कलाकार- इमरान हाशमी,श्रेया धनंवतरी
निर्देशक- सौमिक सेन
फिल्म टाइप- ड्रामा
अवधि- 2 घंटा 24 मिनट
रेटिंग- 2.5 स्टार
2013 मेंनील डेग्रासस टायसन (अमेरिकन एस्ट्रोफिजिसिस्ट) ने कहा था, “जब स्टूडेंट्स वैल्यू लर्निंग से ज्यादा महत्व ग्रैड को दिया जाता हैं, तो स्टूडेंट्स एग्जाम में चीटिंग करते हैं।”व्हाई चीट इंडिया में नील की इसी सोच को डायरेक्टर और राइटर सौमिक सेन ने अपनी फिल्म में दिखाने की कोशिश की हैं। एक फोकल पाइंट के साथ इमरान हाशमी ने इंडिया के एजुकेशन सिस्टम में हो रहे अपराध की कहानी को पेश करना का काम किया है; चाहे वह इंजीनियरिंग और मेडिकल एग्जाम के लिए हो या फिर एमबी के लिए। हालांकि इस कहानी का इंटेंशन एकदम सच है, लेकिन इसे अमल में लाना बुरी तरह से फेल रहा है। ऐसे में आखिर में हमें जो मिलता है वह एक ओवरड्रामेटिक 90 के क्लोज-अप गेलर है, जिसके आखिरी में गाने हैं।
व्हाई चीट इंडिया की राकेश सिंह उर्फ रॉकी के जीवन को दिखाती है, जिसका मेन मकसद सिर्फ ज्यादा से ज्यादा पैसा कमाना है! अपने फायदे के लिए वह हर आदमी के अंदर मौजूद लालच का इस्तेमाल करता है। राकेश पैसे वालों और फेमस लोगों के बेटों के लिए एंट्रेंस एग्जाम के प्रश्नपत्र लिखने के लिए एडुकेटेड बच्चों का इस्तेमाल करता है। उसी तरह से उसका एक शिकार सत्तू नाम का एक लड़का भी बन जाता है और यहा तक की उसकी बहन भी इस जाल में फंस जाती है। लेकिन जब सत्तू इस खेल के आदी हो जाता हैं तो वह रॉकी के लिए परेशानी खड़ी करना शुरु कर देता है। इसी के चलते हालात बदतर होते जाते हैं। वहीं, इस सब बीच रॉकी और सत्तू की बहन नूपुर (श्रेया धनवंतरी) के बीच एक लव स्टोरी को भी फिल्म में दिखाया जाता है।
इस फिल्म में इमरान हाशमी ने अपने रोमांटिक लड़के वाले अवतार को छुपाते हुए राकेश के किरदार को बेहतरीन तरीके से निभाया है। इससे कोई फर्क नहीं पड़ता की आखिर में फिल्म का रिजल्ट क्या रहेगा लेकिन वह अपनी एक्टिंग का कमाल बाकी फिल्म की तरह इस फिल्म में भी दर्शाते हुए नजर आएं हैं। अपनी पहली फिल्म में श्रेया ने नूपुर के किरदार को पर्दे पर लाने का काम बेहतरीन तरीके से किया है और इमरान के साथ उनकी केमिस्ट्री बेहतरीन लगी है।
जबकि पर्फॉर्मन्सेस इस फिल्म की रीढ़ की हड्डी साबित हुई है। फिल्म के जरिए ऐसे टॉपिक पर लोगों का ध्यान खीचने की कोशिश की गई है जिसने भारत के एजुकेशन सिस्टम को पूरी तरह से बर्बाद कर दिया है । इस फिल्म के पहले 10 मिनट में आप एजुकेशन सिस्टम को एक यंग स्टूडेंट के नजरिए से देखेंगे । जो कि आत्महत्या का प्रयास करता है। वह अपने पिता द्वारा अपनी प्रवेश परीक्षा लिखने के लिए मजबूर किया जाता है। जबकि कुछ ऐसे यादगार सीन इस फिल्म में रहे जिन्होंने जागरूकता फैलाने का काम किया हैं। इसके साथ ही यदि स्क्रीनप्ले बेहतरीन होता तो फिल्म को और भी अच्छे से बनाया जा सकता था। आखिरी के क्रेडिट में ट्रैक को छोड़कर पूरे गाने इस फिल्म में एक मेन पार्ट रहे हैं।
वहीं, य . अलफोंसे रॉय और दीपिका कालरा की सिनेमैटोग्राफी और एडिटिंग बिना किसी सवाल के बेहतरीन थी। क्योंकि कुछ सीन इस फिल्म में बेहद ही हंसाने वाले थे। यदि कुल मिलाकर कर कहा जाए तो इमरान हाशमी की फिल्म व्हाई चीट इंडिया को एक बार देखा जा सकता है। यह फिल्म एक ए + ग्रेड साबित हो सकती थी यदि इस पर और काम किया जाता तो।
यहां देखिए फिल्म का ट्रेलर-
यहां देखिए फिल्म से जुड़े हुए पोस्टर…
व्हाई चीट इंडिया के स्टार…