देश के लिए गर्व महसूस करवाती है जॉन इब्राहिम की फिल्म परमाणु, 4 स्टार्स

जॉन इब्राहिम ने छू लिया दिल, देश के लिए गर्व का लम्हा है : परमाणु

जॉन इब्राहिम ने छू लिया दिल, देश के लिए गर्व का लम्हा है : परमाणु

फिल्म का नाम: परमाणु :द स्टोरी ऑफ पोखरण

डायरेक्टर: अभिषेक शर्मा

स्टार कास्ट: जॉन अब्राहम, बोमन ईरानी, डायना पैंटी, विकास कुमार, योगेंद्र टिक्कू, दर्शन पांडेय,अनुजा साठे

अवधि: 2 घंटा 10 मिनट

सर्टिफिकेट: U

रेटिंग: 4 स्टार

परमाणु की कहानी एक ऐसी कहानी है जिसमें फिल्म के कुछ एक सदाबहार जॉनर का मिश्रण आपको एक कहानी के अंदर देखने को मिलेगा। इसकी कहानी में एक अंडरडॉग है, थ्रिल है, समय के साथ एक किस्म की स्पर्धा है यानी रेस अगेंस्ट टाइम की बात कही गई है और साथ ही साथ मनोरंजन भी है।

कहानी की शुरुआत 1995 से होती है जब पीएमओ के एक जूनियर ब्यूरोक्रेट अश्वत रैना (जॉन अब्राहम) भारत के परमाणु परीक्षण पर एक रिपोर्ट तैयार करके सरकार को देते हैं। लेकिन उस रिपोर्ट को पूरी तरह से नहीं पढ़ पाने की एवज में परमाणु मिशन धरा का धरा रह जाता है। मिशन के फेल होने का पूरा ठीकरा अश्वत के सिर पर फोड़ दिया जाता है इसके बावजूद कि उसकी रिपोर्ट को किसी ने भी ठीक से नहीं पढ़ा था और कई चीजों को नजरअंदाज कर दिया था। इस वजह से अश्वत को अपनी नौकरी से हाथ धोना पड़ता है और दिल्ली से वापस मसूरी की ओर रुख करना पड़ता है।

घर की देखरेख उसकी बीवी सुषमा (अनूजा साठे) करती हैं जो की एक एस्ट्रो फिजिसिस्ट हैं। अश्वत इस बीच कॉलेज के लड़कों को लोक सेवा आयोग की परीक्षा के लिए पढ़ाना शुरू कर देता है और यही उसके रुपए कमाने का एकमात्र जरिया है। इस बीच दिल्ली में सरकार बदलती है और परमाणु परीक्षा की बात फिर से उठने लगती है।

प्रधानमंत्री के प्रिंसिपल सचिव एक बार फिर से उस मिशन को जिन्दा करते हैं और अश्वत को उसका नेतृत्व करने के लिए आमंत्रित करते हैं। अश्वत भाभा एटॉमिक रिसर्च सेंटर, डिफेंस रिसर्च एंड डेवलपमेंट ऑर्गेनाइजेशन, रॉ, भारतीय सेना और स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन इत्यादि से लोगों को चुनकर एक टीम का गठन करते है। जब परमाणु परीक्षण के लिए टीम अपना डेरा राजस्थान के पोखरण में डालती है तब उनका सामना विलेन से होता है जो एक अमेरिकन सेटलाइट है। सारी बाधाओं पर अंत में ये टीम फतह पा लेती है।

भारत ने 1998 में अपना परमाणु टेस्ट किस तरह से किया था यह उसी को बयां करती है जो बेहद ही रोचक और दिलचस्प है। इस फिल्म से जुड़े सभी लोग मुबारकबाद के हकदार हैं कि भारत के दूसरे परमाणु परीक्षण की कहानी को उन्होंने बड़े ही रोचक अंदाज में फिल्मी पर्दे पर उतारा है।

फिल्म की कहानी जहां एक तरफ आपको तथ्यों से परिचित कराती है, वहीं दूसरी तरफ उस समय के प्रधानमंत्री अटल बिहारी बाजपेयी और वैज्ञानिकों की टीम से एपीजे अब्दुल कलाम के कारनामों के बारे में सटीक जानकारी देती है।

90 के दशक में जहां एक तरफ दुनिया के कई देश भारत के खिलाफ थे, वहीं परमाणु परीक्षण के बाद एक-एक करके भारत एक और शक्तिशाली देशों की संख्या में गिना जाने लगा, जिसे फिल्म देखने के दौरान महसूस किया जा सकता है।

खास बात यह है कि इस हफ्ते फिल्म अकेले थिएटर पर रिलीज हो रही है, इसलिए फिल्म से अच्छे कलेक्शन की उम्मीद की जा रही है। फिल्म को लेकर रिलीज से पहले कुछ विवाद भी सामने आया था। जॉन अब्राहम और प्रेरणा अरोड़ा के क्रिअर्ज एंटरटेंमेंट के बीच झगड़े की खबरों के चलते फिल्म काफी सुर्खियों में रही थी। लेकिन बाद में झगड़ा सुलझ गया और फिल्म की रिलीज का रास्ता साफ हो गया। बता दें कि‘परमाणु’ को अभिषेक शर्मा ने डायरेक्ट किया है। इस फिल्म में जॉन अब्राहम और डायना पेंटी समेत बोमन इरानी भी मुख्य भूमिका में नजर आ रहे हैं। फिल्म 1998 के पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण पर आधारित है। ये सब्जेक्ट जितना रोमांचकारी है, उतना ही जोखिमभरा भी है।

मनीषा वतारे :Journalist. Perennially hungry for entertainment. Carefully listens to everything that start with "so, last night...". Currently making web more entertaining place.