कलाकार- नवाजुद्दीन सिद्दीकी, अमृता राव, सुधीर मिश्रा।
निर्देशक- अभीजीत पानसे।
फिल्म टाइप- बायोपिक।
अवधि- 2 घंटा 19 मिनट।
रेटिंग- 4 स्टार।
शिवसेना पार्टी की नींव रखने वाले केशव ठाकरे जिन्हें लोग ‘हिंदू ह्रदय सम्राट’ बालासाहेब ठाकरे के नाम से जानते हैं, की बायोपिक ‘ठाकरे’ आज रिलीज हो चुकी है। मुंबई में आज सुबह करीब चार बजे फिल्म का पहला शो दिखाया गया। बीते साल दिसंबर में फिल्म का ट्रेलर लॉन्च होने के बाद से ही किसी न किसी बात को लेकर यह फिल्म सुर्खियों में थी। फिल्म जब रिलीज हुई तो इसे देखने के बाद जान पड़ता है कि क्यों नवाजुद्दीन सिद्दीकी की गिनती बॉलीवुड के दमदार अभिनेताओं में होती है। बाल ठाकरे के किरदार में नवाजुद्दीन ने जान फूंक दी है।
फिल्म की कहानी शिवसेना के संस्थापक बाल ठाकरे की जबरदस्त एंट्री के साथ शुरू होती है और फिर फ्लैशबैक में पहुंच जाती है। कहानी 60 के दशक के उस समय में दिखाई जाती है जब बालासाहेब केशव ठाकरे नाम से जाने जाते थे। कार्टून बनाने से लेकर पत्रकारिता के जरिए जनता को सच दिखाने और फिर ‘मार्मिक’ मैगजीन के जरिए अपनी ताकत बढ़ाते हुए बालासाहेब के किरदार में नवाजुद्दीन खूब जंचे हैं। बाल ठाकरे के युवावस्था से लेकर वृद्धावस्था तक के रोल में नवाजुद्दीन का जादू सिर चढ़कर बोल रहा है। फिल्म में मराठियों के हक की बात कहने से लेकर बालासाहेब के ‘हिंदू ह्रदय सम्राट’ की छवि में उतरने तक उनके जीवन के कई उतार-चढ़ाव को बेहतरीन तरीके से फिल्माया गया है।
अभिजीत पानसे ने हर सीन पर की है मेहनत
1966 में शिवसेना पार्टी का गठन और फिर उसके बाद महाराष्ट्र ही नहीं बल्कि देश में जनता के रूप में बाल ठाकरे की बढ़ती ताकत दिखलाती यह फिल्म जैसे-जैसे आगे बढ़ती है, दिलचस्प होती चली जाती है। महाराष्ट्र से लेकर दिल्ली की राजनीति में बालासाहेब का कितना प्रभाव था, फिल्म देखकर आपको मालूम पड़ जाएगा। ‘ठाकरे’ आपको जरा भी बोर नहीं करती है। फिल्म देखकर साफ झलकता है कि इसके निर्देशक अभिजीत पानसे ने एक-एक सीन पर काफी मेहनत की है। शिवसेना सांसद संजय राउत ने बालासाहेब के जीवन को करीब से देखा है और फिल्म की पटकथा लिखते समय उन्होंने भी इस बात का खास ख्याल रखा है कि फिल्म में बाल ठाकरे का किरदार उनकी असल जिंदगी से मेल खाता हुआ ही दिखना चाहिए, क्योंकि बायोपिक का तो मतलब ही यही होता है।
फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स हैं इसकी यूएसपी
फिल्म का स्क्रीनप्ले और डायलॉग्स काफी अच्छे हैं। 60-70 के दशक का महाराष्ट्र उस समय कैसा दिखता होगा, निर्देशक अभिजीत पानसे इससे बखूबी वाकिफ रहे होंगे, यही वजह है कि फिल्म रील से रियल में कब तब्दील हो जाती है, दर्शकों को पता ही नहीं चलता। फिल्म में राम मंदिर की मांग और बाबरी विध्वंस मामले में बालासाहेब ठाकरे को कोर्टरूम में दिखलाने वाले सीन्स में बालासाहेब के रूप में नवाजुद्दीन सिद्दीकी की हाजिरजवाबी पर सिनेमाघर तालियों की गड़गड़ाहट से गूंज उठते हैं। फिल्म में बालासाहेब की पत्नी मीनाताई का किरदार निभा रहीं अमृता राव भी अपने रोल के साथ न्याय कर रही हैं। काफी समय बाद उनकी बड़े पर्दे पर इस तरह के किरदार से वापसी काबिल-ए-तारीफ है। कुल मिलाकर यह फिल्म बाल ठाकरे के जीवन के उन अनछुए पहलुओं से भी लोगों को वाकिफ करवा रही है, जिनसे आज तक अधिकांश लोग अनजान रहे थे। ‘हिंदी रश’ की ओर से इस फिल्म को दिए जाते हैं 5 में से 4 स्टार।
देखें ‘ठाकरे’ फिल्म का ट्रेलर…
देखें नवाजुद्दीन सिद्दीकी की तस्वीरें…