर तक देखना चाहती है। प्रियांश जोरे ने अपनी डेब्यू फिल्म में काफी शानदार काम किया। उन्होंने सोनाक्षी सिन्हा का लव इंटरेस्ट का किरदार निभाया, लेकिन दोनों के बीच की केमेस्ट्री मिसिंग लगी। बादशाह (Badshah) ने इस फिल्म से एक्टिंग में डेब्यू किया और गबरु घातक के किरदार में वह फेल हो गए।

कमजोर स्क्रिप्ट

बेबी बेदी फिल्म के एंड में काफी अच्छा मैसेज देती है। मोरल ऑफ द स्टोरी यह है कि एक महत्वपूर्ण विषय और परफॉर्मेंस बेकार स्क्रिप्ट की वजह से खराब हो गया। स्क्रिप्ट थोड़ी और अच्छी होती तो फिल्म का ऑडियंस पर अच्छा प्रभाव पड़ता या लोगों को और हंसाती।

यहां देखिए फिल्म खानदानी शफाखाना का ट्रेलर…

 

रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।