अरविंद अकेला कल्लू को बचपन से ही संगीत से प्रेम था।
अरविंद अकेला कल्लू भोजपुरी के सुपरस्टार पवन सिंह के वह जबरदस्त फैन हैं। कल्लू कहते हैं कि वह बचपन से ही पवन सिंह को अपना गुरू मानते आ रहे हैं।
अरविंद अकेला कल्लू को उनके पिता जी ने अपने मंच पर गाने का मौका दिया और वह साल 2006 था, जब कल्लू मात्र 8 साल के थे।
अरविंद अकेला कल्लू बताते हैं कि जब वह स्कूल में गाते थे तो वह सिर्फ स्कूल में ही फेमस थे, लेकिन जब उन्होंने पहली बार मंच पर गाया तो फिर पूरे गांव वालों के बीच वह फेमस हो गए।
अरविंद अकेला कल्लू एक गरीब परिवार से थे और पैसों का अभाव था, इसलिए वह चाहकर भी खुद से एल्बम नहीं निकाल सकते थे।
अरविंद अकेला कल्लू के पिता जी ने किसी तरह कुछ पैसों का जुगाड़ कर एक एल्बम निकाला, जिसका नाम था 'गवना कहिया ले जइबा'। यह कल्लू के आवाज में उनका पहला एल्बम था, जो पूरे बिहार में हिट हुआ।
जब अरविंद अकेला कल्लू की पहली एल्बम रिलीज हुई तब उनकी उम्र महज 9 साल थी। इस एल्बम को बिहार की एक म्यूजिक कंपनी बी सीरीज ने निकाला था।
अरविंद अकेला कल्लू की बचपन से इच्छा थी कि वह पवन सिंह के साथ फिल्मों में काम करें। वह ऐसा सोचते थे कि जैसे भोजपुरी फिल्मों में सारे सिंगर हीरो बनते हैं तो वह भी एक हीरो बनें और किस्मत ने उनका साथ भी दिया।
फिल्म डायरेक्टर अरविंद चौबे ने अरविंद अकेला कल्लू को एक एक्टर के रूप में फिल्म 'दिल भइल दीवाना' से लॉन्च किया।
बिहार के बक्सर के रहने वाले कल्लू की कामयाबी के पीछे वह अपना पूरा श्रेय अपने पिता चुनमुन चौबे को देते हैं।
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