The Zoya Factor Movie Review: रोमेंटिक ड्रामा में चमके दुलकर सलमान, सोनम कपूर का नहीं दिखा लकी चार्म

सोनम कपूर और दुलकर सलमान स्टारर फिल्म द जोया फैक्टर (The Zoya Factor Movie Review) आज रिलीज हो गई है। फिल्म में दुलकर सलमान ने अपनी परफॉर्मेंस से दिल जीत लिया, जबकि सोनम कपूर का लकी चार्म ऑडियंस पर नहीं चला। जानिए फिल्म का रिव्यू-

फिल्म के एक पोस्टर में दुलकर सलमान और सोनम कपूर। (फोटोः इंस्टाग्राम)

फिल्म: द जोया फैक्टर
कलाकार: सोनम कपूर, दुलकर सलमान, संजय कपूर, अंगद बेदी और सिकंदर खेर
निर्देशक: अभिषेक शर्मा
हिन्दीरश रेटिंग: 2.5 स्टार

द जोया फैक्टर एक रोमकॉम फिल्म है, जिसका प्लॉट काल्पनिक है। सोनम कपूर और दुलकर सलमान के बीच हम जो केमिस्ट्री उम्मीद कर रहे थे, वो पूरी फिल्म में देखने को नहीं मिलती। इसके लीड एक्टर के साथ-साथ सपोर्टिंग कास्ट के ह्यूमर और परफॉर्मेंस भी काल्पनिक हैं। बात करें फिल्म में क्रिकेट फैक्टर की, अगर आप क्रिकेट प्लेयर या क्रिकेट के दीवाने हैं, तो यह उम्मीद नहीं करनी चाहिए क्योंकि फिल्म की कहानी का ज्यादातर हिस्से में हीरो और हिरोइन की प्रेम कहानी और झगड़े दिखाए गए हैं, शायद ही क्रिकेट पर ध्यान दिया गया है।

बात करें इसकी स्टोरीलाइन की, तो फिल्म में जोया सोलंकी की लाइफ को दिखाया गया है, जोकि एक विज्ञापन कंपनी में एग्जीक्यूटिव है। जोया सोलंकी का जन्म उस दिन होता है, जिस दिन साल 1983 में भारत ने क्रिकेट वर्ल्ड कप जीता था। उसका भाग्य उस वक्त बदलता है, जब उसे इंडियन क्रिकेट टीम के प्लेयर के लिए लकी चार्म समझा जाता है। जब भी वह टीम के साथ ब्रेकफास्ट करती है, टीम जीत जाती है। जब वह ऐसा नहीं करती है, तो टीम हार जाती है। हालांकि कैप्टेन निखिल खोड़ा लक में बहुत कम विश्वास करते हैं। टीम का कप्तान जोया सोलंकी का क्रश होता है। टीम कई चौकों और छक्कों के साथ अचानक से सारे सितारें जोया सोलंकी के साथ हैं क्योंकि लोग मानजीतने लगती है। इसका सारा क्रेडिट जोया सोलंकी को बतौर लकी चार्म दिया जाता है। सिर्फ इतना ही नहीं, लोग उसे देवी की तरह मानने लगते हैं और ने लगते हैं कि टीम की जीत के लिए उसका होना जरूरी है और ऐसा पूरे साल होता है। क्या जोया सोलंकी का नसीब टीम को जीत दिला पाएगा? यह जानने के लिए आपको सिनेमाघरों का रुख करना होगा।

फिल्म का कमेंट्री सेगमेंट बेहतरीन

फिल्म में मैच के दौरान होने वाली कमेंट्री का जिक्र करना बहुत जरूरी है। मुझे लगता है कि मेकर्स ने इस सेगमेंट को बेहतरीन लाइनें दी हैं। ये लाइनें बहुत ही अच्छी तरीके से लिखी हुईं हैं और ऑडियंस को अपने साथ बनाए रखती हैं। फिल्म में कई शानदार सीन है। ये सीन दुलकर सलमान और सिकंदर खेर के आस-पास घुमते हैं। मुझे लगता है कि यह दोनों अपने किरादर में पूरे तरह से डूबे हुए थे और उन्होंने अपना सबसे बेस्ट परफॉर्मेंस दिया है। सोनम कपूर जोया सोलंकी के किरदार में कुछ खास कमाल करती हुई नजर नहीं आती हैं। हालांकि, वह कई सीन में अच्छा करती हैं।

फिल्म का डाउन फॉल है इसका काल्पनिक प्लॉट

फिल्म का सबसे बड़ा डाउन फॉल इसका काल्पनिक प्लॉट है। फिल्म भी काफी स्लो चलती है। सेकंड पार्ट फास्ट है लेकिन वह ऑडियंस को जोड़ने में नाकामयाब साबित होती है। फिल्म में कई जगह अंधविश्वास और विश्वास के आइडिया को जबरदस्ती डाला गया है। एक ऑडियंस के तौर पर ऐसी उम्मीद नहीं की जा सकती। फिल्म में किरदार और उनके काम को लेकर भी समस्या रही। अंगद बेदी रोबिन का किरदार निभा रहे हैं, जोकि एक विलेन की भूमिका निभाते हैं, लेकिन उसके किरदार में कोई दम ही नहीं है। हालांकि उन्होंने अपना शानदार परफॉर्मेंस दिया है। सिनेमैटोग्राफी के मामले में, फिल्म कुछ अलग करने की कोशिश करती है। सोनम कपूर डायरेक्टली ऑडियंस से बात करती हैं लेकिन ये सबसे बड़ी गलती है। कुल मिलाकर बिना किसी अच्छे प्लॉट के प्रभावित करती है। फिल्म के डायलॉग अच्छे हैं। इसकी उचित लेंग्थ है और कुछ किरदार के परफॉर्मेंस जबरदस्त हैं।

यहां देखिए, द जोया फैक्टर का ट्रेलर…

रमेश कुमार :जाकिर हुसैन कॉलेज (डीयू) से बीए (हॉनर्स) पॉलिटिकल साइंस में डिग्री लेने के बाद रामजस कॉलेज में दाखिला लिया और डिपार्टमेंट ऑफ पॉलिटकल साइंस में पढ़ाई की। इसके बाद आईआईएमसी दिल्ली।