फिल्म: सोनचिड़िया
सोनचिड़िया कास्ट: सुशांत सिंह राजपूत, भूमि पेडनेकर, मनोज बाजपेई, आशुतोष राणा, रणवीर शौरी
सोनचिड़िया डायरेक्टर: अभिषेक चौबे
सोनचिड़िया स्टार: 3
कहानी
कहानी डाकू मान सिंह के गिरोह की है। गोलियां, गालियां, बदला और मुक्ति की कहानी है सोनचिड़िया फिल्म । मान सिंह (मनोज बाजपेई) के गिरोह के वफादार हैं लखना (सुशांत सिंह राजपूत)। इस गिरोह के करीबी सहयोगी हैं वकील (रणवीर शौरी)। इस गिरोह को खत्म करने की ठान रखी है क्रूर पुलिस अधिकारी गुर्जर ने (आशुतोष राणा)। सबकुछ ठीक चल रहा था कि अचानक मान सिंह के डाकू वाली टीम में एंट्री होती है इंदुमती तोमर (भूमि पेडनेकर) की। इंदुमती के साथ एक छोटी सी बच्ची भी होती है जिसका नाम है सोनचिड़िया।
सोनचिड़िया की तबियत बहुत खराब है। उस बच्ची को अस्पताल पहुंचाने की जद्दोजहद में और मुक्ति पाने की कोशिश में लाखन और उसके साथी वकील से बगावत कर लेते हैं। ऐसे में शुरू होती है चंबल की घाटी में गोलियों की रास-लीला। क्या लाखन इंदुमती तोमर की मदत करते हुए सोनचिड़िया को अस्पताल में पहुंचा पाता है? और मान सिंह के डाकुओं वाली टोली का क्या हाल होता है? जानने के लिए आपको फिल्म देखने जाना होगा।
सुशांत सिंह, भूमि पेडनेकर, मनोज बाजपेई, आशुतोष राणा का जबरदस्त अभिनय
मनोज बाजपेई को फिल्म में कम समय दिया गया है लेकिन जब तक रहे एक्टिंग के झंडे गाड़ रहे थे। सुशांत सिंह राजपूत डाकू की भूमिका के साथ जज करते दिखे। भूमि पेडनेकर की गोलीबारी देखने लायक रही। आशुतोष राणा का अभिनय देखने के बाद लगता है कि विलन का किरदार बॉलीवुड में ज़िंदा है। स्पेशल तारीफ़ करनी होगी रणवीर शौरी की। इन्होने फिर एक बार साबित किया एक्टिंग इसे कहते हैं।
शानदार सिनेमैटोग्राफी
इस फिल्म का डायरेक्शन किया है अभिषेक चौबे ने जिसमे वे वे काफी हद तक सफल हुआ हैं। हर पल लगा कि हम चंबल के डाकुओं की जिंदगी महसूस कर रहे हैं। घाटियां, दो नाल वाली बंदूके, बोलचाल, रहन-सहन, जातिवाद, डकैतो की जीवनी फोकस वाली फिलिंग एक बार भी खत्म नहीं हुई।
महत्वपूर्ण उद्देश्य
सांप चूहे का शिकार करता है और बाज सांप का। नियम है कि मारने वाला भी एक दिन मारा जाएगा। फिल्म जाति प्रथा, पितृसत्ता, लिंग भेद और अंधविश्वास को दिखाया गया है।
एक्सपर्ट रिव्यू
नव भारत टाइम्स के पत्रकार संजय मिश्रा ने सोनचिड़िया फिल्म के रिव्यू के लिए कहा- इस फिल्म में प्रकृति के नियम को दिखाया गया है। सांप चूहे का शिकार करता है और बाज सांप का। नियम है कि मारने वाला भी एक दिन मारा जाएगा। फिल्म जाति प्रथा, पितृसत्ता, लिंग भेद और अंधविश्वास को दिखाया गया है। फिल्म यह भी दिखाती है कि क्यों बदला लेने और न्याय में अंतर है।
दैनिक जागरण के वरिष्ठ पत्रकार पराग जी ने कहा – फिल्म रिएलिस्टिक तरीके से बनाई गई है जिसमें एक अलग जीवन दर्शन है। ये बागी चंबल का बलवान दर्शन है। फिल्म अच्छी है। इसे एक बार जरूर देखा जा सकता है।
हिन्दुस्तान टाइम्स अंग्रेजी अखबार के पत्रकार राजा सेन ने फिल्म को 3.5 स्टार देते हुए इसे शानदार फिल्म बताया है। राजा सेन जी ने सुशांत सिंह राजपूत और रणवीर शौरी की तारीफ की है।
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