Namaste England Movie Review: उम्मीदों पर खरी नहीं उतरी परिणीति चोपड़ा-अर्जुन कपूर की फिल्म

'नमस्ते लंदन' के निर्देशक विपुल शाह ने 'नमस्ते इंग्लैंड' से वापसी की है। परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर लंबे अर्से के बाद एक साथ पर्दे पर नजर आए हैं।

कलाकार- परिणीति चोपड़ा, अर्जुन कपूर
निर्देशक- विपुल अमृत लाल शाह
मूवी टाइप- ड्रामा
अवधि- 2 घंटा 15 मिनट
रेटिंग- 2/5

फिल्म ‘नमस्ते लंदन’ की अपार सफलता के बाद एक बार फिर ‘नमस्ते इंग्लैंड’ के साथ निर्देशक विपुल अमृत लाल शाह ने बॉक्स ऑफिस पर वापसी की है। इस फिल्म से परिणीति चोपड़ा और अर्जुन कपूर लंबे अर्से के बाद एक साथ पर्दे पर नजर आए हैं। इस फिल्म की कहानी थोड़ी-थोड़ी वरुण धवन की बद्रीनाथ की दुल्हनियां से मिलती जुलती है। लेकिन अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा की कहानी थोड़ी नई है। फिलहाल चलिए हम बात करते है फिल्म की कहानी पर…

फिल्म पंजाब से शुरू होती है। जहां जसमीत (परिणीति चोपड़ा) अपने दादा जी के घर में रह रहीं होती हैं। जसमीत अपने दोस्तों के साथ मिलकर कोई न कोई बहाना दादा जी को बताती रहती हैं ताकि वो घर से बाहर रह सकें। क्योंकि जसमीत का परम (अर्जुन कपूर) के साथ अफेयर चल रहा होता है। जसमीत ज्वैलरी डिजाइनर बनाना चाहती हैं। जबकि उसके दादा जी का मानना होता है कि लड़कियां सिर्फ घर संभालने के लिए होती हैं। जसमीत के दादा जी पुराने ख्यालों के होते हैं जिनकी सोच से बहुत अलग जसमीत की सोच होती है।

जसमीत और परम घर वालों की मर्जी से शादी तो कर लेते हैं। लेकिन जसमीत अपने करियर में कुछ करना चाहती है। इसके चलते वो अपने सपने पूरे करने के लिए लंदन जाना चाहती हैं। जबकि परम को जसमीत के साथ पंजाब से भी प्यार होता है। परम जसमीत को पंजाब में रहकर ही सपने पूरे करने के लिए कहते हैं। इस दौरान फिल्म में कई सारें ट्विस्ट और टर्न आते हैं। फिल्म में परम एक डॉयलॉग बोलते हैं कि ‘औरत का अफेयर एक मर्द से नहीं एक शहर से हैं’ हालांकि जसमीत परम को छोड़कर चली जाती है। जसमीत के लिए परम लदंन पहुंच जाते हैं। अब देखना ये हैं कि आखिर परम जसमीत को वापस पंजाब ला पाते हैं या नहीं, इसके लिए आपको ये फिल्म देखनी होगी।

फिल्म में सपोर्टिंग किरदार निभाते हुए आदित्य सील,अलंक्रिता सहाय, अनिल मंगे और मल्लिका दुआ नजर आएंगे। फिल्म का डॉयरेक्शन कमजोर है। कहानी में भी कुछ नयापन नहीं है। लेकिन फिल्म के गाने बेहतर हैं। हालांकि फिल्म में अर्जुन कपूर और परिणीति चोपड़ा ने अपने-अपने किरदार के साथ न्याय किया है।

कविता सिंह :विवाह के लिए 36 गुण होते हैं, ऐसा फ़िल्मों में दिखाते हैं, पर लिखने के लिए 36 गुण भी कम हैं। पर लेखन के लिए थोड़े बहुत गुण तो है हीं। बाकी उम्र के साथ-साथ आ जायेंगे।