Pihu V/S Mohalla Assi : कौन सी Movie है पैसा वसूल? जानिए FILM Review

इस हफ्ते दोनों ही फिल्मों में से किसी एक को देखने का प्लान बना रहे हैं तो हम मदद कर देते हैं और ये बता देते हैं कि कौन सी फिल्म होगी है पैसा वसूल!

हर हफ्ते कई फिल्म रिलीज होती हैं ऐसी ही इस हफ्ते बॉक्स ऑफिस पर रिलीज हुई है। विनोद कापड़ी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘पीहू’ और सनी देओल की फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’। अब आप अगर इस हफ्ते दोनों ही फिल्मों में से किसी एक को देखने का प्लान बना रहे हैं तो हम मदद कर देते हैं और ये बता देते हैं कि कौन सी फिल्म होगी है पैसा वसूल और किसे देखना होगा फिजूल!

‘पीहू’
विनोद कापड़ी के निर्देशन में बनी फिल्म दो साल की बच्ची पीहू के इर्द गिर्द घुमती हुई फिल्म है। फिल्म की कहानी काफी शानदार और भयावक (अंदर से कपा) फिल्म है। फिल्म में 2 साल की बच्ची की एक्टिंग तारीफे काबिल है। ये फिल्म पती-पत्नी के बीच हो रही हिंसा के बीच 2 साल की बच्ची पीहू किन परिस्थितियों से गुजरती है। ये बखूबी दिखाया गया है।

फिल्म पीहू से शुरू होती है। जो अपने जन्मदिन के दूसरे दिन जब सोकर उठती है तो अपनी मां को मरा हुआ पाती है। लेकिन वो सोचती है कि उसकी मां सो रही है। घर में अकेले पीहू होती है इस दौरान वो अपनी मां से बातें करती हुई भी दिखती है इसके साथ ही पीहू खाना खाने के लिए भी जतन करती हैं।

कभी वो खुद को फ्रिज में बंद कर लेती हैं तो कभी वो अपने लिए खाना बनाने की भी कोशिश करती हैं। एक सीन में पीहू अकेले अपनी गुड़िया से खेल रही होती है उसकी गुड़िया उसके अपार्टमेंट की बिल्डिंग से नीचे गिर जाती है। इस तरह के संस्पेंस सीन फिल्म में कई बार आते हैं। जिन्हें देखकर आपको बार-बार डर लग सकता है।

दरअसल फिल्म 15 मिनट के बाद से ही संस्पेंस और डराने लगती है। फिल्म देखकर किसी को भी डर लग जाएगा कि यदि घर में कोई छोटा बच्चा है तो कुछ भी हो सकता है। अब अकेले पीहू कैसे इन सारी परिस्थियों से खुद को बचा पाती हैं या नहीं इसके लिए आपको सिनेमाघर में जाकर फिल्म देखनी होगी। ये फिल्म इससे पहले कई फैस्टिवल में भी दिखाई जा चुकी है। जहां लोगों ने इस फिल्म को काफी सराहा है। फिल्म में विनोद और मायरा दोनों की तारीफेकाबिल हैं।

‘मोहल्ला अस्सी’
फिल्म फेमस काशीनाथ सिंह की किताब ‘काशी का अस्सी’ पर ये फिल्म आधारित है। चंद्रप्रकाश द्विवेदी के निर्देशन में बनी फिल्म ‘मोहल्ला अस्सी’ में धर्म को लेकर भावनाएं दिखाई गई हैं।

फिल्म में धर्मनाथ पांडेय (सनी देओल) पुरोहित और संस्कृत अध्यापक हैं। धर्मनाथ सिद्धांतवादी होते हैं इसी के चलते विदेशी सैलानियों की घुसपैठ के सख्त खिलाफ होते हैं। उनका अपने इलाके में इतना डर होता है कि कोई चाहकर भी अस्सी मोहल्ले में विदेशी किराएदार नहीं रह पाते हैं। वो फिल्म में एक डॉयलॉग कहते हैं, कि गंगा मैया को विदेशियों का स्वीमिंग पूल नहीं बनने देंगे।

रवि किशन फिल्म में टूरिस्ट गाइड का किरदार निभाते हैं। जो धर्मनाथ पांडेय को अक्सर चिढ़ाते रहते हैं। फिल्म में कई उतार-चढ़ाव ऐसे आते हैं कि धर्मनाथ पंड़ित अपने वसूलों को दरकिनार करके खुद से समझौता करने के लिए तैयार हो जाते हैं। वहीं फिल्म में एक चाय की दुकान का भी जिक्र किया गया है। इसमें एक डॉयलॉग होता है जिसमें कहते हैं देश में दो ही सभा चलती है। एक है संसद में एक पप्पू चाय वाले के यहां। फिल्म में अयोध्या मंदिर विवाद दिखाया गया है। साथ ही फिल्म में अलग अलग धर्म के बारें में दिखाया गया है।

अब आप जानना चाहेंगे कि आखिर इन दोनों फिल्मों में से कौन सी फिल्म है पैसा वसूल कौन है फिजूल, आपके इस सवाल का जवाब है पीहू

कविता सिंह :विवाह के लिए 36 गुण होते हैं, ऐसा फ़िल्मों में दिखाते हैं, पर लिखने के लिए 36 गुण भी कम हैं। पर लेखन के लिए थोड़े बहुत गुण तो है हीं। बाकी उम्र के साथ-साथ आ जायेंगे।