August 18, 2020

की सदाबहार पंक्तियाँ

गुलज़ार

दिल को छूतीं

सिर्फ़ एहसास है ये रूह से महसूस करो
प्यार को प्यार ही रहने दो कोई नाम ना दो।

अपनी मर्ज़ी से तो मज़हब भी नहीं उसने चुना था,
उसका मज़हब था जो मां बाप से ही उसने विरासत में लिया था!

कुछ अलग करना हो तो
भीड़ से हट के चलिए,
भीड़ साहस तो देती हैं
मगर पहचान छिन लेती हैं!

थोड़ा सा रफू करके देखिए ना
फिर से नई सी लगेगी
जिंदगी ही तो है!

एक सपने के टूटकर चकनाचूर हो जाने के बाद
दूसरा सपना देखने के हौसले का नाम जिंदगी हैं!

आदमी बुलबुला है पानी का
और पानी की बहती सतह पर टूटता भी है, डूबता भी है,
फिर उभरता है, फिर से बहता है,
न समंदर निगला सका इसको, न तवारीख़ तोड़ पाई है,
वक्त की मौज पर सदा बहता आदमी बुलबुला है पानी का।

ज्यादा कुछ नहीं बदलता उम्र के साथ
बस बचपन की जिद्द समझौतों में बदल जाती हैं!

बचपन में भरी दुपहरी में नाप आते थे पूरा मोहल्ला
जब से डिग्रियां समझ में आयी पांव जलने लगे हैं!

एक सो सोलह चाँद की रातें
एक तुम्हारे कंधे का तिल
गीली मेहँदी की खुश्बू
झूठ मूठ के वादे
सब याद करादो, सब भिजवा दो
मेरा वो सामान लौटा दो!

बहुत अंदर तक जला देती है,
वो शिकायतें जो बयाँ नही होती!

मैंने मौत को देखा तो नहीं
पर शायद वो बहुत खूबसूरत होगी
कमबख्त जो भी उससे मिलता हैं
जीना ही छोड़ देता है!

टूट जाना चाहता हूँ, बिखर जाना चाहता हूँ
में फिर से निखार जाना चाहता हूँ!
मानता हूँ मुश्किल हैं…
लेकिन में गुलज़ार होना चाहता हूँ!

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