Movie Review: शानदार एक्टिंग के साथ डराती ही नहीं हँसाती भी है राजकुमार और श्रद्धा की फिल्म ‘स्त्री’

राजकुमार इस फिल्म में निखर कर सामने आते हैं| कई सारे सीरियस रोल के बाद उन्हें इस कॉमेडी का हिस्सा बनते देखना वाकई काबिले तारीफ़ है| उनकी कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है| यहाँ जानिए क्यों देखें स्त्री?

“इतनी सुन्दर स्त्री, स्त्री कैसे हो सकती है?” सिनेमाहॉल से मैं राजकुमार राव की कही ये बात बाहर लेकर जाती हूँ| स्त्री एक हॉरर कॉमेडी फिल्म है और इस जॉनर की दूसरी फिल्मों से कहीं बेहतर है| इस जॉनर की फिल्म बनाना आसान नहीं है लेकिन स्त्री फिल्म इसमें सही साबित होती है| बिनाआपको फिल्म की असल कहानी बताये, अगर इसके बारे में बात करें तो स्त्री, विकी (राजकुमार राव) के बारे में है जो स्त्री की खोज में है| स्त्री मर्दों को फंसा कर उनके कपडे छोड़ जाती है| छोटे शहर के हीरो विकी के दो दोस्त होते है| साथ ही साथ पंकज त्रिपाठी भी फिल्म में उनके पार्टनर के तौर पर शामिल है| साथ में विकी और एक लड़की की रहस्यमयी प्रेम कहानी भी है, जिससे वो सिर्फ साल में एक बार आरती के दौरान मिला था|

राजकुमार इस फिल्म में निखर कर सामने आते हैं| कई सारे सीरियस रोल के बाद उन्हें इस कॉमेडी का हिस्सा बनते देखना वाकई काबिले तारीफ़ है| उनकी कॉमिक टाइमिंग जबरदस्त है| छोटे गाँव के गली में रहने वाला ये लड़का खुद को किसी महाराजा से कम नहीं मानता| स्त्री जैसी ग्रामीण केंद्रित बॉलीवुड फिल्म में भी विकी का किरदार आपका दिल जीत लेता है| वहीँ दूसरी तरफ़ श्रद्धा आपका दिल जीतने में नाकामयाब हो जाती हैं क्योंकि फिल्म में उन्होंने विकी का दिल जीत लिया था| श्रद्धा फिल्म के कुछ कुछ शॉट्स में ही है वहीँ उन्होंने अपने किरदार को यादगार बनाने जैसा कोई काम नहीं किया है| जो श्रद्धा नहीं कर पायी वो पंकज त्रिपाठी, अपारशक्ति खुराना और अभिषेक ने कर दिखाया है और उनकी परफॉर्मेंस उभर कर सामने आती है|

फिल्म की कहानी एक ‘घटना’ ऊपर आधारित है, हालाँकि ये फिल्म अपने टाइटल के साथ पूरा न्याय करती है| आपको यह पढ़कर शायद थोड़ी हंसी आ जाए लेकिन स्त्री ‘सशक्त’ है वहीँ बहुत ही फनी भी है| अमर कौशिक ने ना सिर्फ गाँव की बोल-चाल और रहन-सहन को अच्छी तरह से दिखाया है कि आप भूल जाएंगे कि ये एक फिल्म है| फिल्म में एक के बाद एक कई सारे यादगार मोमेंट्स है जिनमें इन एक्टर्स से बखूबी एक्टिंग करवाई गयी है| वहीँ कई डायलॉग्स इतने फनी है जैसे कि फ्री की ट्रीट|

फिल्म का चित्रण हॉरर एस्पेक्ट को देखते हुए किया गया है, जोकि आपको अपनी सीट से चिपकाए रखेगा| हालाँकि फिल्म का साउंडट्रैक थोड़ा ज्यादा ओवरयूज़्ड है जिसे अवॉयड किया जा सकता था| अब जब फिल्म में हॉरर हो तोई फिल्म की कहानी भी रहस्यमयी होती है और फिल्म का अंत बहुत ही अहम् और अर्थपूर्ण होता है| जैसे ही आपको लगता है कि आपने अब इस मिस्ट्री को सुलझा लिया है और फिल्म ख़त्म हो गयी तभी आपको झटका लगता है|

अब उठता है कि ये फिल्म क्यों देखें तो आपको बता दें ये सभी हॉरर कॉमेडी लवर्स के लिए है| फिल्म एक तरफ जहाँ आपको डराती है वहीँ हँसाने के भी कई मौके देती है ऐसे में इसे मिस ना करें|

हम इस फिल्म को मूवी मीटर पर 70% देते है|

श्रेया दुबे :खबरें तो सब देते हैं, लेकिन तीखे खबरों को मजेदार अंदाज़ में आपतक पहुंचाना मुझे बहुत अच्छा लगता है। पिछले चार साल से पत्रकारिता के क्षेत्र में हूं। कुछ नया सीखने की कोशिश कर रही हूं। फिलहाल इंटरनेट को और एंटरटेनिंग बना रही हूं।