ऑस्कर में पहुंची ‘विलेज रॉकस्टार, जानिए रीमा दास का स्कूल से सिनेमा तक का सफर

रीमा दास की फिल्म 'विलेज रॉकस्टार' को ऑस्कर 2019 में जगह मिल गई है। असमिया सिनेमा के लिए ये खुश कर देने वाली खबर है।
रीमा दास की फिल्म ‘विलेज रॉकस्टार’ को ऑस्कर 2019 में जगह मिल गई है। असमिया सिनेमा के लिए ये खुश कर देने वाली खबर है। रीमा दास की इस फिल्म को 29 साल बाद राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार मिला था।
इस फिल्म के रीमा दास को सर्वश्रेष्ठ संपादन का पुरस्कार मिला था। इसके साथ ही इस फिल्म को 65वें राष्ट्रीय फिल्म पुरस्कार 2018 में सर्वश्रेष्ठ लोकेशन साउंड रिकार्डिस्ट मल्लिका दास के काम के लिए सराहना मिली थी।
ये फिल्म रीमा दास के गांव के बैकड्रोप पर गरीब लेकिन अद्भुत बच्चों की कहानी है। ये फिल्म एक बच्ची के सपने पर आधारित है। इस फिल्म में बारिश और बाढ़ के दिखाएं गए सीन असली हैं।
कौन हैं रीमा दास 
रीमा दास मूल रूप से असम से जुड़ीं हैं। जिन्होंने पुणे यूनिवर्सिटी से सोशियोलॉजी में मास्टर्स किया। इसके बाद उन्होंने नेट का एग्जाम क्लीयर करके टीचर बन गईं। रीमा टीचर तो बन गई थी, लेकिन वो बनना एक्ट्रेस चाहती थीं, इसलिए स्कूल में होने वाले नाटकों में वो अक्सर हिस्सा ले लेती थी।
वर्ष 2003 रीमा को पृथ्वी थियेटर में प्रेमचंद की कहानी गोदान की रंगमंचीय प्रस्तुति के लिए मुंबई जाना पड़ा। वहां से लौटने के बाद रीमा को बॉलीवुड में दिलचस्पी बढ़ गई। इसके बाद उन्होंने सिनेमा को पढ़ना और समझना शुरू किया।
ऐसे शुरू हुई फिल्ममेकिंग
रीमा ने सबसे पहले 2009 में एक शॉर्ट फिल्म को बनाया। इसके बाद उनको लगा जैसे उनका सपना फिल्म बनान ही है। इसके बाद उन्होंने दो और फिल्में बनाईं। इस दौरान रीमा लगातार फिल्मों के बारें में पढ़ती और समझती रही।
धीरे-धीरे रीमा फिल्म में राइटिंग, डायरेक्शव, प्रोडक्शन, एडिटिंग, शूटिंग से लेकर कॉस्ट्टूम डिजाइनिंग सब कुछ वो करने लगी। इसके बाद रीमा ने ‘विलेज रॉकस्टार’ फिल्म बनाने की सोची।
जिसमें उन्होंने लोकेशन के तौर पर अपने ही गांव को शामिल किया। इस फिल्म का बनाने में रीमा का तीन सालों का वक्त लगा। फिल्म ने कई अवॉर्ड्स को अपने हिस्से करने के बाद अब ऑस्कर की पारी की ओर है।
कविता सिंह :विवाह के लिए 36 गुण होते हैं, ऐसा फ़िल्मों में दिखाते हैं, पर लिखने के लिए 36 गुण भी कम हैं। पर लेखन के लिए थोड़े बहुत गुण तो है हीं। बाकी उम्र के साथ-साथ आ जायेंगे।